– अर्जुन सिंह चंदेल
प्रदेश के ऊर्जावान मुखिया नये मुख्यमंत्री उज्जैन दक्षिण विधानसभा के विधायक 8 करोड़ प्रदेशवासियों की आशाओं के केंद्र बिंदु मोहन यादव जी आज दायित्व संभालने के बाद बाबा महाकाल को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए अल्प समय के लिए अपने गृहनगर उज्जैन पधारे। सच में बरसों के बाद अपार खुशियां मिलने के कारण नगरवासी उत्साहित हैं और 8 लाख उज्जैनवासी अपनी खुली आंखों से शहर एवं नगर विकास के अकल्पनीय सपने देखने लगे हैं।
शहर का हर नागरिक अपने आप को प्रदेश का मुख्यमंत्री समझ रहा है। इसका कारण मोहन जी का बाल्यकाल से लेकर छात्र जीवन, राजनैतिक जीवन यात्रा का यहां का हर बाशिंदा साक्षी है। इसी कारण मोहन जी से बहुत उम्मीदें हैं इस शहर को, और होनी भी चाहिए। इस सुअवसर को पाने के लिए आधी शताब्दी से ज्यादा का इंतजार विक्रमादित्य की नगरी के वासियों ने किया है।
त्रेता युग के बाद द्वापर युग में भी मोहन ने समुद्र से धरती मांगकर एक नयी नगर द्वारिका का निर्माण कर दिया था, जो स्वर्ण जडि़त थी और उसे अपनी कर्मभूमि बनाकर 36 बरसों तक राज किया। हम भी द्वापर ना सही पर कलियुग में अपने मोहन से यही मांग कर रहे हैं, हे मोहन! बरसों से उपेक्षित विक्रमादित्य की इस भूमि का उद्धार कर दो और पुरातन उज्जयिनी को वापस इसका वैभव लौटा दो।
कहते हैं बड़ का पेड़ अपने नीचे किसी अन्य पौधे को पनपने नहीं देता, हमारे उज्जैन पर यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ हुई है। मात्र 50 किलोमीटर दूर पर बसे महानगर इंदौर हमारे सारे अधिकार छीनकर ले गया। इस शहर का व्यापार-व्यवसाय, उद्योग-धंधे सबकुछ इंदौर का हो गया। इन्हीं आंखों के सामने हम सबने हमारे शहर की मिलों का धुआं उगलती चिमनियों को बुझता देखा है।
सिंथेटिक्स, मार्डन फूड इंडस्ट्रीज, पाइप फैक्ट्री, उस समय का एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट सहित आधा दर्जन कपड़ा मिलों को हमने कराह-कराह कर दम तोड़ते देखा है और इसी पीढ़ी ने नजरों के सामने ही पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र, देवास का औद्योगिक क्षेत्र पनपते देखा है। जिससे इंदौर से इंदौर महानगर हो गया।
हुक्मरानों ने भी इंदौर को अपना सगा बेटा और उज्जैन को सौतेला बेटा माना और वैसा ही व्यवहार किया है। नेताओं ने अपार स्नेह देते हुए एअरपोर्ट हो या मेट्रो सारी सुविधाएं इंदौर की ही झोली में डाल दी। ऐसा नहीं उज्जैन को कभी नेतृत्व का मौका नहीं मिला।
51 साल पहले उज्जैन ने प्रदेश को मुख्यमंत्री, देश को गृह मंत्री और भी अनेक मंत्रालयों का दायित्व उज्जैन के नेताओं को मिला, पर नगरवासियों को निराशा जब मिली तब उज्जैन से ही मुख्यमंत्री बने नेता ने उज्जैन की उपेक्षा करके इंदौर और देवास के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
खैर, अतीत का ज्यादा रोना भी ठीक नहीं है, परंतु मानव प्रकृति के कारण देश में नंबर-१ बने इंदौर से जलन होना स्वाभाविक है। मोहन जी आपमें क्षमता भी है कुछ कर गुजरने की और आप पर इस उज्जयिनी का जन्मभूमि और कर्मभूमि होने के कारण कर्ज भी है। और उज्जैन के सौभाग्य से आपको परमपिता परमेश्वर ने इस लायक आशीर्वाद दे दिया है कि आप इस ऋण को उतार सकते हो।
हमारे धार्मिक ग्रंथ भी कहते हैं कि माता-पिता, गुरू और जन्मभूमि के हम ऋणी होते हैं। चाहे उज्जैन की पेयजल समस्या के स्थाई निदान के लिए सेवरखेड़ी बांध के निर्माण का मामला हो या मेट्रो ट्रेन, मेडिकल कॉलेज की सौगात हो या इन सबके अलावा अपना सर्वश्रेष्ठ इस पुरातन और ऐतिहासिक कालजयी नगरी और प्रदेश के विकास में लगाकर लिख डालो उज्जैन के विकास का स्वर्णिम अध्याय।