यहां केवल जांच होगी, गंभीर मरीज को डीवीडी वार्ड में ही रखेंगे
उज्जैन, अग्निपथ। जिला अस्पताल में टीबी यूनिट के अपने भवन की अलग स्थापना हो रही है। करीब करीब 10 साल बाद चरक भवन के स्थान पर बने हुए टीबी अस्पताल की बिल्डिंग डिस्मेंटल होने के बाद से टीबी यूनिट जिला आयुष विभाग की बिल्डिंग के तीन कमरों में संचालित हो रहा था। नया भवन बनने के बाद मरीजों को उपचार के लिए एक तय स्थान मिल जाएगा।
जिला अस्पताल में बोहरा वार्ड के समीप टीबी यूनिट का दो मंजिला भवन बनकर तैयार हो गया है। यहां टीवी मरीजों के उपचार के लिए दवाइयां तो उपलब्ध होंगी लेकिन गंभीर मरीज आने पर उसे भर्ती करने के लिए व्यवस्था नहीं की गई है। इस भवन के बनने से टीवी यूनिट स्टॉफ को राहत मिलेगी। क्योंकि पिछले 10 सालों से स्टॉफ जिस पुराने क्वार्टरनुमा भवन में काम कर रहा है वो भवन जर्जर है। जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा इसे डिस्मेंटल करने की योजना बनाई जा चुकी है। बिल्डिंग निर्माणाधीन है इसे पूरा होने में तीन- चार महीने का समय लगेगा।
दो मंजिला भवन में टीबी यूनिट
2 मंजिला भवन में ग्राउंड लोअर पर जांच केंद्र होगा। सीबी नॉट और दू नॉट मशीन से टीबी मरीजों की जांच की जाएगी। मरीजों के लिए सबसे राहतभरी यही जांच है क्योंकि बाजार में इस जांच के लिए 3.5 हजार रुपए शुल्क लगता है। यहीं पास में एक ड्यूटी डॉक्टर का चेंबर होगा जहां मरीजों का प्राथमिक परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा ग्राउंड लोअर पर टीबी मरीजों को दिये जाने वाले सरकारी दवाई के डोज का काउंटर होगा। जहां से मरीज तय समय में अपनी दवाई ले सकेंगे। द्वितीय तल पर जिला क्षय अधिकारी, जिला क्षय कार्यक्रम प्रबंधक और टीबी- एचआईवी कॉ-ऑर्डिनेटर के चेंबर होंगे। इसके अलावा द्वितीय तल पर कॉन्फ्रेंस हॉल बनाया गया है, जहां 40-50 लोग एक साथ बैठकर विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कर सकेंगे।
टीबी बीमारी के 220 मरीज पंजीबद्ध
जिले में टीबी के 220 मरीज पंजीबद्ध है। इनमें 70 बच्चे भी शामिल हैं। टीबी यूनिट के पास साल 2023-24 में 5 हजार मरीजों तक पहुंचकर उपचार शुरू करने का टारगेट है। टीबी जांच के लिए जिले में सीबी नॉट तीन मशीनें लगी हैं। एक जिला अस्पताल के टीबी यूनिट में, दूसरी आरडी गार्डी कॉलेज में है। यहां जिला अस्पताल का ही नोडल डीआर टीबी वार्ड है जहां मरीजों को निशुल्क उपचार और भर्ती की व्यवस्था की गई है।