महिला और बच्चों के उत्थान के लिए काम करने वाले विभाग ने रविवार को लापरवाही की हद पार कर दी। महिलाओं को लाइसेंस बनवाने का आमंत्रण देकर महिला एवं बाल विकास विभाग खुद वहां पहुंचा ही नहीं और महिलाएं परेशान होती रहीं। बाद में प्रशासनिक अमले ने मौके पर पहुंच मामले को संभाला।
अंदरुनी जानकारी के मुताबिक विभाग को ऐसे कार्यक्रमों की सूचनाएं जारी करने की आदत है। कभी महिलाओं के हित में लंबी-चौड़ी बातें कर तरह-तरह के चैकअप शिविर तो कभी बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजित करने के दावे विभाग द्वारा किए जाते हैं और लंबे-चौड़े प्रेसनोट जारी किए जाते हैं। जबकि हकीकत में होता कुछ नहीं है।
सिर्फ खानापूर्ति होती है और बजट खत्म हो जाता है। बाद में लंबा-चौड़ा प्रेसनोट बना दिया जाता है। लेकिन इस बार विभाग का यह दांव उलटा पड़ गया। इस बार विभागीय प्रेसनोट के अनुसार काफी संख्या में महिलाएं-युवतियां लाइसेंस बनवाने दशहरा मैदान पहुंच गई। बाद में अधिकारी गलत जानकारी का झूठा बयान देकर बचने की कोशिश में लगे रहे। हालांकि प्रशासनिक अमले के आला अफसर सच्चाई को पहली नजर में ही भांप गए।