मंत्रिमंडल में हमेशा धारदार रहने वाला धार इस बार खाली हाथ

झाबुआ-रतलाम संसदीय क्षेत्र को तीन जबकि धार-महू लोकसभा क्षेत्र से एक भी मंत्री नहीं

धार, अग्निपथ। प्रदेश की राजनीति में धारदार रहने वाले धार लोकसभा क्षेत्र को डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से मायूसी छाई हुई है। चौथी बार लगातार चुनाव जीती धार विधायक नीना वर्मा, दूसरी बार चुनाव जीतकर आदिवासी क्षेत्र में भाजपा की लाज बचाने वाले कालूसिंह ठाकुर और लगातार विधायक निर्वाचित हो रही उषा ठाकुर मंत्री पद की प्रबल दावेदार थीं पर इनमें से किसी का नाम ना होना चौंकाने वाला है।

धार जिले की 7 में से पांच विधानसभा क्षेत्र पर मिली हार और कांग्रेस की तरफ से जिले के ही आदिवासी नेता उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष का पद मिलने के बाद ऐसी उम्मीद थी कि भाजपा पार्टी को जिले में मजबूत करने के लिए दमदार नेतृत्व देगी पर स्थित इसके विपरीत निकली मंत्रिमंडल में धार की झोली खाली रही। यह बात समझ से परे है कि धार से लगे रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र से मंत्रिमंडल में निर्मला भूरिया, नागरसिंह चौहान और रतलाम के चैतन्य काश्यप को मंत्री पद से नवाजा गया। एक ही संसदीय क्षेत्र से तीन मंत्री दिए गए। जबकि खरगोन, बड़वानी और धार की झोली खाली रही। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा यहां गच्चा खा गई।

लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है धार की अवहेलना

2018 में जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो धार से उमंग सिंघार और हनी बघेल के साथ बड़वानी से बाला बच्चन खरगोन से सचिन यादव और डॉ. विजयलक्ष्मी साधो को मंत्री बनाया गया था। उसके बाद जब प्रदेश सरकार में उलट फेर हुआ तो धार जिले से राजवर्धनसिंह दत्तीगांव को मंत्री पद मिला। जबकि इन क्षेत्रों में फिलहाल कांग्रेस के विधायकों की संख्या ज्यादा है। यह स्थिति लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकती है।

मालवा निमाड़ क्षेत्र में देखने को नहीं मिला क्षेत्रीय संतुलन

पिछले सरकार में बड़े आदिवासी चेहरे बड़वानी के प्रेमसिंह पटेल मंत्री थे जो इस बार चुनाव हार गए। भाजपा के टिकट पर सेंधवा से बड़े आदिवासी नेता अंतर सिंह आर्य को भी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की बड़ी आदिवासी नेत्री रंजना बघेल को इस बार मनावर विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं दिया गया। धार, बड़वानी और खरगोन की अधिकांश आदिवासी सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। धार की पांच में से चार आदिवासी सीटों पर भी बीजेपी हार गई। ऐसे में धरमपुरी से निर्वाचित कालूसिंह ठाकुर जो दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं वह वर्तमान परिस्थितियों में बिल्कुल फिट बैठते हैं। उन्हें मंत्री पद दिया जा सकता था। झाबुआ रतलाम संसदीय क्षेत्र से एक आदिवासी मंत्री को कम कर धार जिले को एक मंत्री पद देकर क्षेत्रीय संतुलन बिठाया जा सकता था।

उमंग की चुनौती के साथ छत्रप बन चुके कांग्रेसी विधायकों से कैसे निपटेगी भाजपा

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की पर धार जिले के लिहाज़ से बात की जाए तो यहां भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। उसके बाद जिले के विधायक और बड़े आदिवासी चेहरे उमंग सिंघार को मध्य प्रदेश शासन में नेता प्रतिपक्ष का पद मिलने के बाद कहीं ना कहीं कांग्रेस जिले में और मजबूत होगी। इधर लगातार रिकार्ड मतों से जीत रहे कुक्षी विधायक हनी बघेल सरदारपुर से लगातार जीत दर्ज करने वाले प्रताप ग्रेवाल और मनावर से दूसरी बार जीते डॉक्टर हीरालाल अपने क्षेत्र में कांग्रेस का झंडा कर उस क्षेत्र के बड़े आदिवासी नेता यह कहा जाए की छत्रप बन चुके हैं। ऐसे में भविष्य में होने वाले लोकसभा के चुनाव और आने वाले समय विधानसभा चुनाव के लिए जिले में भारतीय जनता पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए सशक्त और पर्याप्त नेतृत्व धार जिले को मंत्रिमंडल में देने की आवश्यकता थी।

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