मंदिर प्रांगण में जगह-जगह पसरी है अव्यवस्थाएं, प्रशासन महाकाल लोग में व्यस्त-उनके प्रथम पूजनीय पुत्र के मंदिर के हाल बेहाल
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री चिंतामन गणेश जहां आने वाले सभी भक्तों एवं आमजन की चिंता दु:ख एवं परेशानी दूर करते हैं, किंतु फिर भी यह बड़े आश्चर्य की बात है कि चिंतामन गणेश के इस मंदिर की चिंता ना जिला प्रशासन को है ना मंदिर प्रबंध समिति को मंदिर के बाहर चारों ओर जहां गंदगी एवं व्यवस्थाओं से ग्रस्त हो रहा है वही यहां काम करने वाले कई मानदेय कर्मचारी को विगत लंबे समय से वेतन नहीं मिलने के कारण उनके परिवार का पालन मुश्किल हो गया है।
मंदिर के अंदर चल रहा निर्माण कार्य भी विगत कई वर्षों से बंद पड़ा है वही मंदिर के आसपास कई भिखारी जिसमें मासूम बच्चे आने वाले श्रद्धालुओं को भीख देने के लिए घेर लेते हैं, नियमानुसार भिक्षावृत्ति बंद है किंतु यहां पर छोटे-छोटे मासूम बच्चे या तो भीख मांगते नजर आएंगे या आने वाले श्रद्धालुओं के पीछे दूर्वा बेचते हुए देखें जा सकते हैं।
विश्व प्रसिद्ध परमार कालीन मंदिर चिंतामन गणेश जो सभी की चिंता हर कर हर काम सिद्ध करते हैं इस मंदिर का निर्माण परमार कालीन राजा द्वारा किया गया था बाद में इस मंदिर का पुनर्निर्माण राजमाता अहिल्या देवी द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर को लेकर यह प्राचीन इतिहास है कि श्रीराम जी द्वारा यहां गणेश जी का पूजन किया गया था मंदिर के सामने ही एक लक्ष्मण बावड़ी है इसके बारे में कहा जाता है कि लक्ष्मणजी ने वाण चला कर इस बावड़ी का निर्माण किया था प्रत्येक चैत्र मास में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है।
प्रत्येक बुधवार को दर्शनार्थियों का जनसैलाब आता है। मान्यता के अनुसार मनोकामना पूर्ति हेतु श्रद्धालु यहां मंदिर के पीछे गोबर से उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर मंदिर जाकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं। यह चिंतामन गणेश बाई सूंड के होने से बहुत ही सौम्य रूप में है जो आसानी से पूजा करने पर प्रसन्न हो जाते हैं यह भारत देश का ऐसा पहला गणेश मंदिर है जिसके शिखर पर शेर विराजमान है मंदिर में श्री चिंतामन गणेश बीच में इच्छा मन गणेश और आखिर में श्री सिद्धिविनायक गणेश की मूर्ति दिखाई देती है इस कारण भी इस मंदिर का अपने आप में विशेष महत्व है।
लंबे समय से बंद पड़ा है निर्माण कार्य
महाकाल लोक बनने के बाद मध्य प्रदेश शासन भाजपा सरकार एवं जिला प्रशासन एवं सभी का ध्यान बाबा महाकाल मंदिर के विकास की ओर होने से बाबा महाकाल के प्रथम पूज्य पुत्र श्री चिंतामन गणेश की और शायद किसी का भी ध्यान नहीं जाना इस बात का प्रतीक है कि मंदिर के चारों ओर विकास कार्य कई वर्षों से बंद पड़ा है।
मंदिर के बाहर चारों ओर खुलेआम भिक्षावृत्ति
शहर में जहां भिक्षावृत्ति प्रतिबंधित है। उसके बावजूद भी शहर के हर मंदिर के बाहर आपको भिखारी मिल जाएंगे यहां तक की शहर के प्रमुख चौराहों पर भी गोदी में बच्चा लिए महिलाएं भीख मांगते देखी जा सकती हैं किंतु चिंतामन गणेश मंदिर के बाहर एक दो नहीं कई भिखारी महिलाएं बच्चे बहुत संख्या में देखे जा सकते हैं जो श्रद्धालुओं के आने पर उन्हें गाड़ी से उतरते ही घेर लेते हैं इस भिक्षावृत्ति से जहां इस शहर की गरिमा कलंकित हो रही है वह आने वाले श्रद्धालु भी इसे परेशान होकर अच्छी स्मृति लेकर यहां से नहीं जाते हैं जिला प्रशासन को सख्त कदम उठाए जाकर यहां पूर्ण रूप से भिक्षावृत्ति बंद करना चाहिए।
आवागमन भी अव्यवस्थित क्यों.?
श्री चिंतामन गणेश आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश करने के बाद अधिकांश दिनों में भीड़ नहीं होने के बाद भी सामने का मुख्य रास्ता बंद किया जाकर घुमाया जाता है जिससे श्रद्धालुओं को समय लगता है वही वह परेशान भी होता है। चित्र में दिखाया जा रहा यह प्रवेश का रास्ता मनमानी का शिकार है सिक्योरिटी गार्ड इसे चार्ज बंद कर देते हैं चाहे जब चालू कर देते हैं वही मंदिर से दर्शन करने के बाद निकलने वाला रास्ता भी ऊंचा नीचा एवं गड्ढा युक्त होने से कई बार महिलाएं दुर्घटना का शिकार हो चुकी है।
वही मंदिर में आवारा कुत्ते आदि घूमते बैठे देखे जा सकते हैं जिसका भी श्रद्धालुओं को डर बना रहता है सिर्फ बुधवार को ही दर्शन हेतु हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं किंतु आम दिन भीड़ बहुत ही कम रहती है ऐसे में यह रास्ता बंद करना कहां तक उचित है यह प्रबंध समिति ही जाने।
मंदिर की दान पेटी श्री गणेश जी की कृपा से नोटों से भरी
श्री चिंतामन गणेश सभी का खजाना भरते हैं अधिकांश लोग अपने व्यापार धंधे में घर में आर्थिक सिद्धि प्राप्ति के लिए आते हैं ऐसे में गणेश मंदिर मैं लगी जान पेटी कैसे खाली रह सकती है दान पेटी पूरी तरह से कई दिनों से नोटों से भरी पड़ी है दान पेटी से नोट बाहर आने को आतुर है किंतु मंदिर प्रबंध समिति एवं प्रशासन दान पेटी खोलने के लिए किसका इंतजार कर रहा है यह समझ से परे है।
मानदेय कर्मचारी की चिंता कब दूर करेंगे चिंतामन
श्री चिंतामन गणेश मंदिर पर विगत कई वर्षों से जूता स्टैंड पर श्री हरी राम कई वर्षों से निशुल्क सेवाएं दे रहा है वह इस बात का भी ध्यान रखते हैं की कोई भी श्रद्धालु मंदिर में जुटे चप्पल लेकर नहीं जाए श्री चिंतामन गणेश सभी की झोली खुशियों से धन से भरते हैं किंतु जूता स्टैंड पर काम करने वाले हरिराम को विगत डेढ़ वर्ष से मात्र ?4000 दिए जाने वाला मानदेय भी नहीं मिलने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया।
यही हालत मंदिर में विगत 15- 20 वर्षों से सफाई कर रहे कर्मचारी देवेंद्र की होने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है सफाई कर्मी देवेंद्र को भी पिछले डेढ़ साल से मिलने वाला नाम मात्र का मानदेय अभी नहीं मिल रहा है। जबकि ठेकेदार द्वारा नियुक्त सफाई कर्मी को 8000 प्रति माह वेतन दिया जाता है फिर वर्षों से गणेश मंदिर में सफाई कर रहे देवेंद्र को 15 -20 वर्षों से मात्र 4000 रुपए दिया जाना कहां तक उचित है।
कर्मचारियों को कलेक्टर द्वारा निर्धारित वेतनमान क्यों नहीं…
कलेक्टर द्वारा काम करने वाले श्रमिकों को प्रति वर्ष वेतन का निर्धारण किया जाकर एक निश्चित वेतन दिया जाता है किंतु चिंतामन गणेश में बरसों से काम कर रहे जूता स्टैंड कर्मचारी एवं सफाई कर्मचारी आदि को कलेक्टर द्वारा निर्धारित वेतनमान प्रबंध समिति द्वारा नहीं दिया जाना आश्चर्य का विषय है।