उज्जैन, अग्निपथ। लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा उज्जयिनी में आयोजित तीन दिवसीय शालेय कालिदास समारोह आज दिनांक 30 दिसम्बर 2023 को समारोह पूर्वक संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उज्जैन उत्तर के विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा उपस्थित थे। अध्यक्षता उज्जैन नगर पालिक निगम की सभापति श्रीमती कलावती यादव ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपाध्यक्ष जिला पंचायत एवं अध्यक्ष शिक्षा समिति, उज्जैन श्रीमती शिवानी कुँवर उपस्थित थीं। सारस्वत अतिथि महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी.जी. विजय मेनन थे।
महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के बटुकों द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया। नृत्य के माध्यम से सरस्वती वंदना की नृत्यमयी प्रस्तुति कु. देवयानी गौड़ ने दी। प्रतियोगिता में हुई प्रस्तुतियों में से श्रेष्ठ प्रस्तुति अन्तर्गत कनिष्ठ वर्ग की नर्मदापुरम् संभाग तथा वरिष्ठ वर्ग की सागर संभाग की नृत्य नाटिकाओं का मंचन किया गया। अतिथियों का स्मृति चिन्ह, उत्तरीय वस्त्र एवं माला से स्वागत संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण संभाग उज्जैन सुरमा नाहटे, जिला शिक्षा अधिकारी आनन्द शर्मा, सहायक संचालक संजय त्रिवेदी, एडीपीसी गिरीश तिवारी, डॉ. आर.पी. गुप्त एवं योजना अधिकारी श्रीमती संगीता श्रीवास्तव आदि ने किया। स्वागत उद्बोधन एवं अतिथि परिचय जिला शिक्षा अधिकारी आनन्द शर्मा ने दिया।
मुख्य अतिथि अनिल जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि शासन द्वारा देवभाषा संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति की समृद्ध परम्परा को संजाने का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। संस्कृत भाषा के माध्यम से प्राचीन सनातनी मूल्यों को पुर्नजीवित करने का महनीय कार्य स्कूल शिक्षा विभाग कर रहा है। आज आवश्यकता इस बात है कि इस प्राचीन वैज्ञानिक भाषा के माध्यम से शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में अध्यापन कार्य कराये जाए। संस्कृत भाषा की महत्ता सर्वविदित है, नई पीढ़ी को संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में नवीन शोध कार्य निरन्तर करते रहना होगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में उज्जैन नगर निगम की सभापति श्रीमती कलावती यादव ने कहा कि संस्कृत देव एवं ऋषि भाषा होकर सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार की अभी और आवश्यकता है। निरन्तर इस प्रकार के कार्यक्रमों से संस्कृत भाषा अपने वैभव को पुन: प्राप्त हो सकेगी। सारस्वत अतिथि प्रो. सी.जी. विजय मेनन ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी ज्ञान परम्परा अत्यंत समृद्ध है और इसी कारण से भारतवर्ष की पहचान सम्पूर्ण विश्व में है। संस्कृत भाषा देश की एकता को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। भारत की संस्कृति अनवरत रूप से संस्कृत भाषा से ही विकसित एवं समृद्ध हुई है। विशिष्ट अतिथि श्रीमती शिवानी कुंवर सोलंकी ने भी अपने विचार इस अवसर पर रखे।
प्रचार प्रसार समिति के संयोजक अमितोज भार्गव, संजय लालवानी एवं असीम पण्ड्या ने बताया कि समापन समारोह के इस कार्यक्रम में स्मारिका “विशाला” का विमोचन अतिथियों के कर कमलों से किया गया। स्मारिका विशाला के प्रकाशन में आर.के.सिंह, सुरमा नाहटे, संजय त्रिवेदी, डॉ. आर.पी. गुप्त, अमितोज भार्गव, डॉ. संदीप नाडकर्णी, संजय लालवानी, भरत व्यास, डॉ. चित्ररेखा जैन, राजेश गंधरा, सजय जौहरी एवं डॉ. मनोज द्विवेदी आदि का योगदान रहा। इसके पश्चात श्लोक पाठ, चित्रांकन एवं नृत्य नाटिका के कनिष्ठ व वरिष्ठ वर्ग में विजेता रहे विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह, पुरस्कार राशि व प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश सूर्यवंशी ने किया तथा आभार संजय त्रिवेदी ने माना।