खबर का असर: पिछले एक सप्ताह में रैफर के मामले काफी कम हुए

प्रतिदिन 7-8 हो रहे सीजर ऑपरेशन, चतुर्थ श्रेणी के 4 कर्मचारियों की बदली जगह, 2 आशा कार्यकर्ताओं को दी आखरी चेतावनी

उज्जैन, अग्निपथ। चरक अस्पताल (मातृ एवं शिशु अस्पताल) में रैफर के खेल पर काफी हद तक लगाम लग गई है। ऐसा पांच सदस्यीय समिति का गठन करने और इसके एक्शन लेने के कारण हुआ है। समिति के सदस्यों ने अस्पताल प्रशासन से चर्चा की, जिसमें मरीजों को डरा-धमका कर रैफर करने में चतुर्थ श्रेणी के चार कर्मचारी और दो आशा कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए हैं। इनको वहां से हटा दिया गया है। सबसे पहले दैनिक अग्निपथ ने समिति के सामने रैफर की गईं प्रसूताओं का ब्यौरा पेश नहीं करने को लेकर सवाल उठाये थे। समाचार आने के बाद अब जाकर कहीं अधिकारी अलर्ट हुए हैं।

दैनिक अग्निपथ में रैफर का खेल: गर्भवती प्रसूता महिला समिति के समक्ष नहीं रखा जा रहा ब्यौरा नाम से समाचार सबसे पहले 29 दिस बर को प्रकाशित किया था। स्वास्थ्य विभाग इसके बाद अलर्ट हुआ और चरक अस्पताल प्रसव के लिए पहुंच रही ग्रामीण महिलाओं को गुमराह करके प्राइवेट अस्पताल पहुंचाने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी। चतुर्थ श्रेणी के चार कर्मचारी और दो आशा कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए हैं।

अभी इनके खिलाफ कोई सबूत न मिलने के चलते इन चार कर्मचारियों की जगह बदल दी गई है। साथ ही दोनों आशा कार्यकर्ता पहले से ही निकाली जा चुकी, इसके बावजूद बहाने बनाकर अस्पताल में घूमते हुए मरीज के परिजनों को प्राइवेट अस्पतालों तक पहुंचा रही हंै। अस्पताल प्रशासन ने कार्रवाई करने का निर्णय लेते हुए सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मियों को अस्पताल में नियुक्त करने का मन बनाया है। जैसे कोई किसी मरीज को बिना प्रशासन की मंजूरी के दूसरे अस्पताल पहुंचाएगा, उस पर ठोस कार्रवाई की जाएगी।

5 सदस्यों की समिति देखेगी रैफर से जुड़े मामले

चरक भवन में पांच सदस्यों की रैफर समिति बनाई गई। इसमें सीएमएचओ, सिविल सर्जन, डीएचओ, एक गायनिक डॉक्टर आर एक सर्जन शामिल रहेंगे। यह कमेटी तय करेगी कि प्रसव के लिए आई महिला को रैफर करने की आवश्यकता है या नहीं। इस कमेटी को 5 मिनट के अंदर निर्णय लेना होगा। बिना इस समिति के निर्णय लेने पर कार्रवाई की जाएगी।

समिति ने मांगी 12 हफ्तों की रैफर रिपोर्ट

समिति ने रैफर के कारण जानने के लिए अस्पताल प्रशासन से चर्चा करते हुए 12 हफ्तों की रिपोर्ट मांगी है। इससे पता लगाया जा सकेगा कि अस्पताल से महिलाओं को रैफर क्यों करना पड़ रहा है। इसी बीच अस्पताल प्रशासन और स्टाफ ने बताया कि कुछ कर्मचारी मरीजों के परिजनों को अस्पताल में प्रवेश करने से पहले ही डरा-धमकाकर या गुमराह करके प्राइवेट अस्पताल पहुंचा रहे हैं।

यह अधिकांश गांव से आने वाले महिला मरीज हैं, जो एम्बुलेंस द्वारा उज्जैन तक पहुंच रही हैं, लेकिन उसके बाद उन्हें सीधे प्राइवेट अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।

एक सप्ताह में प्रतिदिन 1 रैफर

जानकारी के अनुसार रैफर के खेल पर समिति गठित करने और इसके एक्शन के समाचार प्रकाशित होने के बाद चरक अस्पताल के भ्रष्ट कर्मचारियों और आशा कार्यकर्ताओं में हडक़ंप मचा हुआ है। डॉक्टर्स और स्टाफ नर्सें भी अलर्ट मोड पर नजर आ रहे हैं। ऐसे में पिछले छह दिन के आंकड़े उठाकर देखें तो प्रतिदिन 1-1 प्रसूता को रैफर किया गया है। शुक्रवार को तो यह रैफर का आंकड़ा शून्य रहा। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि चरक अस्पताल में रैफर का खेल कुछ दिनों बाद बंद हो जायेगा। यदि समिति ठीक तरह से एक्शन ले तो…..।

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