यात्रा वृत्तांत: परिचय होने के बाद अजनबी भी अपने लगने लगे

  • अर्जुन सिंह चंदेल

गतांक से आगे

उद्घोषक महिला का व्यक्तित्व रौबदार और रईसी था उन्होंने अपना नाम डॉक्टर सोनाली चक्रवती और कभी मध्यप्रदेश ही हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ के भिलाई का निवासी बताया। डॉ. सोनाली के पति चक्रवती जी भिलाई स्टील प्लांट के महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सोनाली जी घूमने की शौकीन हैं इस कारण वह इस ग्रुप की प्रशंसा सुनकर इससे जुड़ी हैं।

समारोह में शामिल सभी सदस्यों को मंच पर आकर अपना परिचय देने का निर्देश जारी हुआ। शुरुआत उज्जैन की टीम ने ही की। सबसे अंत में मैंने अपना परिचय दिया। होटल द चाबल के मालिक कुलदीप जी व उनकी पत्नी आत्मीयता से प्रत्येक सदस्य का तिलक लगाकर व हिमाचली टोपी पहनाकर स्वागत, अभिनंदन कर रहे थे। समारोह का वातावरण पूरी तरह से पारिवारिक हो चला था।

उड़ीसा, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश से आये लोग लघु भारत का दृश्य उपस्थित कर रहे थे। सभी लोग मनोयोग से एक-दूसरे का परिचय सुनकर जानने समझने का प्रयत्न कर रहे थे। लगभग 60-65 लोगों का परिचय होना था इसमें लगभग एक से डेढ़ घंटा लग गया। कुलदीप जी के परिवार की बच्ची ने गणेश वंदना भी प्रस्तुत की जिसका सभी ने आनंद लिया। एक बार परिचय होने के बाद सभी आपस में बतियाने लगे, मेल-मिलाप का सिलसिला चालू हो गया।

‘घुमक्कड़ी दिल से’ ग्रुप के एक और सक्रिय और सेवाभारी मित्र पंकज जी भी परिवार सहित देहरादून से सडक़ मार्ग से अपने वाहन से आये थे उनसे हम लोग परिचित थे उनसे बातचीत हुयी। झारखंड के रांची से आयी श्वेता चंचल भी पहले मैनपाट आ चुकी थी इसलिये वह अजनबी नहीं थी, मुंबई से आयी अल्पा भी सभी से जल्दी घुल-मिल गयी और धीरे-धीरे संकोच खत्म हुआ अजनबी परिचित बन गये, रात का अंधेरा चरम पर था।

पहाड़ों पर दिन से भले ही गर्मी लगी हो पर रात में शरीर में ठंडक महसूस होने लगी। हाँ मुझे क्षमा करें एक बात का उल्लेख करना में भूल गया था, बीते वर्ष घुमक्कड़ी दिल से ग्रुप के दो साथी प्रकाश जी और वीरेन्द्र जी दिवंगत हो गये थे जिन्हें परिचय शुरु के पूर्व उनके चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित करके दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी थी, रात्रि का भोजन भोजनशाला में लग चुका था सभी से भोजन का निवेदन किया गया।

जल्दी सोना था क्योंकि सुबह 9 बजे बस आकर हमें कसौली घुमाने ले जाने वाली थी और शाम को लौटकर लोहड़ी महोत्सव की धमाल मचानी थी। स्वादिष्ट भोजन के बाद हम तो सोने चले गये पर पता चला मिलन समारोह में शामिल होने आये सदस्य देर रात तक बतियाते रहे।
(शेष कल)

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