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अर्जुन सिंह चंदेल
13 जनवरी की सुबह ‘जी.डी.एस.’ के सभी सदस्य जल्दी उठ गये स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी लोग नाश्ते के लिये पहुँच गये थे सैंडविच, पराठों का नाश्ता जमकर किया गया। दो बसें लग चुकी थी सभी लोग बसों में सवार होकर निकल पड़े कसौली घूमने, सबसे पहले काफिल पहुँचा ‘मनकी पाईन्ट’ जहाँ के लिये बसें मल्टी लेबल पार्किंग पर रोक दी गयीं वहाँ से सभी को पैदल ही ऊपर पहुँचना था। अपने राम तो आरामतलबी है तीन साथियों सहित 500 रुपये में एक कार कर ली जो लाने-जाने दोनों का काम करती है। होटल द चाबल के मालिक कुलदीप जी ने यहाँ भी सह्रदयता का परिचय दिया जिन साथियों को पैदल चलने में तकलीफ थी उन्हें अपनी कार में बैठाकर 4-5 बार में ऊपर पहुँचाया।
बताया जाता है कि पहाड़ी पर स्थित हनुमान जी का मंदिर वह स्थान है जहाँ पर लक्ष्मण जी के युद्ध दौरान मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी लेने जाते समय हनुमान जी ने अपना एक पैर रखा था इसी कारण इस स्थान को पवित्र माना गया है। चूँकि यह पूरा क्षेत्र भारतीय वायुसेना के कब्जे में है और कसौली में वायुसेना स्टेशन भी है अत: काफी चेकिंग के बाद मंदिर जाने की अनुमति दी जाती है। मोबाइल, पर्स सहित सारा सामान नीचे क्लॉक रूम में ही जमा करा लिया जाता है।
पहाड़ी पर पहुँचने के बाद भी मंदिर तक जाने के लिये सीढिय़ा है जिनमें माध्यम से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। अपन ने तो नीचे से ही हनुमान जी को प्रणाम किया और ऊपर तक ना आने के लिये क्षमा भी माँग ली। जहाँ मल्टीलेवल पार्किंग पर बस खड़ी हुई थी वहाँ से हमने जो टेक्सी ली थी उसके चालक सरदार जी थे उन्होंने पहाड़ी पर चढ़ते समय कसौली का इतिहास बताया कि यह अँग्रेजों द्वारा बसाया हुआ हिल स्टेशन है।
पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध ब्रिटिश लेखक रस्किन बोन्ड का जन्म कसौली में हुआ था। रितिक रोशन की फिल्म ‘कोई मिल गया’ की शूटिंग कसौली में हुयी थी। शिमला से 77 किलोमीटर दूर छापनी कभी पंजाब प्रांत का हिस्सा हुआ करती थी, बाद में हिमाचल में शामिल हो गयी। टेक्सी चालक सरदार जी ने पहाड़ी चढ़ते समय साईड में अँग्रेजों द्वारा बनवायी गयी बेशकीमती कोठियां भी दिखायी जो हजारों वर्गफीट एरिया में है जिनकी कीमत आज करोड़ों में है।
सरदार जी हमें वह कोठी भी दिखायी जो भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की माँ ने अपने बेटे को खरीदकर गिफ्द दी है जिसकी कीमत 5 करोड़ है। हमने देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के बेटे द्वारा बनवायी कोठियां भी देखी जो 2-2 करोड़ में बेची जा रही है।
अमृतसर के जलिया वाला बाग में नरसंहार का आदेश देने वाले जनरल डायर की कोठी भी कसौली में ‘मन की पाईन्ट’ जाने वाले रास्ते पर ही है। देश की आजादी के बाद अँग्रेजों द्वारा भारत छोडक़र जाने के बाद भारतीय सेना के अफसरों ने अँग्रेजों की कोठियों पर बलात कब्जा कर लिया था, हिमाचल प्रदेश बनने के बाद सरकार ने कब्जा की गयी सारी कोठियां भारतीय सेना के अधिकारियों के नाम कर दी जिनकी कीमत आज करोड़ों में है।
खैर ‘मन की पाईन्ट’ जिसे अपभ्रंश करके मंकी पाईन्ट कर दिया गया है से लौटने में सभी को बहुत देर हो चली थी। सभी साथी अगले पड़ाव जटोली मंदिर के लिये बस में बैठ गये जो वहाँ से लगभग 20-25 किलोमीटर सोलन में था। ‘जी.डी.एस.’ मीट का आज दूसरा दिन था सभी लोग आपस में अच्छी तरह से घुल-मिल गये थे बस के अंदर समय व्यतित करने के लिये अंताक्षरी शुरू हो गये जिसका बस में बैठे सभी लोगों ने आनंद लिया।
बस जटोली कब पहुँच गयी पता ही नहीं चला। हिमाचल के प्रसिद्ध मंदिर में पहुँचकर शंकर जी के दर्शनों पश्चात सबने खिचड़ी और कढ़ी का प्रसाद लिया। शाम को चार बज चुके थे इसलिये वापस होटल के लिये बसे रवाना हो गयी ताकि रात के लोहड़ी के आनंद में कमी न हो जाए।
(शेष कल)