कोरोना के कारण पिछले साल मार्च महीने में प्रशासन ने महाकाल मंदिर सहित सभी मंदिरों में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। लॉकडाउन के कारण सबकुछ बंद हो गया था और लोग घरों में कैद हो गए थे। धीरे-धीरे कोरोना का प्रकोप कम हुआ और उसके साथ ही बाजार व अन्य सार्वजनिक-धार्मिक स्थल भी खुलने लगे।
महाकाल मंदिर भी खुला और दूर से ही बाबा महाकाल के दर्शन भी शुरू हो गए। अब ऐसा समय आ गया है कि सिनेमा हाल, स्वीमिंग पूल, स्कूल-कॉलेज, कोचिंग इंस्टीट्यूट से लेकर सबकुछ खुल गया है। कोरोना के कारण देश में कहीं भी प्रवेश प्रतिबंधित नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और भस्मारती दर्शन पर प्रतिबंध क्यों हैं।
जिले के वरिष्ठ अधिकारी यह प्रतिबंध समाप्त करने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा रहे हैं। मंदिर में दर्शनार्थियों को प्रवेश भी पूर्व अनुमति के बाद दिया जा रहा है, यह भी उचित नहीं है। इस मुद्दे पर विपक्ष भी सडक़ पर उतर आया है और राजनीति शुरू हो गई। मामला और तूल पकड़े उसके पहले जिम्मेदारों को महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था में सुधार करना होगा और पिछले एक साल से चल रही भक्त-भगवान के बीच की दूरी को समाप्त करना होगी।