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अर्जुन सिंह चंदेल
बुधवार को मध्यप्रदेश के हरदा में मगरधा रोड पर स्थित एक फटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट से एक दर्जन से अधिक मौतों और सैकड़ों लोगों के झुलसने की खबर से पूरा देश गमगीन है। प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 150 किलोमीटर दूर स्थित हरदा में एक रिहाइशी क्षेत्र में चल रही फटाखा फैक्ट्री अवैध रूप से संचालित की जा रही थी इस तरह की खबरें अखबारनवीसों द्वारा बतायी जा रही है। विस्फोट इतना भयावह था कि आसपास के 50 से अधिक मकानों में आग लग गयी, आग के शोले हरदा से 50 किलोमीटर दूर तक देखे गये, घटनास्थल से लगभग 800 मीटर दूर स्थित जिला अस्पताल भवन की खिड़कियों के काँच टूट गये, मकानों से उड़े पत्थरों ने एक व्यक्ति की जान ले ली वहीं कच्चे मकानों से उड़ी टीन की चद्दरों ने किसी का गला काट दिया तो किसी का हाथ।
भीषण विस्फोट और आग की विकरालता से लोगों का पहचाना जाना असंभव सा लगता है। प्राथमिक तौर पर मृतकों का आंकड़ा भले ही एक दर्जन के आसपास का हो परंतु प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह संख्या 50 तक पहुँच सकती है। हरदा में हुए इस विस्फोट ने प्रदेशवासियों के जहन में वह खौफनाक मंजर ताला कर दिया है जब 12 सितंबर 2015 को पेटलावद में अवैध रूप से संग्रहित की गयी जिलेटिन की छड़ों में हुए विस्फोट से 79 बेगुनाहों की मौत हो गयी थी और 150 से अधिक लोग घायल हो गये थे।
पेटलावद में अवैध रूप से जिलेटिन की छड़ें भी राजनैतिक रसूख रखने वाले परिवार द्वारा ही संग्रहित की गयी थी। पेटलावद की उस घटना में तो जिस व्यक्ति की दुकान थी वह भी हादसे का शिकार हो गया था और विस्फोट में उसे भी अपनी जान गवानी पड़ी थी, परंतु उस घटना के लिये जो शासकीय अधिकारी और कर्मचारी दोषी थे, जिन्होंने अपने कत्र्तव्यों के पालन में कोताही बरती थी उन्हें क्या दंड मिला शायद हम में किसी को यह मालूम नहीं होगा। अपुष्ट जानकारी अनुसार 79 लोगों की मौत के बाद तत्कालीन सरकार एस.डी.ओ. (पुलिस) अब्दुल रशीद खान तथा एस.डी.ओ. (राजस्व) अशोक जाधव को वहाँ से स्थान्नतरित और थाना प्रभारी शिवजीत सिंह को लाईन अटैच करके अपने कत्र्तव्यों की इतिश्री कर ली थी।
लगभग आठ साल बाद उसी से मिलते जुलते हरदा हादसे के वक्त मुख्यमंत्री, डा. मोहन यादव हैं। संवेदनशील मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घटना के तुरंत बाद ही पूरे प्रशासनिक अमले की ताकत हरदा में झोंक दी है, भोपाल एवं 20 अन्य जिलों की कुल मिलाकर 115 से अधिक एम्बुलेस, मेडिकल कॉलेज भोपाल व इंदौर से चिकित्सकों की विशेष टीम हरदा भेजी गयी, साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता को आश्वस्त भी किया है कि इस दुर्घटना के दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा।
प्रदेशवासियों को अपने संवेदनशील मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास है कि वह जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई से अपना वेतन पाने वाले शासकीय सेवकों द्वारा अपने कत्र्तव्यों में की गयी लापरवाही करने पर उन्हें यथोचित दंड देंगे ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे की पुनरावृत्ति न हो और निरीह और बेगुनाह नागरिकों को अपनी जान न गंवानी पड़े। हरदा हादसे ने भी वही यक्ष प्रश्न सबके सामने खड़े कर दिये हैं कि जब घटना के बाद प्रशासन इसे अवैध फटाखा फैक्ट्री बता रहा है तो इस अवैध फटाखा फैक्ट्री के अवैध रूप से संचालित होने के लिये जवाबदार कौन है?
संबंधित पुलिस थाना क्षेत्र और बीट के आरक्षक, प्रधान आरक्षक, सहायक उप निरीक्षक, उप निरीक्षक, थाना प्रभारी (निरीक्षक), सी.एस.पी. (एस.डी.ओ.पी.), पुलिस अधीक्षक के साथ ही नगर पालिका के राजस्व अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के साथ ही जिले के मुखिया जिलाधीश क्या कर रहे थे? क्या जवाबदार का कत्र्तव्य केवल अवैध कार्यों के एवज में मासिक वसूली ही है?
क्यों ना घटना के दोषी हर शासकीय सेवक पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिये? मुख्यमंत्री जी आपकी कार्यप्रणाली अभी तक की एक कत्र्तव्यनिष्ठ मुख्यमंत्री के रूप में साढ़े सात करोड़ मध्यप्रदेशवासियों द्वारा महसूस की गयी है और इस बार भी आम नागरिक उम्मीद करता है कि आप हरदा विस्फोट कांड के लिये दोषियों को उचित दंड दिलाये जाने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे क्योंकि सिर्फ स्थानांतरण या लाइन अटैच कोई दंड न होकर महज सरकारी खानापूर्ति ही मानी जायेगी।