सांसारिक जीवन त्याग कर सलोनी बनी साध्वी ज्ञानार्षि निधि

वसंत पंचमी पर एतिहासिक दीक्षा महोत्सव सम्पन्न

बडऩगर, अग्निपथ। संयम मार्ग तो तलवार की धार पर चलने जैसा है संयम मार्ग तो कांटों भरी राह है। संयम के राह तो विकट है इन सब बातों को झूठलाते हुए सांसारिक और भौतिकता की चकाचौंध मोबाइल टीवी पिक्चर चाइनीस को छोडक़र सांसारिक जीवन जीने वाली सलोनी मेहता संसार के असारता को छोडक़र संयमी वेश धारण कर महावीर की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प ले कर महावीर के पथ पर चल पड़ी हैं। आज प्रात: अपने निज निवास से देहरी पूजन के बाद उन्होंने सांसारिक वेश को बाय-बाय कहते हुए संयम का रंग चढऩे के लिए एक जुलूस के रूप में दीक्षा स्थली ज्ञानानदी प्रवचन महोत्सव वाटिका पहुंची।

जहां जैन संत गणिवर्य आनंद चंद्र सागर जी ने दीक्षा के पूर्व की सभी क्रियाएं और रस्मों को पूर्ण करवाया प्रमुख रूप से प्रभु को सोने की चेन अर्पण करते हुए यह भावना भाई की सोने जैसी चमक जैसा मेरा संयम जीवन हो पुष्प अर्पण करते हुए कहा कि फूलों की भांति कोमल मेरा यह नया जीवन हो इस अवसर पर आनंद चंद्र सागर जी महाराज साहब ने कहा कि शबरी के मन में राम थे और सलोनी के मन में रजो हरण था अभिमंत्रित राजोहरण पाकर सलोनी खुशी से झूमते नाचते हुए प्रभु के परिक्रमा पूरी कर रही थी तो सारा पाडाल तालियो की गूंज के साथ दीक्षार्थी अमर रहे के गगन भेदी जय कारों से गूंज रहा था।

बडऩगर के प्रशंसा करते हुए गनिवर जी ने कहा कि शादी के लिए लोग उदयपुर पैलेस में जाते हैं किंतु मैं तो यह कहूंगा कि अगर दीक्षा कार्यक्रम हो तो वह बडऩगर जेसा हो और बडऩगर में हो।

हुआ नामांकरण सलोनी मेहता बनी ज्ञानार्षि निधि

संयम जीवन धारण करने वाले का संसारिक नाम बदलकर महावीर के परिवार के श्वेत वस्त्र धारण करवा कर नवीन नामांकरन किया जाता है। साधु साधु भगवंत की उपस्थिति में सलोनी मेहता को नया नाम ज्ञानार्षि निधि मिला। अब वे इसी नाम से जानी जाएगी वो अब अर्चित गुणा श्री जी की शिष्या बनी। अब अमित गुणा श्री जी की शिष्याओं की संख्या 91 हो गई । सांसारिक श्रृंगार की वस्तुएं त्याग कर सांसारिक वेश को उतार कर जब श्वेत वस्त्र धारण कर दीक्षार्थी पंडाल में पहुंची तो हर तरफ हर्ष उल्लास और वंदन की भावनाएं थी।

पूर्व संध्या पर दिया भावुक उद्बोधन

संयम जीवन की पूर्व संध्या पर सलोनी मेहता ने भावुक उद्बोधन देते हुए कहा कि मेरे पापा ज्ञानचंद जी मेहता का सपना था कि मैं महावीर का वेश धारण कर उनकी इच्छा को पूर्ण करूं। मेरे पापा जहां भी है वह उच्च गति में होंगे और उनसे मिलने का एक ही रास्ता है कि मैं संयम लेकर उनसे मिल सकूं। आपने भावुक होते हुए कहा कि आप सभी ने असीम उपकार करते हुए मुझे जो आशीर्वाद दिया है उसको कभी नहीं भूलते हुए मैं प्रतिज्ञा करती हूं कि मैं महावीर के पथ को सदा उज्जवल रखूंगी।

मुझे जैन धर्म का सरण मिला है गुरु मैया मिली है तो मेरे जीवन में एक नया सवेरा होगा। आपके इस भावुक भरे शब्दों को सुनकर सारा सदन भीगी पलकों से उसे निहारता रहा। पंडाल में उपस्थित जन जन की आंखों से आंसू बहने लगे। अंत में यह कहा कि संसार के मोह से निकलकर में संयम की साधना की ओर अग्रसर होने जा रही हूं आप सभी का आशीर्वाद मुझे चाहिए।

गुरु मैया के चरण पखारे

मुमुक्षु सलोनी ने विराजीत अमित गुणा श्री जी साधु साध्वी भगवंत के चरण की पूजा की व नव दीक्षित साध्वी को वहराने वाले उपकरण के चढ़ावे बोले गए। संघ समाजजन ने पृथक पृथक रूप से इनका लाभ लिया गया। मीडिया प्रभारी विजय गोखरू व राजकुमार नाहर ने बताया क विजय तिलक की बोली पूनमचंद रखबचंद मेहता परिवार ने ली और विजय तिलक मनीष मेहता रेखा मेहता, विधायक जितेंद्र सिंह पंड्या ने किया। वही नामाकरण की बोली पवन कुमार रखबचंद मेहता परिवार ने ली। चेन्नई के मनोज जैन ने गीत संगीत के साथ समा बाध दिया। आभार जयप्रकाश लूनिया व विनय मेहता ने माना।

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