इसके बाद निकली चरक अस्पताल के निरीक्षण पर, रात तक डटी रही टीम
उज्जैन, अग्निपथ। नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस (एनक्यूएएस) की दो सदस्यीय टीम ने गुरुवार को सबसे पहले जिला अस्पताल का दौरा किया। यहां पर इमरजेंसी कक्ष में काफी समय निरीक्षण के बाद टीम के सदस्य सीधे चरक अस्पताल पहुंचे। यहां पर समाचार लिखे जाने तक टीम के सदस्यों का निरीक्षण चलता रहा।
एनक्यूएएस की टीम में डॉ. संदीप शर्मा भोपाल और डॉ. श्रीमती स्नेहल वर्मा देवास से बुधवारा रात को ही उज्जैन पहुंच चुके थे। उक्त लोग सुबह सबसे पहले चरक अस्पताल पहुंचे जहां अफसरों द्वारा टीम के सामने जिला अस्पताल व चरक अस्पताल के संबंध में प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया। टीम के सदस्य इसके बाद निरीक्षण के लिए जिला अस्पताल निरीक्षण पर निकले। सबसे पहले टीम के सदस्यों द्वारा इमरजेंसी कक्ष का निरीक्षण किया गया।
यहां के रजिस्टर का निरीक्षण कर स्टाफ से सवाल जवाब भी टीम द्वारा किये गये। टीम के सदस्यों ने इमरजेंसी कक्ष के सामने स्थित क पांडर कक्ष में बनाये गये 5 बेड की मानिटरिंग यूनिट का भी निरीक्षण किया। कक्ष का पहले ही रेनोवेशन करवा दिया गया था। यहां पर पर्दे आदि भी लगा दिये गये थे। जिसके चलते टीम के सदस्य काफी प्रभावित दिखे।
टीम के सदस्य यहां पर सुबह 11.30 बजे से लेकर शाम 3.30 बजे तक बैठे रहे। टीम द्वारा सिविल सर्जन स्टोर का भी निरीक्षण किया गया। इसके बाद टीम सदस्य सीधे चरक अस्पताल के निरीक्षण पर पहुंच गये। ज्ञात रहे कि स्टैंडर्ड के मानकों पर पिछले वर्ष के सित बर माह में संभाग का सबसे बड़ा जिला अस्पताल इमरजेंसी कक्ष में लापरवाही के चलते खरा नहीं उतरा था। लिहाजा सिविल सर्जन द्वारा रिएसेसमेंट के लिये दोबारा अप्लाई किया गया था।
रात तक चलता रहा निरीक्षण
एनक्यूएएस की टीम के सदस्य जिला अस्पताल से सीधे चरक पहुंचे। यहां पर उन्होंने इमरजेंसी कक्ष, ओपीडी, वार्ड, लेबर रूम, स्टोर, सेकंड और फोर्थ लोर का निरीक्षण किया। समाचार लिखे जाने तक रात्रि 8 बजे तक टीम के सदस्य चरक अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे। दो दिवसीय दौरे में आज फिर से टीम के सदस्य जिला अस्पताल का दौरा करेंगे।
ज्ञात रहे कि नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टेंडर्ड की टीम द्वारा अस्पताल की व्यवस्थाओं, स्टाफ से पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तरों और प्रबंधन, मरीजों को दिये जाने वाले उपचार, सफाई व सुरक्षा सहित अनेक मापदंडों का आंकलन किया जाता है। टीम द्वारा इसके अंक भी दिये जाते हैं। अच्छे अंक मिलने पर शासन द्वारा अस्पताल प्रबंधन को लाखों रुपयों की राशि भी गुणवत्ता बनाये रखने के लिए दी जाती है।