उज्जैन, अग्निपथ। सांसद एवं प्रख्यात अभिनेत्री, नृत्यांगना हेमा मालिनी ने 7 मार्च को महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ बिड़ला भवन परिसर में ‘आर्ष भारत’ भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परम्परा, विक्रमकालीन मुद्रा एवं मुद्रांक, श्रीकृष्ण चौंसठ कलाएं, मालवा की चित्रावन शैली में एवं श्रीकृष्ण होली पर्व लघु चित्रों में श्रीकृष्ण की छवियां पर आधारित प्रदर्शनी का दीप प्रज्वलन कर शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन कर प्रदर्शनी की प्रशंसा की। विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, महापौर मुकेश टटवाल, सभापति कलावती यादव, सर्वश्री विवेक जोशी, संजय अग्रवाल, नरेश शर्मा, जगदीश पांचाल, विशाल राजौरिया, मुकेश यादव, श्रीराम तिवारी, शैलेंद्र कुमार शर्मा आदि उपस्थित थे। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केन्द्रित प्रदर्शनी आर्ष भारत में लगभग 120 से अधिक ऋषियों के जीवन और उनके योगदान को प्रदर्शित किया गया है।
इस प्रदर्शनी में देशभर के 25 से अधिक चित्रकारों द्वारा बनाये गये चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। इस प्रदर्शनी में अश्विनी शोध संस्थान के सहयोग से विक्रमकालीन मुद्रा एवं मुद्रांकों को प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के सहयोग से मालवा की चितरावन शैली में लोक कलाकार अनिल धूलजी शर्मा द्वारा बनाये गये श्रीकृष्ण की चौंसठ कलाओं पर आधारित चित्रों के साथ ही भारतीय लघु चित्र शैली में श्रीकृष्ण : होली पर्व व कृष्ण की छवियाँ प्रदर्शित की गयी है। यह प्रदर्शनी 7 मार्च से 9 अप्रैल तक सुबह 10.30 से रात 8 बजे तक सभी के अवलोकनार्थ खुली रहेगी।
उल्लेखनीय है कि आर्ष भारत भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परम्परा पर केन्रिलोत विश्व की सबसे प्राचीन भारतीय सनातन परम्परा को जिन ऋषि, महर्षि, आचार्य व असंख्य मेधावान पुरूषों ने अपनी साधना, तप, ध्यान व उससे अर्जित ज्ञान से पल्लवित किया, वह अद्वितीय है। सनातन की यह शाश्वत परम्परा जिसका न कोई आदि है और न कोई अन्त।
इसमें शामिल ज्ञान की अविचल धारा में उत्तरोत्तर सम्पूर्ण विश्व को नई दिशाएं प्रदान की हैं। ज्ञान को भारत में प्राचीन समय से ही सर्वाधिक महत्व प्रदान किया गया है। प्राचीनकाल से लेकर आज के आधुनिक समय तक ऐसे असंख्य क्षेत्र हैं, जिनमें भारतीय ज्ञान परम्परा से तय नवीन प्रतिमान स्थापित हुए हैं। इस पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई है।