उम्मीद से कम दर्शनार्थी : दूर के दर्शन नहीं भा रहे भक्तों को

300 फीट दूर से क्षणिक दर्शन से खुश नहीं आम दर्शनार्थी, दूसरों को नंदीहाल-गर्भगृह में देख बढ़ जाती है नाराजगी

उज्जैन, (हरिओम राय) अग्निपथ। इस बार महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल के मंदिर में दर्शन के लिए उम्मीद से कम दर्शनार्थी पहुंचे हैं। आखिर क्या कारण है कि भक्तों ने महाकाल मंदिर से दूरी बना ली है। जब इस बारे में कारण जाने गये तो लोगों ने मंदिर की व्यवस्थाओं को ही इसके लिए अधिक दोषी माना है।

महाशिवरात्रि पर महाकाल मंदिर में इस बार प्रशासन ने संभावना जताई करीब 12 लाख दर्शनार्थियों के आने की संभावना जताई थी। लेकिन आये करीब 40 फीसदी कम भक्त आए। शुक्रवार रात 2.30 बजे पट खुलने के बाद से रात 10 बजे तक 7 लाख 35 हजार भक्तों ने दर्शन किए। यह संख्या पिछले साल यानी 2023 से भी कम रही है।

पिछले साल यानी 2023 में महाशिवरात्रि पर 8 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। महाकाल लोक बनने के बाद पहली बार महाशिवरात्रि पर इतनी कम संख्या में लोग महाकाल मंदिर पहुंचे हैं।

गुरुवार को त्रिवेणी संग्रहालय में हुई प्रेस कांफ्रेंस में महाकाल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने दावा किया था कि इस बार महाशिवरात्रि पर 12 लाख श्रद्धालु आ सकते हैं। श्रद्धालुओं को 40 मिनट में दर्शन कराने की व्यवस्था बनाई है। हालांकि यह अनुमान मंदिर समिति ने वीकएंड और दो-तीन दिनों के शासकीय अवकाश के दौरान दर्शनार्थियों के आने की संख्या को देखते हुए लगाया था।

क्योंकि महाकाल मंदिर में आम दिनों में ही करीब डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु आते हैं। जबकि वीकेंड में यह संख्या 4 से 5 लाख तक पहुंच जाती है। इस आधार पर प्रशासन ने इस बार 12 लाख भक्तों के आने की संभावना जताई।

आम दर्शनार्थियों से भेदभाव रहा प्रमुख कारण

महाकाल मंदिर में बेहतर व्यवस्था के नाम पर प्रशासक संदीप सोनी के कार्यकाल में आम दर्शनार्थियों को भगवान महाकाल से दूर किया जाता रहा। गर्भगृह-नंदी हाल में आम दर्शनार्थियों का प्रवेश बंद कर उन्हें 300 फीट दूर बेरिकेड्स तक सीमित कर दिया गया। बेरिकेड्स में भी आगे की कतार शीघ्र दर्शन वालों (250 रुपए टिकटधारी) के लिए आरक्षित कर दी गई।

हजारों रुपए खर्च कर बाहर से दर्शन की अभिलाषा लिए आया आम दर्शनार्थी घंटो लाइन में लगकर जब बेरिकेड्स में पहुंचता है तो वहां वो क्षण भर के लिए ही बाबा की झलक पाता है और तुरंत बाहर कर दिया जाता है। ठीक से दर्शन नहीं कर पाने से नाराज आम दर्शनार्थी का आक्रोश उस वक्त और बढ़ जाता है जब वो नंदी हाल, गर्भगृह और गर्भगृह द्वार पर मंदिर समिति के कृपापात्र दर्शनार्थियों को दर्शन करते हुए देखता है।

व्यवस्था सुधारने की आड़ में व्यवसायीकरण

मंदिर समिति पिछले कुछ वर्षों से या यूं कहे कि महाकाल महालोक बनने के बाद भक्तों की भीड़ बढऩे के बाद से व्यवस्था सुधारने के नाम पर हर निर्णय के पीछे व्यवसायीकरण पर जोर दे रही है। जैसे भस्मारती दर्शन की नि:शुल्क अनुमति की व्यवस्था इतनी जटिल है कि अन्य शहर का दर्शनार्थी उसका लाभ ही नहीं ले सकता।

ऐसे में मंदिर समिति ने वीआर व्यवस्था से भस्मारती दर्शन को बढ़ावा दिया जो 250 रुपए प्रति व्यक्ति चार्ज कर मंदिर प्रांगण में ही भस्मारती दर्शन करा रहे हैं। इसके अलावा लड्डू प्रसाद के भाव में बढ़ौत्तरी, गर्भगृह दर्शन 750 रुपए (फिलहाल बंद), शीघ्र दर्शन 250 रुपए, पेड पार्किंग पर मनमानी लूट जैसे कई निर्णय हैं जो दर्शनार्थी की जेब पर भार डालते हैं।

वीआईपी कल्चर को बढ़ावा

मंदिर में आम आदमी को तो महाशिवरात्रि पर दर्शन के नाम पर करीब दो-तीन किमी पैदल घुमाया और कई किमी दूर वाहन खड़े करवा दिये। जबकि दूसरी ओर वीआईपी को नीलकंठ द्वार से महाकाल महाकाल लोक कंट्रोल रूम तक वाहन की अनुमति मिली, इसके बाद उन्हें मंदिर को दान मेें मिली ई-कार से आगे का सफर करवाया गया। पैदल भी उन्हें चंद कदम चलना पड़ा वो भी रेड कारपेट पर। यह सब व्यवस्थाएं देख आम आदमी और खासकर उज्जैन के स्थानीय लोगों ने मंदिर से दूरी बना ली और शिखर दर्शन से ही खुद को संतुष्ट कर रहे हैं।

यह कारण भी सामने आये

  • सीहोर कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव के कारण सामान्य भक्त सीहोर चले गये।
  • राम मंदिर निर्माण के बाद अब धार्मिक पर्यटन अयोध्या की ओर रुख कर गया।
  • मंदिर के आसपास होटल, अन्य व्यापारियों व रिक्शा चालकों द्वारा मनमाने वसूली।
  • पेड पार्किंग पर मनमानी वसूली, विरोध करने पर दादागिरी।

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