जनवरी 2023 से फरवरी 2024 तक 130 बच्चे हुए रैफर, 212 अचानक चले गए
उज्जैन, अग्निपथ। चरक अस्पताल में बच्चों व महिलाओं के लिए निजी अस्पताल जैसी सुविधाएं हंै। बावजूद यहां से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रैफर किए जाने का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। स्थिति यह हैं बीते 14 माह में करीब 130 बच्चे निजी अस्पतालों में रैफर किए गए हैं। जबकि चरक में गंभीर बीमारी के इलाज के लिए भी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं।
बड़ा सवाल यह हैं कि जब चरक अस्पताल में मरीजों के लिए निजी अस्पतालों से बेहतर वातावरण बनाया जा रहा है और निजी अस्पतालों जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं तो क्यों मरीज अन्य निजी अस्पतालों को तवज्जों दे रहे हैं। अधिकतर मरीज प्राथमिक जांच चरक अस्पताल में ही करवाते हैं, लेकिन जब प्रसव की बारी आती है तो बिना किसी को बताए या बिना डॉक्टर की सलाह के निजी अस्पतालों में चले जाते हैं, जो चरक अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहा हैं।
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक चरक अस्पताल स्थित नवजात शिशु स्थिरीकरण इकाई में जनवरी 2023 से 29 फरवरी 2024 तक विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त 2191 बच्चों को भर्ती किया गया। इनमें से 284 की असमय मौत हो गई, जबकि गंभीर परेशानियों के कारण यहां से 130 बच्चों को निजी अस्पतालों में रैफर कर दिया गया।
प्रायवेट अस्पतालों की चालबाजी, लामा होने वाले मरीज बढ़े
अस्पताल प्रबंधन की माने तो चरक अस्पताल में मरीजों को अनावश्यक रैफर किए जाने पर रोक लगी हुई है। किसी भी मरीज को रैफर किए जाने से पहले संबन्धित डॉक्टर और सिविल सर्जन से अनुमति लेना अनिवार्य है। बावजूद यहाँ बिना सूचना अस्पताल से जाने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है, जिन्हें अस्पताल की भाषा में लामा कहा जाता है। आंकड़ों पर गौर डालें तो बीते 14 माह में लगभग 212 मरीज चरक अस्पताल से बिना सूचना दिए चले गए हैं।