आक्सीजन प्लांट होने के बाद भी बाहर से खरीद रहे आक्सीजन सिलेंडर

कोरोना के समय लगाये गये थे, दोनों ओर से नुकसान पहुंचा रहे जिम्मेदार

उज्जैन, अग्निपथ। कोरोना के समय शासन का ध्यान अधिक से अधिक आक्सीजन प्रोड्यूस प्लांट लगाने पर था। इसी का नतीजा है कि जिला और चरक अस्पताल में चार आक्सीजन प्लांट लगाये गये थे। कोरोना तो चला गया और आक्सीजन प्लांट भी रनिंग कंडीशन में हैं, लेकिन बाहर से आक्सीजन सिलेंडर मंगाये जाने खेल आज तक जारी है। जबकि इन सिलेंडरों को यहीं से भरा जा सकता है।

कोरोना संक्रमण के दौरान कई लोगों की मौतों को देखते हुए प्रदेश शासन ने आक्सीजन की उपलब्धता लगातार सुनिश्चित करने के लिये प्रदेशभर में आक्सीजन प्लांट लगावाये थे। इसके लिये भारीभरकम राशि खर्च की गई थी। कोरोना के मरीज को सर्वाधिक परेशानी सांस लेने में आ रही तकलीफ की थी। लिहाजा जिला अस्पताल में 1, चरक में 3 और माधव नगर अस्पताल में 2 आक्सीजन प्लांट लगाये गये थे। इस तरह से कुल जमा 6 आक्सीजन प्लांट मरीजों की सांसों की निरंतता बनाये रखने के लिये लगाये गये थे।

इसके बावजूद कोरोना काल से ही तीनों ही अस्पतालों में बाहर से आक्सीजन सिलेंडर मंगाये जाते रहे। आक्सीजन की कमी का हवाला देते हुए कोरोना काल में तो यह सब चल गया लेकिन आज भी इन सिलेंडरों को मंगाया जा रहा है। जबकि तीनों ही अस्पताल के प्लांट रनिंग कंडीशन में हैं।

अब मरीजों की संख्या कम, फिर भी…

कोरोना के समय तो तीनों ही अस्पतालों के बेड मरीजों से हर समय भरा रहते थे। लिहाजा आक्सीजन सिलेंडर आम आदमी की पहुंच तक बनाये रखने के लिये बाजार में भी सिलेंडर मिला करते थे। अस्पताल में भी सिलेंडर मंगाये जाते रहे। लेकिन अब केवल आईसीयू में ही आक्सीजन का उपयोग हो रहा है। फिर भी आक्सीजन सिलेंडरों को मंगाया जा रहा है।

जिला अस्पताल में तो आक्सीजन सिलेंडर लगाकर आईसीयू तक आक्सीजन पाइपों से पहुंचाई जा रही है। एक तरह से माना जा सकता है कि बाहर से आये आक्सीजन सिलेंडरों की सहायता से मरीजों को आक्सीजन दी जा रही है। ऐसा ही चरक और माधव नगर अस्पताल में चल रहा है। जबकि तीनेां ही अस्पतालों में 6 आक्सीजन प्लांट मौजूद हैं।

जिला अस्पताल में प्लांट से कनेक्टीविटी नहीं

जिला अस्पताल में जो आक्सीजन प्लांट लगाया गया है, उसकी कनेक्टीविटी आईसीयू में नहीं है। ऐसे में बाहर से खरीदे जा रहे आक्सीजन सिलेंडरों की सहायता से मरीजों को आक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है। इन प्लांटों की उपयोगिता एक तरह से समाप्त कर दी गई है। जानकारी में आया है कि कमीशन के चक्कर में इन आक्सीजन सिलेंडरों की खरीदी की जा रही है।

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