प्राकृतिक जीवन शैली कार्यशाला, होली के रंग, प्रकृति के संग

छात्राओं को रासायनिक रंगो के हानिकारक प्रभाव के साथ बताया वैदिक होली का महत्व

उज्जैन, अग्निपथ। शा. कालिदास कन्या महाविद्यालय के इको क्लब द्वारा प्राकृतिक जीवन शैली कार्यशाला – होली के रंग, प्रकृति के संग आयोजित की गई।

प्रचार प्रसार समिति की डॉ. कविता मंगलम ने बताया कि दो दिवसीय कार्यशाला के प्रथम दिवस 20 मार्च को कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजा एवं वन्दना से किया जिसकी प्रस्तुति संगीत विभाग की छात्रा पलक बेदिया एवं खुशी वर्मा समूह द्वारा दी गई। सत्र के आरंभ में मुख्य वक्ता डॉ. दर्शना मेहता अतिथि व्याख्याता, रसायनशास्त्र अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक रंगो द्वारा इको फ्रेंडली होली पर विस्तृत चर्चा की गई।

उन्होने अपने व्याख्यान में प्राकृतिक रंगो का महत्व समझाया एवं रसायनीक रंगों से होने वाले नुकसान की जानकारी अपने व्याख्यान में दी। उन्होने कहा की रासायनीक रंगों में मरकरी, सिल्वर, लेड जैसे तत्व भी रहते है कुछ लोग इंजिन ऑयल सिल्वर कलर आदि खतरनाक रंगों का इस्तेमाल करते है। ऐसे रंगो से होली खेलने से चर्म रोग एवं केंसर जैसी बीमारियां हो जाती है। साथ ही वायू प्रदुषण एवं जल प्रदुषण इत्यादि भी फैलाते है। व्याख्यान कें अंत में प्राकृतिक रंग बनाने की विधि छात्राओं को सिखाई।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. सुधा श्रीवास्तव प्राध्यापक, प्राणीशास्त्र शा. कालिदास कन्या महाविद्यालय ने वैदिक होली का महत्व और रासायनीक रंगो के हानिकारक प्रभाव पर अपना व्याख्यान। आपने भारतीय ज्ञान परम्परा के अंतर्गत वैदिक होली के महत्व को विस्तार से समझाया। आपने छात्राओं से प्रत्यक्ष प्रश्नोत्तर के माध्यम से विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम के तृतीय वक्ता इको क्लब के प्रभारी डॉ. हरीश व्यास ने होली उत्सव का महत्व समझाते हुये युवा पीढ़ी में होने वाली डिम्प्रेशन की समस्या पर प्रकाश डाला।

उन्होने कहा प्राकृतिक वातावरण से दूर होने के कारण ही आज युवा पीढ़ी डिस्प्रेशन का शिकार है। हम विभिन्न उत्सवों के माध्यम से खुशी एवं प्रसन्नता का वातावरण निर्मित करते है जो हमें स्वस्थ रखता है। उन्होने प्राकृतिक रंगों का महत्व भी समझाया। महाविद्यालय की छात्रा अल्फिना काजी ने प्राकृतिक रंगों को तैयार करने संबंधी व्याख्यान दिया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. वन्दना गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राकृतिक रंगों का महत्व समझाते हुए होली का त्यौहार क्यों मनाते है, इस संबंध में चर्चा की।

इस कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अमिता सिंघल ने अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया एवं व्याख्यान के अंत में छात्राओं को प्राकृतिक रंगों को तैयार करने का प्रशिक्षण भी दिया। आभार डॉ. प्रीति गुप्ता ने माना। कार्यक्रम का प्रतिवेदन डॉ. लीना शाह ने तैयार किया एवं संचालन डॉ. अंजना जायसवाल ने किया।

वीडियों ग्राफी एवं फोटोग्राफी का कार्य अलिशा राठौर ने किया। कार्यक्रम में समस्त महाविद्यालयीन परिवार एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थी। महाविद्यालय के इको क्लब द्वारा इको फ्रेंडली होली पर पोस्ट प्रतियोगिता एवं प्राचीन भारतीय परम्परा में प्राकृतिक रंगों का महत्व विषय पर निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।

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