प्रशासनिक अधिकारियों को मामले की भनक तक नहीं लगी
नागदा, अग्निपथ। जिस तरह गैरे देश में व्यापारी बनकर आए थे और देश को गुलामी की जंजिरों पर बांध दिया था, ठीक इसी तरह जर्मनी से बैठकर भारत में उद्योग संचालन करने वाले गैरो श्रमिकों को उनकी मेहनत का पैसा नहीं दे रहे है ऐसे में श्रमिकों ने अपने हित की लड़ाई लडऩे का अनोखा तरीका निकाला।
शुक्रवार को उद्योग के एचआर आफिस के सामने श्रमिक हड़ताल पर बैठ गए, प्रबंधन मामले को रफादफा करने के प्रयास में था। दोपहर एक बजे तक प्रशासनिक अधिकारियों को कानों कान तक सूचना नहीं होने तक, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों का सूचना तंत्र भी उद्योग के सामने फैल होते नजर आया।
बिरलाग्राम पुलिस को एक मीडियाकर्मी से मामले की जानकारी लगी, तो आनन फानन में टीआई देशबंधुसिंह तोमर पुलिस फोर्स के साथ उद्योग परिसर में पहुंचे और हड़ताल पर बैठे श्रमिकों से चर्चा की। पुलिस के पहुंचने के बाद उद्योग के सुरक्षा एवं लेबर अधिकारी मौके पर आए और श्रमिकों से बात की।
श्रमिकों का कहना था कि एक नये श्रमिकों को रखा गया है जिसको 864 रुपए के मान से वेतन दिया जा रहा है जबकि अन्य श्रमिकों को 500 से 600 रुपए के मान से वेतन दिया जा रहा है। प्रबंधन के प्रतिनिधियों का कहना था कि स्थानीयस्तर पर वेतन में जितनी बढोतरी हो सकती है वह कर दी जाएगी, शेष मामले से वरिष्ठ प्रबंधन को अवगत करा दिया जाएगा।
गौरतलब है कि इसी मामले को लेकर 29 जनवरी 2024 को भी श्रमिक सुबह आठ बजे से रात्रि एक बजे तक उद्योग परिसर में हड़ताल पर बैठ गए थे। रात्रि में प्रशासनिक अधिकारी हरकत में आए थे, उसके बाद उद्योग के युनिट हेड गुलाटी श्रमिकों से चर्चा करने के लिए पहुंचे थे, गुलाटी के आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त हो गई थी।