पारदर्शी बॉटल में कीड़े देखने के बाद अधीनस्थों पर भडक़े
उज्जैन, अग्निपथ। हाल ही में शिप्रा नदी के रामघाट से छोटे पुल तक सभी घाटों पर मछलियां दूषित पानी के कारण मर गई थीं। पानी इतना दूषित और कीड़े युक्त हो चुका है कि इसमें स्नान, आचमन से श्रद्धालुओं को बीमारियां हो सकती हैं। शुक्रवार की सुबह नदी का पानी चेक करने नगर निगम कमिश्नर अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे। नदी से पारदर्शी बाटल में पानी भरा और देखा जिसमें कीड़े थे। उन्होंने अधीनस्थों को तुरंत पानी बदलने के निर्देश दिये।
शिप्रा नदी में कान्ह का दूषित पानी मिलना सबसे बड़ी समस्या है। इसका स्थायी समाधान अब तक अफसर निकाल नहीं पाये हैं। कान्ह का दूषित पानी मिलने के कारण जलीय जीव ऑक्सीजन के अभाव में दूषित पानी में दम तोड़ देते हैं और कीड़े युक्त पानी में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु स्नान, आचमन और पूजन करते नजर आते हैं।
शुक्रवार सुबह नगर निगम कमिश्नर आशीष पाठक अन्य अफसरों के साथ स्वयं पानी चेक करने रामघाट पहुंच गये। नगर निगम कमिश्नर पाठक ने शिप्रा घाट पर पहुंचकर पारदर्शी बाटल में पानी भरवाया और बाटल हाथ में लेकर पानी चैक किया जिसमें कीड़े दिखे।
उन्होंने तत्काल स्वास्थ्य विभाग के उपायुक्त सहित अन्य अफसरों से दूषित पानी के बारे में सवाल जवाब किये और निर्देश दिये कि दूषित पानी को तत्काल आगे बहाकर नर्मदा का साफ पानी स्टोर किया जाये।
उपायुक्त ने पानी की क्वालिटी चैक की
उपायुक्त संजेश गुप्ता, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी कुलश्रेष्ठ, नदी के घाटों की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले भाटी सहित अन्य लोगों ने सुबह शिप्रा नदी के पानी की क्वालिटी चेक की। उपायुक्त गुप्ता को एक कर्मचारी ने लौटे में नदी का पानी भरकर दिया। पानी में तैरते असंख्य कीड़ों को देखकर उपायुक्त गुप्ता भी सकते में आ गये। उन्होंने यहीं से अफसरों को फोन पर दूषित पानी की जानकारी दी। इस दौरान घाट के पंडे भी यहां एकत्रित हो गये।
पंडों ने बताया- मछलियां मर रहीं
पं. आनंद गुरू लौटावाला, पं. राजेश गुरू ने उपायुक्त को बताया कि पानी इतना दूषित है कि मछलियां मर रही हैं। ऐसे पानी में स्नान, आचमन लोगों की सेहत के लिये हानिकारक है। या तो पानी बदला जाये या फिर जो पानी स्टोर है उसे केमिकल से फिल्टर किया जाये। इसके जवाब में उपायुक्त गुप्ता ने कहा कि मेरे पास सीमित पॉवर हैं उसी के अनुसार काम कर सकते हैं।