शहर का चक्कर
कांति दा
एसपी और नपानि आयुक्त स्वीकारों बधाई
ना अपराधियों को भय, ना नगर में सफाई.
आंगल नववर्ष के पहले ही पेडिंग चालान न्यायालय में प्रस्तुत हो जाते हैं. नया पान, चूना, कत्था मुस्कारते होंठों पर लाली. सबको भाया.
यह अभिलाषा ही हरमन में रहती है,
हर दिन हरेक को खुशियों का त्योहार मिले.
प्रधानमंत्री की तरह जिला पुलिस अधीक्षक भी घोषणा करता है. अपराधी कोई भी हो सजा पाएगा. नगर पालिका कमिश्नर भी सफाई में शहर को नंबर एक बनाना है के गीत सूरज निकलने साथ गाना शुरू करता है. गली-चौराहे सुनते हैं. जो जाग जाता है. वो गीला-सूख जान जाता है. लेकिन जो अस्वस्थ है वृद्ध है, अपंग हैं वे गाड़ी का टेपरिकार्ड का संगीत सुनते, गुबार देखते रह जाते हैं. नपानि अधिकारियों की घोषणा कर्मचारी सहयोग करेंगे. हवा में उड़ती रहती है.
कमिश्नर और सहयोगी यदा-कदा आंखे दिखा जाते हैं आर्थिक दण्ड चिपका जाते हैं. इसे सफलता दिखाते हैं.
मेरी शहर में इज्जत बहुत है,
मगर खुद से मुझे नफरत बहुत है.
सोचा चलो, देव दर्शन कर लें. सालों से मिले नहीं. हाल चाल पूछ लें. धार्मिक पर्यटन केंद्र बन गया है तो बहुत बदल गया होगा. सिंहस्थ में मंदिरों का कायाकल्प हो गया है. कुछ नए मंदिर बने हैं. नये देवी देवता आ गए जम गए हैं.
उत्तरामुखी हनुमान से चले. पहले खतरनाक मोड़ पर गतिरोध स्पीडब्रेकर लगे थे. नदारद थे. जो अतिक्रमण हटे थे वे पुन: स्थापित हो गए हैं. सफाई का सवाल नहीं है. सिंहस्थ में सफाई हुई थी. अब शनिवार की शाम हो जाती है. सुबह सैर सपाटे हो जाते हैं.
स्थिरमन गणेश-महाकवि कालिदास की आराध्य गढक़ालिका मां मंदिर के पीछे. गुरुवर मत्स्थ्येंद्रनाथ पीरमच्छरनाथ के आसपास और क्षिप्रा किनारे. पन्नी कागज दोनों के ढेर दिखे. पुजारी तो पूजा चढ़ौत्री पर ध्यान देते हैं. नपानि की ओर से सफाई व्यवस्था का अभाव है जबकि देशभर से हजारों दर्शनार्थी आते हैं. मालूम नहीं आयुक्त नपानि की सफाई दायरा साहब लोगों की बस्ती, कुछ मुख्य सडक़ें होती हैं.
फुटपाथ चलने के लिये दुकानों के विज्ञापन बोर्ड रखने, सब्जी ठेला लगाने. मरी मछली बेचने. चाट दुकानों के लिए बनी है. पैदल को तो उखड़ी सडक़ पर चलना है. बचे तो भाग्य वरना अस्पताल जाना निश्चित है. आज नहीं तो १२ साल बाद सिंहस्थ में नंबर वन होगा मेरा शहर .
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प्रभु श्री रामानंदाचार्य को उत्तरीय उज्जयिनी क्षेत्र में अंकपात स्थित अखाड़ों ने धूमधाम से स्मरण किया. खाकचौक में रौनक रही. सभी अखाड़ा प्रमुखों ने शानदार आयोजन किया. भक्तजन भी उपस्थित थे.
सवा छह सौ साल पहले जनता में भ्रांत मान्यताओं का विस्तार जड़े जमा चुका था. ऊंच नीच की भावनाएं गहरी हो गई थी. सदगुण-सदाचार पलायित हो गए थे. विदेशी आक्रांतों ने समय को अपने पक्ष में उपजाऊ बनाया. भारत की संस्कृति सनातन धर्म का समूलाच्छेदन करने का पूरा प्रयास किया. मंदिरों को विध्वंसित किया.
घनघोर अंधकारमय वातावरण में त्रिवेणी संगम स्थित प्रयागराज में भक्ति भावना में पूरित अंतकरण वाले द्विजन दंपत्ति पुण्यसदनजी एवं सुशीलाजी ने पुण्यपुष्प श्रीराम को भारतमाता को समर्पित किया.
शिक्षादक्ष हो गंगातट श्रीमठ के आचार्य श्रीराघवानंदाचार्य से विरक्त-दीक्षा ली. श्रीरामभक्ति एवं षडधर श्रीराम मंत्र की परम्परा का संवर्धन किया.
युगाचार्य रामानंदाचार्य ने तत्कालीन देश समाज की परिस्थिति का आंकलन किया. धार्मिक क्रांति को नई व्याख्या दी. उन्होंने राजा राम और रामराज्य को अपनाने के बजाए संपूर्ण समाज की मानसिकता को वनवासी राम के कर्मकाण्ड को अपनाने का अनुष्ठान शुरू किया. राम के उत्तम चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया. रामजी का चरित्र का सर्वाेत्तम दर्शन पीडि़त, दु:खी, दलित, दुर्बल, अछूत को गले लगाने का कार्य किया. उनका साथ दिया. आचार्यश्री ने वनवासी रामचरित्र को समाज में प्रस्फुटित किया. यह राम की क्रांति समाज तक ले जाने का अनूठा काम श्रीरामानंदाचार्य ने किया. समाज समता को ध्येय बनाया.
निषादराज गुह केवट, श्री पीपाजी, श्री भावनानंदजी, श्रीसेनजी, श्री धन्नाजी, श्री गालवानंदजी, श्री रैदासजी, संत मलूतदासजी, संतयारी साहब, पलटूदासजी, संत बुल्लादासजी, भीखा साहब, धनीदासजी, जगजीवन साहब, संत दादूजी, संती वाजिद, संत रज्जब, संत बपना, जगतगुरु रामानंदजी के प्रशाद का परिणाम है कि सैकड़ों संत समाज को जोडऩे, भक्तिभाव जगाने भारत को एकसूत्र में गूंथने का भरपूर प्रयास.
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ना खाऊंगा ना खाने दूंगा,
वर्तमान भारत का प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी का यह शब्द अभी शहर, तहसील तक नहीं पहुंचा है. परिणाम प्रतिदिन भ्रष्टाचार बढ़ रहा है. हमारे जिला, शहर, तहसील का राजस्व विभाग प्रधानमंत्री को चुनौती देता है.
खाओ और खिलाओ
यह परम्परा सदा निभाओ.
उज्जयिनी के जिलाधीश कार्यालय की नकल शाखा की कर्मचारी ने प्रमाणित कर दिया. लूटो और बांटो. सालों एक ही पद स्थान पर बने रहो सबके प्रिय बने रहो. खाऊ पद पर बने रहना है तो ऊपरवालों को प्रसनन रखो.
शहर तहसील में जमे कई कर्मचारी पूरी सेवा शहर में इधर-उधर पद पर रहते निकाल देते हैं क्योंकि उन्हें सर्वप्रिय बने रहने का फार्मूला मालूम है. भ्रष्टाचार के महारथियों के कारण ही ३९ प्रतिशत भ्रष्टों का बोलबाला है. एक साल में भारत में भ्रष्टाचार ने छलांग लगाई है. विश्व में हम ४० नंबर पर हैं. पटवारी से तहसीलदार और उच्च पदासीन अधिकारी भरपूर सहयोग दे रहे हैं. कोई देशप्रेमी ईमानदार कठोर कलेक्टर आ भी जाए और जनसुनवाई में आदेश प्रसारित करे दे तो भी होशियार अधिकारी पतंग की तरह आदेश को उड़ाता रहता है. ऐसे अनेक में से एक दो की जानकारी लिखंूगा.
५० रुपये की नकल ७०० रुपये में देेने वाली नकल बाबू राशि त्यागी दुर्भाग्य से लोकायुक्त की नजर में आ गई.
धन्यवाद जगदीश कलाल ने साहस दिखाया लोकायुक्त से रंगेहाथ पकड़ा दिया. बिचौलियों के चक्कर में ७५ प्रतिशत लोग कलेक्टर के अधीनस्थ कार्यालयों में ठगे जाते हैं. गोपनीयता से जांच कराकर देख लो. सांच को अंाच क्या?
भ्रष्टाचार रक्त में शामिल,
कौन वाद-प्रतिवाद करे.
अखबारों में पढ़े सुर्खियां, व्यर्थ समय बर्बाद करें. हमारे कई प्रथम, द्वितीय श्रेणी रिटायर्ड मित्र रहे हैं. वे एकदम सही अनुभव बांटते थे. शासकीय विभागों में भ्रष्टाचार की परम्परागत आजादी के समय से शुरू हुई, जो पहाड़ बन गई.
राजनीति में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की दया से शुरू हुआ. पंजाब के मुख्यमंत्री श्री केरो अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार में संलग्र पाए गए. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कहा इनका इस्तीफा ले लो. नेहरूजी ने माफ कर दिया. केरोश्री के बचते ही मुख्यमंत्रियों के हौंसले बुलंद हो गए.
घूस कमीशन का भ्राता
चोली दामन का नाता
इस नाते को कर ताजा
मैं भी खाऊं तू भी खा…
शशि त्यागी ने पकड़ाते बोल दिया. मैं तो लेती हंू लेकिन सबको बांटती हूं. सब लेताओं को बता दिया. यह भी सच है. रिश्वत का आफिस समाप्त होते ही बंटवारा होता अथवा लाला की दुकान या नाईट पार्टी होती है. हमारे क्लास फेलो रहे पटवारी मित्र बताते थे. यार साहब तो देवता है लेकिन बाईसा का किचन देखने का काम तेरा रहता है. बंटवारे के कई तरीके होते हैं.
माननीय श्रम न्यायालय ने कलेक्टर को डिक्री रुपये की वसूली हेतु लिखित सूचना पांच-छह साल पहले दी थी. कलेक्टर ने तहसीलदार को आर. आर. सी. में कार्यवाही कर तुरंत वसूली आदेश दिए. वसूली अधिकारी मदयून अर्थात भुगतान दाता ने संपर्क कर लिया. वसूली टलती रही. श्रम न्यायाधीश कलेक्टर को रिमांड पत्र प्रेषित करते हैं. वर्तमान कलेक्टर के प्रथम कार्यकाल में जनसुनवाई में आवेदन दिया. कलेक्टर ने उज्जैन तहसीलदार को सख्त कार्यवाही करने आदेश दिया साहब ट्रांसफर हो गया. दोबारा आये हैं तब भी यथावत है.
पप्पू चमार ने दिनांक २.११.२० को वर्तमान कलेक्टर को रजिस्ट्री डाक से सूचना दी. ‘‘कृपया एक बार पत्र’’ आप स्वयं पढ़ लें. शायद मेहरबानी हो जाए.
प्रकरण क्रमांक ६२ कुर्क अमीन उज्जैन २०१८ ने दिनांक ११.०६.१८ को मय पटवारी सरदार परमार व चौकीदार रामप्रसाद ने मौके पर बकायादार सुरेश पिता कचरूलाल के रामवासा ईंट भट्टा १० लाख रुपये जब्त कार्यवाही कर चौकीदार की सुपुर्दगी में दिया था.
विक्रय होने के बजाए भट्टा मालिक और चौकीदार ने ईंटें विक्रय कर दी. श्री तहसीलदार को वसूलीकर्ता ने लिखित सूचना दी कि ‘‘अमानत में खयानत’’ हो रही है तुरंत कार्यवाही करने की कृपा करें.
वसूलीकर्ता भोपाल से उज्जैन कलेक्टर को निवेदन करता रहा.
प्रार्थी वसूलीकर्ता ने कलेक्टर से प्रार्थना की कि ‘‘तहसीलदार उज्जैन ने’’ ना तो वसूली राशि प्राप्त की और ना सुपुर्दगीदार चौकीदार और भट्टा मालिक पर अमानत में खयानत की फौजदारी कार्यवाही की.
बताए इस भ्रष्टाचार को किस श्रेणी में रखेंगे. बताईये कलेक्टर साहब क्या तहसीलदार को खूबसूरत भ्रष्टाचार के तरीके पर इनाम देंगे? भ्रष्टाचार तो बढऩा ही है. भ्रष्ट देशों में भारत होगा और उज्जयिनी की राजस्व विभाग राशि त्यागी सही कहती है. बंटवारा होता है.
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