कैडर बेस और संगठन को माता कहने वाले भाजपाई सत्ता के नशे में मदहोश होकर संगठन और भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश के समय लिए गए संकल्पों को भूल सिर्फ और सिर्फ स्वहित स्वार्थ तथा दूसरे की टांग खींचने में लगे होकर मातृ संस्था व पार्टी को बदनाम करने से बाज नहीं आ रहे है। आश्चर्य तो यह कि पदीय प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अपनी लाईन बड़ी करने के बजाय दूसरे की लकीर काटने के साम, दाम, दण्ड, भेद तक के तरीके अपनाने से नहीं चूक रहे।
भजपाई केकड़े ही भारतीय जनता पार्टी और मातृ संस्था को गत कुछ वर्षों से बदनाम वह भी घिनौने हथकंडों से कर रहे हंै। वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नायक पर बामनिया निवासी एक महिला ने मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाया। इससे पहले पूर्व जिलाध्यक्ष मनोहर सेठिया पर भी एक महिला के साथ फोटो वायरल कर आरोप लगाकर न केवल बदनाम किया गया था। बल्कि उन्हें पद से भी हटना पड़ा था।
राजनीति में इस तरह का दौर 90 के दशक से शुरू हुआ तब कांग्रेस सत्ता में भी तब कांग्रेसी एक दूसरे पर एट्रोसिटी लगवा कर प्रताडि़त करते थे। फलत: कांग्रेस की नैया उसके बाद पतन के गर्त में जाना शुरू हो चुकी थी। तत्कालीन समय के राजनीतिज्ञ और राजनीति में रूचि रखने वालों ने कांग्रेस के लिए यह कहना शुरू कर दिया था कि विनाश काले विपरीत बुद्धि और हुआ भी यही।
2003 में जिला जो कांग्रेस का अभेद्य गढ़ था पुराने खंडहर की तरह भर भरा कर राजनीति की बिसात पर गिर गया। कांग्रेस को अपनी जमीर बचाने के कितने भरसक प्रयास करना पड़े और अब भी करना पड़ रहे। यह कोई सच्चा, निष्ठावान कांग्रेसी ही सोच समझ सकता और बता सकता है। यही हाल 2003 के बाद सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी के होने लगे हैं।
कांग्रेसी तो एट्रोसिटी को हथियार बनाते थे किन्तु भाजपाइयों ने तो लक्ष्मण को हटाने के लिए पार्टी की ही लक्षण रेखा पर कर दी। वह भी किसी कांग्रेसी विचारधारा वाले के साथ मिलकर। इन सब बातों का खुलासा तब हुआ जब स्वयं भाजपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि उनके ही संगठन के कुछ लोग कांग्रेसी लोगों के साथ मिल कर षड्यंत्र कर रहे। अब तो सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगा कि लक्ष्मण के साथ कितने षड्यंत्र करोगे, तुम्हें राम से डर नहीं लगता?
तुम राम के भक्त हो ही नहीं हो सकते। मामले की सच्चाई तो अब पुलिस को लगाना है कि आखिर वास्तविक सत्य क्या है। क्योंकि जिस तरह पुलिस अधीक्षक कार्यालय में महिला ने पत्रकारों को बताया कि चार पांच माह पहले पति से विवाद के पश्चात एसपी कार्यालय आयी थी और वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष ने सहयोग का आश्वासन देते हुए मोबाइल नंबर आदान प्रदान किये थे। उसके बाद से ही लक्ष्मण सिंह उन्हें परेशान करने लगे, कभी खाटूश्याम जाने की बात कर मानसिक प्रताडि़त करते और पति को जान से मारने की धमकियां भी देने लगे।
एक स्थानीय भाजपाई ब्रजभूषण पर भी आरोप लगाए जो कि महिला ने आवेदन में भी उल्लेखित किया है। अब पुलिस इस बात की जांच में जुटी है कि आखिर एक महिला अपने पति से पारिवारिक विवाद में शीघ्र कर्रवाई हेतु एसपी कार्यालय तक पहुंच सकती तो कोई अन्य व्यक्ति मानसिक प्रताडि़त करे तो उसके खिलाफ आवेदन देने में इतना विलम्ब क्यों?
खैर अब मामला भाजपा संगठन में जिलाध्यक्ष पद को लेकर तो पुलिस में किसी जनप्रतिनिधि पर लगे महिला प्रताडऩा के मामले का दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए उनके पाले में है। भाजपाई राजनीति में रूचि रखने वालों की माने तो यह मामला गत दिनों शराब माफिया पर हुई कारवाई का टोकन था। जिसका प्रमाण भैया और भाई साहब का संरक्षक मिलन कर रहा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा में इस तरह के कृत्य जारी रहे तो आने वाले समय मे भाजपा की नैया भी कांग्रेस की तरह राजनीति के भंवर में गोते लगते हुए डूब जाएगी।