पहले फेज में सप्त ऋषियों की मूर्तियां लगायेंगे, विक्रमादित्य शोधपीठ के मार्गदर्शन में बन रही नई मूर्तियां
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल महालोक में लगी मूर्तियों में एक बार फिर बदलाव करने की तैयारी की जा रही है। इस बार 2.50 करोड़ की लागत से पत्थरों की मूर्तियां लगाई जाएंगी। फिलहाल सिर्फ सप्त ऋषियों की मूर्तियां बदली जा रही है। ओडिशा के कलाकारों ने मूर्तियों को तराशने का काम शुरू कर दिया है। पहले फेज में सप्तऋषि की मूर्तियां बनाई जाएंगी, इसके बाद बाकी मूर्तियों को भी बदला जाएगा।
महाकाल महालोक में सप्त ऋषियों की मूर्तियों को दूसरी बार बदलने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, पिछले साल 29 मई 2023 को महाकाल लोक में स्थापित सप्त ऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां आंधी-तूफान की वजह से गिर गई थी। 66 लाख रुपए में फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक (एफआरपी) से बनी ये मूर्तियां वजन में हलकी और भीतर से खोखली थीं। इस कारण तेज हवाओं के थपेड़े सहन नहीं कर सकी और धराशायी हो गई थी। मूर्तियों के गिरने के बाद महाकाल महालोक में अगस्त 2023 में एक बार फिर नई मूर्तियां लगाई गईं। अब फिर बदलाव करते हुए यहां पत्थरों की मूर्तियां लगाई जा रही हैं।
ऋषियों के स्वभाव के मान से तैयार किये गये हैं चेहरे
सप्त ऋषियों की प्रतिमाओं को महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ में तैयार किया जा रहा है। सप्त ऋषियों के चेहरे पौराणिक कथाओ के मुताबिक सप्त ऋषियों के स्वभाव के मान से कल्पना किये गये हैं। भगवान श्री राम की प्रतिमा का स्कैच बनाने वाले बनारस के कलाकार सुनील विश्वकर्मा ने ही सप्त ऋषियों के चेहरे व मूर्तियों का स्कैच बनाया है।
हर मूर्ति का स्कैच प्रतिमा विज्ञान के आधार पर तैयार करवाया गया है। इसके लिए विभिन्न पौराणिक ग्रंथ का अध्ययन कर यह जाना गया कि सप्त ऋषियों में कौन से ऋषि किस विधा के जानकार थे। उनका स्वभाव कैसा था, ग्रंथ में दी गई जानकारी के आधार पर उनके शारीरिक सौष्ठव की कल्पना की गई है।
जिस तरह से अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा की आंखें पत्थर पर ही तराशकर बनाई गई हैं, महाकाल महालोक में सप्त ऋषि की मूर्तियों की आंखें भी ऐसी ही बनाई जाएंगी। ताकि ये जीवंत नजर आएं।
6 महीने और लगेंगे मूर्तियां तैयार होने में
हरि फाटक के पास स्थित हाट बाजार में इन प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी कहते हैं, सप्त ऋषि की मूर्ति का निर्माण 6 महीने में होगा। ओडिशा के कोणार्क से 10 कलाकार ईश्वरचन्द्र महाराणा, जितेन्द्र स्वाई, गंगा पालुआ, शिबुना कांडी, मुन्ना बेहरा, कंडुरीदास, कार्तिक दास, प्रशांत कांडी, पूर्णचन्द्र कांडी इन मूर्तियों को तैयार कर रहे हैं। ये कलाकार पत्थर की शुरुआती कटिंग का काम करेंगे। इसके बाद मूर्ति को तराशने अलग कलाकार आएंगे।
आध्यात्मिक अनुभूति कराएगी पत्थर की मूर्तियां
पत्थर की मूर्ति बना रहे कलाकारों का कहना है कि अभी महाकाल महालोक में जो मूर्तियां लगी हैं वो आध्यात्मिकता का एहसास नहीं करातीं। अब जो मूर्तियां वो बनाएंगे वो जीवंत दिखेगी और आध्यात्मिकता का अनुभव भी होगा। कलाकार ईश्वरचंद्र कहते हैं कि उनका परिवार पिछले 200 सालों से मूर्तिकला से जुड़ा है। वे खुद 22 साल से इस काम को कर रहे हैं।
महाकाल महालोक में पहले ही स्थापित होना थी पत्थर की मूर्तियां
महाकाल महालोक में पिछले साल 29 मई को जब आंधी-तूफान की वजह से सप्त ऋषि की मूर्तियां धराशायी हो गई थीं, तब इस मामले में लोकायुक्त ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिक केस दर्ज किया था। लोकायुक्त की टेक्निकल टीम ने इसकी प्रारंभिक जांच भी की थी। इसमें पता चला कि मूर्तियों की न तो ड्राइंग बनी थी, न ही डिजाइन।
टेंडर एग्रीमेंट में जिम्मेदार अफसरों के दस्तखत भी नहीं थे न ही मूर्तियों का स्पेसिफिकेशन तय किया था। लोकायुक्त ने उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड को जो नोटिस भेजा था उसमें लिखा था कि ऐसा लगता है कि मूर्तियों का निर्माण ठेकेदार की मर्जी से हुआ है। जब अनुबंध में प्रावधान ही नहीं था तो फिर काम किस आधार पर और कैसे करवाया गया ?