नियमों के तहत की गई है महाकाल मंदिर में पंडे-पुजारी की नियुक्ति

कलेक्टर से मिले मंदिर के पंडे पुजारियों ने ज्ञापन सौंपकर कहा – महाकाल एक्ट की गलत जानकारी दी जा रही, कार्रवाई की जाये

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में नियुक्त पुजारी, पुरोहितों एवं प्रतिनिधियों की नियुक्ति के संबंध में सारिका गुरु पति जयराज चौबे के द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से जो जानकारी दी गई है वह बिल्कुल असत्य व निराधार है।

यह जानकारी महाकाल मंदिर के समस्त पुजारी, पुरोहितों ने गुरुवार को श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपकर दी। मंदिर की पुजारियान समिति के अध्यक्ष पुजारी विजयशंकर गुरु एवं पुरोहित समिति के अध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने संयुक्त रूप से जानकारी देेते हुए बताया कि ऐसा दुष्प्रचारित किया जा रहा है कि महाकालेश्वर मंदिर एक्ट 1982 में पुजारी, पुरोहित प्रतिनिधि की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है, बावजूद इसके प्रतिनिधि रखने व उनके द्वारा पूजा, अर्चना करने को लेकर जो भी जानकारी दी है वह आधारहीन है।

पुजारी, पुरोहितों ने इसे स्पष्ट करते हुए कलेक्टर सिंह को बताया कि यह जानकारियां केवल मंदिर के पुजारी, पुरोहितों की प्रतिष्ठा को दुर्भावना पूर्वक धूमिल करने के उद्देश्य से प्रकाशित कराई जा रही है। जबकि श्री महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम की धारा 42 के अंतर्गत उपविधि बनाई गई है जिसकी उप धारा 2 में उन बातों के संबंध में उपविधियां बनाए जाने का भी स्पष्ट उल्लेख है जिसमें पुजारी, पुरोहित के संबंध में उपविधि क्रमांक13 में पुजारी, पंडा, सेवकों की सूची बनाने की प्रक्रिया का वर्णन है। जिसमें मंदिर प्रशासन के अंतर्गत महाकालेश्वर मंदिर में पूजा, अर्चना व कर्मकांड की व्यवस्था की दृष्टि से पुजारी, पंडा, सेवक एवं अन्य कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे।

उनके श्रेणीवार नाम, अर्हताएं, उनके नाम के लिखे अनुसार रहेंगे और उनके द्वारा संपादित हो सकने वाले कार्यों का विवरण मंदिर से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान आदि शामिल है। उपरोक्त उपविधि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के आधार पर अधिनियम की धारा 42 -2 एन को दृष्टिगत रखते हुए बनाई गई है। इसके संदर्भ में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर मुख्य पीठ द्वारा रामचंद्र विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन आदि में पारित निर्णय दिनांक 22 जून 1987 में यह विशेष उल्लेख किया गया है।

ज्ञापन में कहा गया कि सारिका गुरु द्वारा पूर्व में भी कई बार मंदिर के प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष पंडे, पुजारियों के विरुद्ध शिकायत की गई है तथा मंदिर में स्वयं की नियुक्ति हेतु भी आवेदन उनके द्वारा किए गए हैं। किंतु न्यायालय द्वारा आवेदन निरस्त किए गये हैं। मंदिर के समस्त पंडे, पुजारी मंदिर के नियमों का पालन कर रही अपना कार्य कर रहे हैं। पंडे पुजारियों ने आज तक कभी ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिससे स्वयं व मंदिर की प्रतिष्ठा धूमिल हो।

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