किसी को दो तो किसी को पांच हजार रुपए मिले, थंप इंप्रेशन मशीन की वजह से बने यह हालात
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति में आउटसोर्स कंपनी केएसएस के कर्मचारियों को मार्च महीने का वेतन कम मिलने का मामला सामने आया है। कटौती भी जबर्दस्त हुई है। आठ से 11 हजार रुपए तक का वेतन पाने वाले कर्मचारियों में खाते मेें आधे से भी कम रुपए आये हैं। इसके पहले सुरक्षाकर्मियों के खाते में वेतन से कम रुपए आये थे। जो तकनीकी त्रुटि बताकर बाद में जारी किये गये थे।
केएसएस कंपनी के महाकाल मंदिर मेें करीब 800 कर्मचारी कार्यरत हैं, जो सफाई व्यवस्था, लड्डू यूनिट, अन्न क्षेत्र, कार्यालयीन व्यवस्था आदि में सेवाएं दे रहे हैं। काम के मुताबिक कंपनी द्वारा कर्मचारी को 8 से 11 हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाता है। 4 अप्रैल को कर्मचारियों के खाते में मार्च माह का वेतन आया तो सभी हैरान रह गये। किसी के खाते में दो हजार से किसी के खाते में अधिकतम पांच हजार रुपए आये हैं। कम वेतन देख कर्मचारियों में आक्रोश है।
तकनीकी गलती के कारण ऐसा हुआ है
सूत्रों के मुताबिक महाकाल मंदिर समिति ने अब नियमों को कड़ा करते हुए प्रत्येक कर्मचारी की कम से कम आठ घंटे की ड्यूटी अनिवार्य कर दी है। इसके लिए थम्ब इंप्रेशन मशीन से अटेंडेंस लगाई जा रही है। जिसके जरिए कर्मचारी को आते और जाते वक्त अटेंडेंस लगाना है। इस महीने से व्यवस्था ऐसी हो गई है कि अगर थंब इंप्रेशन मशीन के मुताबिक किसी कर्मचारी के आने और जाने के समय में आठ घंटे पूरे नहीं हो रहे हैं तो मशीन उसे अनुपस्थित बता देती है। इस कारण कर्मचारियों की अनुपस्थिति के दिन कम आये और उसके मुताबिक ही कंपनी ने इनका वेतन जारी कर दिया।
मंदिर समिति को पत्र लिखा है
केएसएस कंपनी के स्थानीय मैनेजर जितेंद्र चावरे ने बताया कि कम समय की ड्यूटी को अनुपस्थिति मानने के कारण वेतन कम जारी हुआ है। मंदिर समिति को इसके लिए पत्र लिखा है। मंदिर समिति अगर सुधार करती है तो कंपनी के मुख्यालय को अपडेट अटेंडेंस भेज दी जायेगी।
क्रिस्टल कंपनी के सुरक्षा कर्मचारियों के साथ भी हो चुका है ऐसा
इसके पहले मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में लगे कर्मचारियों के साथ भी ऐसा हुआ है। उन्हें मार्च के आखिरी सप्ताह में फरवरी महीने का वेतन मिला था, जो कि काफी कम था। उसकी जांच हुई तो उसमें भी थंब इंप्रेशन मशीन के कारण उपस्थिति कम आई थी। जबकि सभी कर्मचारियों ने पूरे महीने ड्यूटी दी थी। बाद में मंदिर समिति की ओर से सुधार किया गया और एक-दो दिन पहले ही शेष वेतन उनके खाते में आया है।