करीब पांच स्थानों पर लगाए जाएंगे ओजोनेशन प्लांट
उज्जैन, अग्निपथ। पीएचई ने शिप्रा नदी में मिल रहे गंदे नालों का पानी को रोकने के लिए सिंहस्थ की दृष्टि से 10 करोड़ की योजना बना ली है। इस दौरान नदी का पानी साफ रखने के लिये ओजोनेशन प्रक्रिया को अपनाया जायेगा। एयर बबल प्रक्रिया भी अपनाई जायेगी।
कुंड, बावड़ी और नदी जैसे जलस्रोतों का पानी साफ रखने की नई तकनीकी ओजोनाइजेशन है। इसके साथ एयर बबल की प्रक्रिया भी अपनाई जाती है। सिंहस्थ 2016 में शिप्रा के घाटों पर स्नान के लिए साफ और बैक्टेरिया रहित पानी उपलब्ध कराने के लिए इस तकनीकी का उपयोग किया गया था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हर समय पानी की जांच कर गुणवत्ता प्रदर्शित की जाती थी।
ताकि यात्रियों को पानी की गुणवत्ता पता रहे। सिंहस्थ 2028 में भी शिप्रा नदी के पानी को साफ रखने के लिये इसी प्रक्रिया को एक बार फिर से अपनाया जाएगा। सिंहस्थ के दौरान ओजोनेशन किए जाने से शिप्रा नदी का पानी साफ रहेगा। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन को ओजोन में परिवर्तित कर पानी में मिलाया जाता है।
इस ओजोन मिश्रित पानी में किसी भी प्रकार के कीटाणु, रसायन और जैव अशुद्धियाँ नहीं टिक पाती हैं। ओजोनेशन प्लांट करीब पांच स्थानों पर लगाए जाएंगे। सिंहस्थ की सम्पूर्ण अवधि में 5 संयंत्र 24 घंटे कार्य करेंगे। इस प्रक्रिया से सिंहस्थ में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं को स्नान के दौरान शुद्ध पानी मिल सकेगा।
नगर निगम ने रामघाट पर लगाये चार फ्लोटिंग फाउंटेन
पर्यावरण एवं वातावरण को साफ स्वच्छ रखने हेतु नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत नगर निगम द्वारा विभिन्न स्थलों पर फाउंटेन लगाए जाने के साथ ग्रीन वर्टिकल वॉल एवं साइकिल ट्रैक का निर्माण किया गया है। निगम आयुक्त आशीष पाठक के निर्देशानुसार प्राप्त राशि से शिप्रा नदी में ओजोनेशन एवं पानी की शुद्धता को दृष्टिगत रखते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गए थे कि नदी में फ्लोटिंग फाउंटेन लगाए जाएं, जिसके चलते क्षिप्रा नदी में फाउंटेन लगाए जाने का कार्य किया गया है। जिससे पानी भी साफ स्वच्छ होगा एवं जलीय जीव जंतु के लिए भी उपयोगी रहेगा।