स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नहीं मालूम कब और कहां शुरू होगा
उज्जैन, अग्निपथ। आजादी के 77 वर्ष बाद भी उज्जैन में अभी तक सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं खुल पाया है, इससे आम जनता को मिलने वाली आधुनिक तरीके से इलाज की स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही हैं। इसके लिए अभी भी इंदौर और गुजरात का मुंह यहां के लोगों को देखना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज के लिए स्वीकृति और अन्य बजट होने की बात कही जाती है लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ कि आखिर यह कब और कहां बनेगा।
उपरी स्तर पर फिलहाल फाइलों में ही मेडिकल कॉलेज का काम चल रहा है। उज्जैन शहर में सुविधाओं का शासकीय तौर पर बड़ा विकास नहीं हो पाया है। शहर के निजी अस्पतालों में जो जाँच की सुविधा है वह शासकीय अस्पताल में अभी तक नहीं हो पा रही है। यहां मशीन तो आई लेकिन उन्हें चलाने वाले टेक्नीशियन की नियुक्ति नहीं होने के कारण कई मशीन अस्पताल में धूल खा रही हैं, वहीं शहर में सरकारी मेडिकल कॉलेज की बात पर अब तक कई विधानसभा चुनाव लड़े जा चुके हैं।
रतलाम जैसे छोटे शहर में सरकारी मेडिकल कॉलेज खुले 7 से 8 साल हो गए, लेकिन उज्जैन में अभी तक मेडिकल कॉलेज नहीं खुल पाया, जबकि विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंजीनियरिंग कॉलेज में शासकीय मेडिकल कॉलेज बनाने के कार्य का भूमिपूजन किया था। बाद में न जाने कहाँ बात उलझ गई और बाद में कहा गया कि विश्वविद्यालय परिक्षेत्र में मेडिकल कॉलेज बनेगा और इसके भी दावे किए जाने लगे। इसके बाद सामाजिक न्याय परिसर, नरेश जिनिंग फैक्ट्री में भी मेडिकल कॉलेज बनाने की बात कही गई लेकिन अब तक कुछ तय नहीं हो पाया है। अभी हाल ही में जिला चिकित्सालय की जमीन पर पुराने चिकित्सालय को डिस्मेंटल कर यहाँ मेडिकल कॉलेज बनाने की बात कही जा रही है लेकिन अभी भी यह मामला अधर में लटका है।
दिल और न्यूरोलॉजी इलाज के लिये इंदौर जाओ
मेडिकल कॉलेज नहीं होने के कारण ग्रामीण और गरीब मरीज को समुचित इलाज नहीं मिल पाता है। इतना ही नहीं दिल और न्यूरोलॉजी से संबंधित बीमारियों के लिए भी यहां की जनता को इंदौर और गुजरात का मुंह देखना पड़ता है। आखिर शासकीय मेडिकल कॉलेज कब शुरू हो पाएगा यह अभी कोई नहीं बता सकता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से पूछो तो उनको भी इस बात की जानकारी नहीं है कि कॉलेज कहां पर और कब बनेगा। हालांकि सिंहस्थ के पहले मेडिकल कॉलेज शुरू होने की बात कही जा रही है, लेकिन मेडिकल कॉलेज को बनने में पूरे 3 से 4 साल लग जाएंगे। कुल मिलाकर शहर को एक मेडिकल कॉलेज नहीं मिल पाया और एमआरआई और अन्य बड़ी जांच अभी तक सरकारी अस्पताल में शुरू नहीं हो पाई है।