हरिओम राय
महाकाल मंदिर उज्जैन में सुबह भस्मारती में महिलाओं को पल्लू से सिर ढंकने की आवाज लगाने वाले महाकाल सेवक सत्यनारायण सोनी अब नहीं रहे। धुलेंडी पर हुए अग्निकांड में सोनी सर्वाधिक झुलसे थे। करीब 15 दिन इलाज के बाद बुधवार 10 अप्रैल 2024 को वे नहीं रहे। सत्यनारायण सोनी को भले ही कोई नाम से नही जानता हो लेकिन उनकी आवाज से उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। उनका कद जरूर सामान्य था लेकिन आवाज बुलंद थी।
भस्म आरती में भक्तों तक संदेश वे ही पहुंचाते थे। चम्मू गुरू ने बताया कि भस्मारती श्रृंगार के दौरान भक्तों से भेंट-दान एकत्रित करने के लिए वे ही आवाज लगाते थे और सामग्री एकत्रित कर गर्भगृह तक पहुंचाते थे। श्रृंगार के बाद जब भगवान महाकाल को भस्म चढ़ाने का वक्त आता उस वक्त भी उनकी बुलंद आवाज गूजती थी- माता-बहनें अपना सिर पल्लू से ढंक ले। भगवान महाकाल को भस्म चढऩे वाली है। माता-बहने भगवान को भस्म चढ़ते हुए नहीं देंखें।
और जब भस्म चढ़ जाती थी तब भी उनकी आवाज गूंजती थी- बाबा को भस्म चढ़ चुकी है महिलाएं अपना पल्लू हटा लें और बाबा के दर्शन करें। यह बुलंद आवाज ही मंदिर परिसर में बैठे लोगों को भस्म चढऩे संदेश देती थी।
आशीष पुजारी ने बताया श्री सोनी की सेवा सच्ची थी। वे पिछले करीब 40 से अधिक सालों से रोज नियमित रूप से भस्म आरती में सेवा दे रहे थे, वो भी नि:शुल्क। भस्म आरती में सफाई करना हो, पूजन सामग्री एकत्रित करना हो, थाली सजाना हो या अन्य कोई भी काम हो वे हमेशा हर कार्य करने के लिए तत्पर होते थे।
महाकाल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबा महाकाल की पूजा करने के लिए भले ही कोई भी पुजारी मंदिर में आते हों लेकिन उनके सहयोगी के रूप मे सत्यनारायण सोनी सेवा देने के लिए जरूर मौजूद रहते थे। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति सदस्य पुजारी श्रीराम शर्मा ने बताया कि कई बरसों से महाकाल भक्त सत्यनारायण सोनी भस्म आरती में अपनी सेवाएं दे रहे थे पुजारी परिवार की तीन पीढिय़ों के साथ उन्होंने बाबा महाकाल की सेवा की। अंत भी उनका महाकाल के चरणों में हुआ। बुधवार को उन्हें भोले के धाम के लिए बिदाई दी गई।