अर्जुन सिंह चंदेल
चुनाव का मौसम आते ही ‘आयाराम-गयारामों’ के शरीर में उनकी अंर्तचेतना जागृत हो जाती है। यह आयाराम-गयाराम आत्मा की आवाज पर अपनी मातृ संस्था को अलविदा कहकर दूसरे दल में प्रवेश कर जाते हैं। कई आत्माएं तो इतनी पवित्र होती है कि वह कई बार चोला (यानि राजनैतिक पार्टी) बदल लेती है। हम सब भारतीय सौभाग्यशाली है विशेषकर बिहार के निवासी जहाँ के ‘नीतिश बाबू’ अनेक बार चोला बदलने का विश्व रिकार्ड बना चुके हैं।
इन दिनों 100 वर्षों से भी अधिक पुरानी काँग्रेस पार्टी में आत्माएं ज्यादा जागृत हो रही है। प्रतिदिन छुटभैये से लगाकर दो-दो तीन-तीन बार के विधायक रहे भी काँग्रेस को छोडक़र भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं। कुछ अपवादों को छोडक़र देखा जाए तो आयाराम-गयाराम कुछ समय बाद ही अपना अस्तित्व खो देते हैं ठीक उसी तरह जैसे नदी, नाले सागर में मिलने के बाद खुद का।
देश के राजनैतिक दलों की बात करें और विशेषकर उत्तर भारत की जहाँ पर भारतीय जनता पार्टी और काँग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर है (मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान) में तो काँग्रेस छोडक़र भाजपा में जाने वालों की लंबी कतार सी लग गयी है। इन राज्यों में भाजपा समु्रद की तरह लहराता राजनैतिक दल है और उसमें छोटे-छोटे नदी, नाले विलीन होकर अपना अस्तित्व ही समाप्त करते दिख रहे हैं।
दूसरी उपमा यह भी दी जा सकती है कि किसी समय सुचिता की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी गंगा की तरह पवित्र मानी जा सकती थी जो अपने सिद्धांतों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करती थी। सत्ता प्राप्ति लक्ष्य ना होकर देशहित सर्वोपरि मानती थी। राम तेरी गंगा मैली हो गयी पापियों के पाप धोते-धोते।
की तर्ज पर सारे अपवित्र आचरण रखने वाले नेता भाजपा की ओर रूख कर रहे हैं जिससे भविष्य में भाजपा के भी अपवित्र होने का खतरा बढ़ गया है। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को दलबदल के इस तात्कालिक लाभ के खातिर भविष्य में आने वाले दुष्परिणामों पर भी विचार-मंथन करना चाहिये।
१- अपनी मातृ संस्था को छोडक़र आने वाला क्या भाजपा के प्रति वफादारी निभा पायेंगे?
२- भारतीय जनता पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता अपने आपको ठगाया हुआ महसूस कर रहा है उसके हितों पर दलबदलू डाका डाल रहे हैं।
३- भाजपा में घुस आयी भेड़ें भविष्य में यदि एकजुट हो गयी तो परेशानी पैदा कर सकती है।
४- अनुशासन के लिये जानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी में भारी संख्या में आये दलबदलू क्या अनुशासन को कायम रख पायेंगे?
इस जैसे अनेक मुद्दे भविष्य में भाजपा के लिये खतरा बने बिना नहीं रहेंगे
वैसे मेरे देश का मतदाता बहुत जागरूक है भारतीय प्रजातंत्र के इतिहास में अनेक ऐसे अवसर आये जब हिंदुस्तानी मतदाता ने अपने निर्णय से पूरे विश्व को चौंकाया है। चाहे वह देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध जनमत का हो जब राजनारायण जैसे साधारण आदमी को लोगों ने वोट दिया। फिर चाहे वह दस्यु सुंदरी फूलन देवी को संसद में पहुँचाने का या फिर मध्यप्रदेश में हुए 2020 में विधानसभा उपचुनावों में दलबदल कर गये उम्मीदवारों को विजय श्री दिलाने का मामला हो भारतीय मतदाता समय-समय पर चौंकाने वाले परिणाम देने में सिद्धहस्त है।