महाकाल मंदिर: नंदी हाल में प्रतिबंध मात्र दिखावा; अधिकारी-मंत्री का प्रोटोकाल बताकर दी जा रही है लोगों को नंदी हाल में एंट्री

नई व्यवस्था बनाने के दावों के बीच मंदिर समिति ही तोड़ रही खुद के बनाये कायदे

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में धुलेंडी के दिन हुए अग्निकांड के बाद तमाम प्रतिबंध लगाने का दावा मंदिर समिति ने किया था। जिसके तहत नंदी हाल में प्रवेश प्रतिबंधित किया था। लेकिन प्रतिबंध का असर खुद मंदिर के जिम्मेदार ही तोड़ रहे हैं। रोज नंदी हाल में कोई न कोई अंदर दिखाई देता है। पूछने पर किसी मंत्री या वरिष्ठ अधिकारी का गेस्ट होने का पाइंट बताया जाता है।

महाकाल मंदिर समिति ने दावा किया था कि गर्भगृह में लोगों की आवाजाही समाप्त करने के लिए वहां से मीडियाकर्मी, पंडे-पुजारी व प्रोटोकाल के तहत आने वाले लोगों का प्रवेश प्रतिबंध किया जा रहा है। इन लोगों को एक नंबर बेरिकेड्स से दर्शन कराने का प्रावधान किया गया है। लेकिन मंदिर समिति ही खुद के बनाये नियमों का पालन नहीं करवा पा रही है। मंदिर के जिम्मेदार लोग खुद ही लोगों को नंदी हाल में ले जाकर दर्शन करा रहे हैं।

वीवीआईपी के गेस्ट बताकर ले जा रहे हैं नंदी हाल

प्रोटोकाल विभाग के कर्मचारी अधिकारियों के आदेश पर दिनभर दर्शनार्थियों को नंदी हाल से दर्शन करा रहे हैं। दर्शनार्थियों की इंट्री एक रजिस्टर में भी होती है जिस पर कलेक्टर, मुख्यमंत्री, मंत्री, यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री के गेस्ट के रूप में दर्शनार्थी की इंट्री होती है। ऐसे में सवाल यह है कि जब नंदी हाल में प्रवेश प्रतिबंधित है तो फिर किसी का भी गेस्ट वहां कैसे जा सकता है। अगर वीवीआईपी प्रोटोकाल का हवाला दिया जाये तो यह खुद वीवीआईपी के लिए लागू होता है न कि उसके द्वारा भेजे गये किसी गेस्ट पर। और इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि नंदी हाल में आने वाला व्यक्ति वाकई किसी वीवीआईपी का गेस्ट है या नहीं।

दर्शन के अलावा अन्य सुविधाओं में भी आम दर्शनार्थी से सौतेला व्यवहार

श्री महाकाल के दर्शन के लिए आने वाले आम दर्शनार्थी के साथ सिर्फ दर्शन के वक्त ही दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं होता, बल्कि अन्य मौकों पर भी उन्हें अपमान सहन करना पड़ता है।

वाहन सुविधा – मंदिर प्रांगण और महाकाल लोक में आम दर्शनार्थियों को वाहन सुविधा के लिए परेशान होना पड़ता है। जबकि वीआईपी के लिए ई-कार सुविधा आने-जाने में लगी रहती है।

जल अर्पण – आम दर्शनार्थी बाबा को एक लोटा जल भी अर्पित नहीं कर सकता। अन्य मंदिरों में उपकरण के जरिए अंदर तक जल पहुंचाने की सुविधा रहती है, लेकिन महाकाल मंदिर में सुविधा होने के बाद भी सिर्फ सुबह ही उसका उपयोग होता है। वहीं वीआईपी को खुद पंडे-पुजारी जल का लोटा लेकर आते हैं और स्पर्श कराकर गर्भगृह में जल अर्पण करते हैं।

शीघ्र दर्शन – शीघ्रदर्शन टिकटधारियों को भी अंदर जाकर आम दर्शनार्थियों के बीच छोड़ दिया जाता है। अंदर जाकर यात्री को लगता है कि उसे दर्शन के नाम पर ठग लिया गया है।

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