आवारा पशुओं के कारण प्रतिदिन हो रहे हैं दुर्घटना के मामले, श्वान काटने के मामले भी बढ़े
उज्जैन, अग्निपथ। शहर में आवारा श्वान और गौवंश की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। एक ओर श्वान के काटने की घटनाएं बढ़ रही हैं तो दूसरी ओर आवारा गौवंश के कारण दो पहिया वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। दोनों की मामलों में नगरनिगम ध्यान देने की जगह मूकदर्शक बनकर बैठा है।
शहर का ऐसा कोई मोहल्ला नहीं है, जहां पर आवारा श्वान और गौवंश घूमते नजर नहीं आते हों। गर्मी का मौसम शुरू हो गया है, जिसके चलते आवारा पशु परेशान होकर लोगों पर हमला कर रहे हैं। बहादुरगंज कुम्हार गली के निवासियों पर आए दिन आवारा मवेशी यहां के बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर रहे हैं। सिर्फ बहादुरगंज ही नहीं शहर के कई क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं होने का डर बना हुआ है।
मुख्य मार्गों से लेकर रिहायशी क्षेत्रों की सडक़ों पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा है। रात में यह समस्या और भी बढ़ गई है। इसके बावजूद नगर निगम की पशु गैंग विशेष कार्रवाई करते नजर नहीं आ रही है। हालांकि शहर की हालत से विपरीत नगर निगम रोजाना आवारा मवेशियों की धरपकड़ का दावा कर रहा है।
शहर में आवारा मवेशियों की धरपकड़ में नगर निगम द्वारा हर माह तीन से चार लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए नगर निगम ने पशु गैंग में 30 कर्मचारी नियुक्त कर रखे हैं तथा तीन शिफ्ट में पशु पकडऩे का जिम्मा तय कर रखा है। पशुओं के लिए एक फोर व्हीलर वाहन सहित, एक मवेशी वाहन भी दिया हुआ है। बावजूद शहरवासियों को आवारा मवेशियों की समस्या से निजात नहीं मिल रहा है।
सूत्रों की मानें तो नगर निगम की कपिला गोशाला में वर्तमान में इतनी भी जगह नहीं है कि सडक़ से मवेशी पकडक़र वह गोशाला में रख सकें। क्योंकि गोशाला की पशु रखने की क्षमता 500 से 550 की है। वर्तमान में यहां करीब 600 पशु हैं। पशु पालक भी यह जानते हैं कि उनके मवेशी सडक़ पर सुरक्षित हैं। क्योंकि निगम उन्हें ले जाने की स्थिति में फिलहाल नहीं है।
श्वान काटने की घटनाएं बढऩे का इंतजार
उज्जैन शहर में आवारा श्वानों की संख्या मे बेतहाशा इजाफा हुआ है। नगरनिगम द्वारा नसबंदी नहीं किये जाने के कारण इनकी तादात दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। हर गली मोहल्लों में यह बड़ी संख्या में बैठे मिल जायेंगे। जिला अस्पताल में भी श्वान काटे के मरीज पहुंच रहे हैं। गर्मी के मौसम में इनमें आक्रमकता बढऩे के कारण शहर के लोग सुरक्षित नहीं हैं।
रात्रि में आने जाने वाले वाहन चालकों पर श्वान आक्रमण कर उनको चोटिल कर रहे हैं। ऐसे में नगरनिगम को श्वानों की नसबंदी योजना को अमलीजामा पहनाने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि भोपाल में श्वानों की हमले की घटनाओं ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था। श्वान छोटे बच्चों पर हमला कर उनको घायल कर रहे थे। यह मामला बड़े स्तर पर भी उठा था।