चुनावी चर्चा: किसानों को चाहिए अपनी फसलों के उचित दाम और खेतों में नर्मदा का पानी

धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। समय के साथ गांव की वेशभूषा भी बदलती जा रही है मगर नहीं बदली है चुनाव की चकलास आज भी गाँव के चौराहों पर बैठकर गांव के बुजुर्ग वह युवा चुनावी बात को लेकर एक दूसरों के बीच तानाकशी करते हैं ऐसा ही नजर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर अनारद व अन्य गाँवों में देखने को मिला है।

आज के जमाने में कितना भी हम चाहे की मोबाइल को अपना सबसे बड़ा संवाद का माध्यम मानने लगे हो मगर गांवों में आज भी चुनाव का वह पुराना दौर देखने को मिलता है। यहां आज भी पेड़ की छांव में, दुकानों पर, चौराहों पर, घरों के बाहर बने ओटलों पर बैठकर आगामी लोकसभा चुनाव की चर्चाएं की जाती है।

ग्रामीणजनों ने चुनावी चर्चाएं शुरू कर दी है। किसानों का मुद्दा इनकी सबसे बड़ी चर्चा का विषय होता है। इनकी प्रमुख मांग यहीं रहती है कि सरकार किसी की भी बने, लेकिन हमें हमारी फसल का उचित दाम मिलना चाहिए। सुबह व शाम को खाना खाने के बाद गांव में चुनावी चौपाल लग जाती है। ग्रामीण एकत्रित होते हैं और हंसी मजाक के साथ ही गंभीर विषयों पर चर्चा करते हैं। यहां सिर्फ गांव के विकास की ही नहीं, बल्कि शहर, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर भी चर्चा होती है।

चौपाल के दौरान सुविधाओं की बात करते हुए आशाराम यादव ने बताया कि हमारे गांव में नर्मदा के पानी की सुविधा मिलनी चाहिए जिसे हम गर्मी में खेतो को सिंचित कर सके। इसी बीच शिवगिरी गोस्वामी ने ठहाके लगाते हुए कहां कि यह सुविधा तो ठीक है, लेकिन लंबे समय से खेत सडक़ों का निर्माण कार्य सरकार द्वारा बंद पड़ा है। जिसे हमें खेतों में आने जाने में समस्या हो रही है। सडक़ो का लंबे समय से निर्माण कार्य बंद पड़ा है, सबसे ज्यादा दिक्कत बारिश के दिनों में किसानों आती हैं।

फसल का उचित दाम मिलना चाहिए

पास में कासम कामदार खड़े हो गए और अपनी बात दमदारी से रखते हुए कहने लगे कि यह समस्या और सुविधा तो ठीक है। लेकिन हम सभी किसान परिवार से आते हैं, हमें हमारी फसल का उचित दाम मिलना चाहिए। क्योंकि हम रात-दिन मेहनत करते हैं। तभी रतनलाल यादव ने बात काटते हुए कहा कि गांव के अधिकांश युवा अब पढ़े-लिखे हैं। धार इंदौर सहित अन्य जिलों में जाकर पढ़ाई कर चुके हैं। इन युवाओं को भी अच्छा रोजगार मिलना चाहिए।

इसी बीच सादिक ने कहां कि हमारा गांव अब पहले से कितना बदल गया है। इसकी आबादी भी काफी बढ़ गई है। वहीं बच्चों को 12वीं तक स्कूल की दरकार है। हमारा गांव के बच्चे गाँव मे पढ़े उन्हें जिला मुख्यालय नही जाना पड़े। वहीं बसंतीलाल भाकर ने इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहां कि हमारे गांव में किसान भी अब नई तकनीकों के खेती करने लगे हैं। इससे किसानों का काम भी आसान हो गया है। इसी बीच वरिष्ठ नागरिक अपना अनुभव सुनाते हुए कहने लगे कि चुनाव तो हमारे जमाने में होता था।

समस्याओं का नहीं हो रहा निराकरण

चौपाल के दौरान चर्चा में सरपंच रतनलाल वसुनिया ने बताया कि हमारे गांव बड़ी समस्या यहां 12वीं तक स्कूल नहीं है। इसको लाने के लिए हमे धार, इंदौर , भोपाल तक दौड़ लगा दी मगर आज तक 12 वी तक स्कूल नही बना पाया। वही एसटी ओर एससी समाजों के लिए कोई भी धर्मशाला नहीं है अगर सरकार व किसी पार्टी के सहयोग से अगर धर्मशाला बनती है। गरीब परिवार के लोगों के लिए फायदेमंद रहेगा जिससे उन्हें बारिशों के दिनों कार्यक्रमों में परेशान नहीं होना पड़ेगा।

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