3 मई को पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर से बल प्राप्त कर शुरू होगी विधिवत यात्रा
उज्जैन, अग्निपथ। पंरपरागत पंचक्रोशी यात्रा 3 मई से शुरू होगी। हालांकि भीड़ से बचने के लिए कुछ यात्रियों ने बुधवार से ही अपनी यात्रा शुरू कर दी है। हमेशा की तरह इस बार भी ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले पंचक्रोशी यात्री दो दिन पहले बुधवार सुबह भगवान नागचंद्रेश्वर का बल लेकर पहले पड़ाव की ओर निकल गए।
वैशाख कृष्ण दशमी पर 3 मई शुक्रवार को पंचकोशी यात्रा की शुरुआत होगी। देशभर से आने वाले श्रद्धालु पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर से बल लेकर यात्रा पर रवाना होंगे। प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए बुधवार से ही मंदिर और पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाएं शुरू कर दी हैं। कारण है कि यात्री निर्धारित तिथि से एक – दो दिन पहले ही यात्रा शुरू कर देते हैं। ऐसे में बुधवार को भी सुबह करीब सौ श्रद्धालुओं का जत्था पहले पड़ाव की ओर रवाना हो गया है।
निर्धारित तिथि से यात्रा आरंभ करने से पहले श्रद्धालुओं ने पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन कर उनसे बल लिया और 118 किलोमीटर की यात्रा आरंभ कर दी। हर बार अनेक श्रद्धालु समय से पूर्व ही यात्रा प्रारंभ की देते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर के पुजारी पं. मनीष जोशी ने बताया कि पंचागीय गणना के अुनसार पंचकोशी यात्रा वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी से प्रारंभ मानी जाती है। इस अनुसार यात्रा 3 मई को प्रारंभ होना चाहिए। पंचकोशी यात्रा का समापन 7 मई को हो रहा है। यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु भगवान नागंचद्रेश्वर को श्री फल अर्पित कर उनसे बल प्राप्त करते हैं। यात्रा संपन्न होने के बाद यात्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में मिट्टी के अश्व (घोड़े) अर्पित कर बल लौटाने के बाद गंतव्य की ओर रवाना होते हैं।
पंचक्रोशी यात्रा से करते हैं द्वारपाल की पूजा
उज्जयिनी के चार द्वार पर चार द्वारपाल हैं। शिवलिंग रूप में विराजित पिंग्लेश्वर, दुदुर्देश्वर, कायावरुणेश्वर तथा बिलकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान का अभिषेक पूजन किया जाता है। वैशाख मास शिव की आराधना व जलाभिषेक के लिए विशेष माना गया है। इसलिए प्रतिवर्ष हजारों यात्रा 118 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर इन मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं।
118 किलोमीटर यात्रा में पड़ाव की दूरी
- नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव- 12 किलोमीटर
- पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव – 23 किलोमीटर
- कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव – 21 किलोमीटर
- नलवा उप पड़ाव से बिल्वकेश्वर पड़ाव अम्बोदिया – 6 किलोमीटर
- अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव – 21 किलोमीटर
- कालियादेह से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल – 7 किलोमीटर
- दुर्देश्वर महादेव से पिंगलेश्वर होते हुए उंडासा – 16 किलोमीटर
- उडांसा उप पड़ाव से क्षिप्रा घाट रेत मैदान उज्जैन – 12 किलोमीटर
सीएम मोहन यादव आज शिप्रा में लगायेंगे डुबकी; देर रात तक प्रशासन लगा रहा शिप्रा का पानी साफ करने में, फव्वारे भी लगाये
उज्जैन, अग्निपथ। प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव गुरुवार को शहर मेें हैं और वे नृसिंह घाट पर शिप्रा स्नान करने भी जायेंगे।
बुधवार को सीएम यादव द्वारा शिप्रा मेें स्नान करने का जब प्रशासनिक अधिकारियों को बताया गया तो वे ताबड़तोड़ रामघाट के आसपास साफ-सफाई व्यवस्था बनाने में जुट गये। यहां पर पानी को साफ करने के लिए पानी मेें फव्वारे लगाये गये ताकि पानी को ऑक्सीजन मिले और उसकी बदबू समाप्त हो जाये।
देर रात तक प्रशासनिक अधिकारियों का शिप्रा के जल को साफ करने का प्रयास चलता रहा। गौरतलब है कि पिछले दिनों मिट्टी का पाला टूट जाने के कारण इंदौर की कान्ह नदी की दूषित जल शिप्रा में मिल आया था। इसके पहले पाइप लाइन फूटने की वजह से सीवरेज लाइन का टायलेट का पानी भी शिप्रा में आ गया था।
इस मामले में लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी विधायक महेश परमार ने तुरंत रामघाट पहुंचकर प्रशासनिक लापरवाही के आरोप लगाये थे और नदी के गंदे पानी में डुबकी लगाकर अपना विरोध जताया था। कान्ह नदी का पाला टूटने के बाद भी कांग्रेसियों ने शिप्रा शुद्धिकरण की मांग उठाई थी।
हालांकि बाद मेें अधिकारियों ने दावा किया था कि शिप्रा से गंदा पानी बाहर कर दिया गया है और वहां नर्मदा का शुद्ध जल आ चुका है। पंचक्रोशी यात्री भी यहां स्नान के लिए आ चुके हैं। इसी बीच सीएम द्वारा शिप्रा स्नान की घोषणा करने से यह संदेश भी सामने आ रहा है कि सीएम शिप्रा शुद्धिकरण के लिए गंभीर हैं और इसमें कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे।