शिप्रा का पानी फिर प्रदूषित सैकड़ों मछलियां मरी

रामघाट, नृसिंह घाट और गऊ घाट पर पानी में दिखाई दे रही हैं मृत मछलियां, बदबू के मारे बुरा हाल

उज्जैन, अग्निपथ। एक बार फिर शिप्रा नदी में सैकड़ों मछलिया मर गई। रामघाट के नजदीक नृसिंह घाट और गऊघाट पर दो दिनों से सैकड़ों मछलियां शिप्रा नदी के प्रदूषित पानी के कारण मर गई जिनकी सुध लेने वाल भी कोई नहीं। मरी हुई मछलिया घाटों और नदी के बीच तैरती रही। घाट बदबू मार रहे लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं। यह हालत इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का पानी मिलने से हुई है।

मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के हालत बेहद खऱाब होते जा रहे है। नृसिंह घाट पर पानी मे मछलियां मरी दिख रही तो वहीं गऊ घाट पर मछलियों का ढेर घाट के किनारे पर लगा है। हालात यह है कि घाटों पर श्रद्धालुओं का बैठना मुश्किल हो गया है। नदी में स्नान करना तो दूर की बात है। यहाँ आने पर बदबू आ रही है।

कुछ दिन पूर्व गंदे नाले मिलने पर प्रदूषित पानी में कांग्रेस विधायक महेश परमार ने डुबकी लगाई तो उसका जवाब देने एक लिए आए सीएम मोहन यादव ने शिप्रा नदी के दत्त अखाडा घाट पर डुबकी लगा दी थी। इसके बाद सीएम ने शिप्रा नदी के साफ होने के दावे किये थे।

लेकिन एक बार फिर गुरुवार और शुक्रवार को बड़ी संख्या में शिप्रा नदी में मछलिया मर गई। जिसके कारण पानी बदबू मारने लगा।

शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर कई बार बात उठी लेकिन आज भी हालत जस के तस है। महेश परमार ने आरोप लगाया था कि इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का पानी प्रदूषित होने के बाद त्रिवेणी पर शिप्रा में मिल जाता है जिसके चलते शिप्रा नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है।

गऊघाट में किनारे पर ही लगा है मछली का ढेर

शिप्रा तट पर स्नान करने आने वालों श्रद्धालुओं की आस्था आहत हो रही है। इसकी वजह है गऊघाट के पाले में बड़ी संख्या में मछलियां का मरना, जिन्हें नदी से निकालकर घाट पर ही छोड़ दिया है। बीच घाट पर रखी मछलियों के कारण यहां आने से श्रद्धालुओं से दूरी बना ली है। यहां प्रतिदिन आने वाले लोगों का कहना है कि इसी तरह शिप्रा में बहकर आया कचरा भी निकालकर घाटों पर ही रख दिया जाता है, जो पानी का स्तर बढऩे के बाद फिर से पानी में चला जाता है।

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