अकेले का जीवन, जीवन नहीं होता..परिवार ही धन है- डॉ. स्वामीनाथ पांडे

बाल संस्कार शिविर में बताया परिवार का महत्व

उज्जैन, अग्निपथ। परिवार में सुरक्षा, स्वतंत्रता साथ होती है कोई औपचारिकता नहीं होती। भारतीय समाज में परिवार सिर्फ भाई-बहन, मम्मी-पापा का नहीं होता, हमारे यहां परिवार में दादा-दादी, नाना-नानी, काका-काकी, मामा-मामी और भी बहुत से करीबी रिश्ते परिवार की परिभाषा में आते हैं। परिवार में सभी का अपना-अपना दायित्व है। अकेले का जीवन, जीवन नहीं होता। परिवार ही धन है।

यह बात राज्य आनंद संस्थान टीम आनंदक उज्जैन के द्वारा विश्व परिवार दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित आयोजन में वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. स्वामीनाथ पांडे ने कही। आनंद विभाग का यह आयोजन सेठी नगर स्थित सहज योग केंद्र पर चल रहे ग्रीष्मकालीन बाल संस्कार शिविर में किया गया। जिला समन्वयक डॉ. प्रवीण जोशी ने बताया कि आनंद विभाग अपने आनंद परिवार के साथ पिछले पांच वर्ष से भी अधिक समय से इस प्रकार के आयोजन कर रहा है।

सहज योग के राज्य स्तरीय समन्वयक डॉ. अमीत गोयल ने कहा कि परिवार में भाई-बहन का आनंद, रिश्तों का आनंद जरुर है साथ ही अपनी-अपनी जिम्मेदारी का भी आनंद है। मास्टर ट्रेनर रंजना मालवीय ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देने की जरूरत है तभी परिवार मजबूत और आनंदमय बन सकेंगे। डॉ. सुमन जैन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, पहले समाज में सयुक्त परिवार हुआ करते थे।

तब परिवार के बीच अधिक प्रेम रहता था इससे परिवार में सब सुरक्षित महसूस करते थे। बच्चों को बुजुर्गो से संस्कार मिलते थे, इसकी आवश्यकता आज के दौर में और अधिक महसूस की जा रही है। सहज योग के रमेश कुमार जैन ने कहा कि पहले बच्चो को दादा-दादी और नाना-नानी, खेल-खेल में कहानियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा और संस्कार देते थे।

इस अवसर पर आनंद विभाग के आनंदम सहयोगी राजेश शर्मा, जितेंद्र मालवीय सहज योग की युवा शक्ति इकाई की डॉ. सुरभि टेलर और ललित ज्वेल के साथ बड़ी संख्या छात्र छात्राएं और उनके माता पिता उपस्थित थे। आयोजन के सूत्रधार रहे सहज योग के जिला समन्वयक सुधीर धारीवाल थे। संचालन रंजना मालवीय ने किया, आभार आनंदम सहयोगी डॉ. सुमन जैन ने माना।

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