महाकाल मंदिर: भस्मारती के लिए अब कर्मचारी ने लिये दो हजार

मंदिर समिति ने आउटसोर्स कर्मचारी को नौकरी से हटाया, छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु से वसूले रुपए

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में दर्शन के नाम पर दर्शनार्थियों से रुपए वसूले जाने के मामले थम ही नहीं रहे है। रोजाना भस्म आरती या शयन आरती के नाम पर अवैध वसूली की शिकायत मिल रही है। सोमवार को छत्तीसगढ़ के एक श्रद्धालु से मंदिर के आउट सोर्स कर्मचारी ने भस्म आरती में एंट्री के नाम पर 2000 रुपए ले लिए। सुरक्षाकर्मियों ने जब उस श्रद्धालु को बिना परमिशन मंदिर में प्रवेश नहीं दिया तो मामला उजागर हो गया। जिसके बाद मंदिर के आउट सोर्स कर्मचारी को तत्काल नौकरी से निकाल दिया गया।

मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ से आये एक दर्शनार्थी रविवार को महाकाल मंदिर आये थे। यहां उन्होंने सोमवार सुबह होने वाली भस्मारती में शामिल होने के लिए जानकारी एकत्रित की। रविवार शाम करीब सात बजे उसने मानसरोवर में शीघ्रदर्शन के 250 रुपए के रसीद वाले काउंटर पर जाकर वहां मौजूद मंदिर के आउट्रसोर्स कर्मचारी ईश्वर पटेल से सोमवार सुबह होने वाली भस्म आरती में शामिल होने के बारे में पूछताछ की।

जिस पर पटेल ने भस्म आरती में प्रवेश दिलाने का भरोसा दिलाते हुए दर्शनार्थी से 2000 रुपए ऑनलाइन अपने खाते में जमा करवा लिए। इसके बाद श्रद्धालु को रात 2 बजे मंदिर आने के लिए कहा। श्रद्धालु भस्म आरती के लिए रात को मंदिर पहुंचा तो उसे गेट पर सुरक्षा गार्ड ने बिना परमिशन के भस्म आरती में जाने से रोक दिया। पूरा मामला सामने आने पर कर मंदिर कर्मचारी उमेश पंड्या और सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलचंद जूनवाल को इसकी शिकायत कर दी।

शिकायत के बाद रात को ही आउट सोर्स कर्मचारी ईश्वर पटेल को बुलाया गया उसने रुपए वापस करने की बात कही। जिसके बाद सोमवार को कार्यवाही करते हुए मंदिर प्रशासक मृणाल मीणा ने कम्पनी को ईश्वर पटेल को हटाने के आदेश दे दिये

एक दिन पहले चार लोगों ने शिकायत की थी कलेक्टर से

एक दिन पहले सोमवार को गुडग़ांव से आए चार लोगों ने कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से शयन आरती दर्शन के रुपए मांगने की शिकायत की थी। गुडग़ांव से निधि शर्मा, परलव शर्मा, ऋतु गुप्ता और धीरज गुप्ता 23 मई को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचे। उन्होंने भस्म आरती के लिए अनुमति मांगी, जो उन्हें नहीं मिल पाई। सभी ने तय किया कि शयन आरती का लाभ लिया जाए।

निधि के अनुसार चारों ने 250 रुपए की शीघ्र दर्शन की टिकट भी ले ली। लाइन में लगे तो पता चला कि आगे चलकर उन्हें आम श्रद्धालुओं की लाइन में मिला दिया गया। हमें शयन आरती करना थी, इसके लिए एक पंडित हमारे पास आए और कहने लगे आरती करना है तो 1100 रुपए प्रति व्यक्ति देने होंगे। हमें कहा कि आगे बैठा देंगे। तय हुआ कि 4400 रुपए आरती के बाद देना होंगे।

लाइन आगे बढ़ी और हमें सुरक्षाकर्मी ने बाहर निकाल दिया। इसके बाद पंडित ने कई बार प्रयास किया कि हमें आरती में शामिल करवा दे लेकिन बात नहीं बन पाई। आखिर हमें टीवी स्क्रीन पर ही आरती का लाभ लेना पड़ा। हालांकि इस मामले में भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

ठोस कार्रवाई जरूरी

भस्मारती, शयन आरती और वीआईपी दर्शन के नाम पर महाकाल मंदिर में आये दिन रुपए लिये जाने के मामले सामने आते रहे हैं। मंदिर कर्मचारी, निजी सुरक्षा एजेंसी कर्मचारी, पंडे-पुजारी, मीडियाकर्मी से लेकर अन्य बाहरी व्यक्ति भी ये दुस्साहस कर चुके हैं। पिछले एक साल में हर महीने चार-पांच ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन मंदिर समिति द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने के कारण लोगों ने दर्शन व्यवस्था को कमाई का जरिया बना लिया है।

तमाम तरह से रुपए ऐंठने वाले दलाल किस्म के लोग पंडे-पुजारी, मीडियाकर्मी, फूल-प्रसाद विक्रेता या फिर अन्य वेश में मंदिर और आसपास मंडराते रहते हैं। मंदिर समिति ने ऐसे में मामलों में जिन व्यक्तियों को पकड़ा है उन्हें सिर्फ मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित कर छोड़ दिया गया। लेकिन ये लोग फिर भी मंदिर या आसपास ही घूमते रहते हैं। जब तक कोई ठोस कदम समिति द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ नहीं उठाया जायेगा, तब तक दर्शन के नाम के रुपए ऐंठने का दुस्साहस बढ़ता ही जायेगा।

गेट नं. 10 पर चले लात-घूसे, वरिष्ठ अधिकरियों ने मामला संभाला

श्री महाकालेश्वर मंदिर के निर्गम गेट (10 नंबर गेट) पर मंगलवार दोपहर को लात-घूसे चल गये। पिछले सप्ताह से मंदिर समिति ने पुराने निर्गम गेट को प्रारंभ कर दिया गया। इस गेट पर ही नीचे निजी आउटसोर्स कंपनी के ऑफिस और लड्डूू प्रसाद का गोदाम बना हुआ है। यहां पर लड्डू निर्माण यूनिट से प्रसाद के पैकेट आते हैं और फिर जरूरत के मान से मंदिर के काउंटर पर पहुंचाये जाते हैं।

प्रसाद पहुंचाने वाले वाहन को पार्क करने की बात पर निजी कंपनी के अधिकारी और वाहन के ड्राइवर के बीच विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि दोनों के बीच लात-घूसे भी चल गये। खबर मिलते ही मंदिर के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले को शांत किया। हालांकि बाद में दोनों पक्षों ने किसी के भी खिलाफ शिकायत नहीं की है।

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डॉ. यादव