महाकाल मंदिर में झगड़े की जड़ पर भी नजर डालें

रात 10 बजे बाद भी आते हैं वीआईपी, उन्हें अंदर जाता देख आम दर्शनार्थी होते हैं दु:खी और कर्मचारियों पर निकालते हैं गुस्सा

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में आये दिन हो रहे कर्मचारियों-दर्शनार्थियों के विवाद की जड़ पर भी मंदिर कर्मचारियों को नजर डालना होगी। हर बार कार्रवाई एकतरफा होती है जिससे कर्मचारियों में निराशा का भाव पनप रहा है।

अभी हाल ही में निर्माल्य गेट पर कर्मचारी और दर्शनार्थियों के बीच हुई हाथापाई की घटना के बाद कर्मचारियों में निराशा की स्थिति है। मंदिर समिति ने कर्मचारियों को तो बाहर कर दिया, लेकिन दर्शनार्थी पर दूसरे दिन भी कार्रवाई नहीं हुई। जबकि प्रत्यक्षदर्शी और सीसीटीवी फुटेज साफ बता रहे हैं कि विवाद और मारपीट की शुरुआत किसने की। इसके पहले भी मंदिर परिसर खाली कराने की बात पर महिला सुरक्षाकर्मचारियों को लडक़ी ने पीटा था।

महाकाल लोक के गेट पर एक सुरक्षा कर्मचारी का तो सिर ही फोड़ दिया गया और वो अभी तक अपना इलाज करा रहा है। इन दोनों घटनाओं में भी दर्शनार्थियों पर मामूली धारा में मुकदमा दर्ज हुआ और वे तुरंत थाने से जमानत लेकर चले भी गये। ऐसे में सुरक्षा कर्मचारियों में आक्रोश है कि अभद्रतापूर्ण व्यवहार करने वाले दर्शनार्थियों के साथ वे किस तरह का व्यवहार करें। खुद पिटते रहे और आत्मरक्षा भी नहीं करें।

प्रोटोकाल दर्शनार्थी इस कारण बनते हैं विवाद की वजह

महाकाल मंदिर में विवाद की जड़ वीआईपी और प्रोटोकाल दर्शनार्थी हैं। आम दर्शनार्थियों का प्रवेश रात में साढ़े नौ बजे सभी द्वारों से बंद हो जाता है कि जबकि प्रोटोकाल दर्शनार्थी 10 बजे बाद भी प्रवेश करते रहते हैं। जब आम दर्शनार्थी दूसरों को अंदर जाता देखता है तो खुद की जाने की मांग करते हुए सुरक्षाकर्मियों से विवाद करने लगता है। बुधवार की रात भी विवाद इसी वजह से हुआ।

निर्माल्य द्वार से आने वाले प्रोटोकाल दर्शनार्थी आम दर्शनार्थियों के सामने से ही अंदर आकर नंदी हाल या फिर गर्भगृह की देहरी से दर्शन करते हैं तो लंबी कतार से धक्के खाता अंदर आया दर्शनार्थी गणेश मण्डपम् में सुरक्षा कर्मचारियों पर अपना गुस्सा उतारता है। कर्मचारी जैसे ही उसे वहां से आगे जाने का कहते हैं तो वो भडक़ जाता है और अभद्रता पर उतारू हो जाता है।

मंदिर प्रांगण में फोटो-वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध है। वीआईपी-प्रोटोकाल दर्शनार्थी खुलेआम फोटो-वीडियोग्राफी करते हैं। यह देख आम दर्शनार्थी भी शुरू हो जाते हैं और समझाने पर सुरक्षाकर्मियों से विवाद पर उतारू हो जाते हैं।

अलग द्वार से कराया जाये वीआईपी का आना-जाना

मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि वीआईपी-प्रोटोकाल पर अंकुश लगाना मुश्किल है, लेकिन मंदिर अगर इनका रास्ता अलग कर दे तो विवाद पर अंकुश लग सकता है। नई टनल के जरिए वीआईपी-प्रोटोकाल के तहत आने वाले दर्शनार्थियों को गणेश मण्डपम में लाकर आम दर्शनार्थियों की कोई एक कतार से दर्शन कराया जाये। नंदी हाल और गर्भगृह की देहरी तक जाने से रोका जाये तो दर्शनार्थियों में भेदभाव को लेकर उपजा असंतोष समाप्त किया जा सकता है। वीआईपी को मंदिर से बाहर निकालने के लिए भी टनल का ही उपयोग किया जाये।

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