वीर सावरकर प्याऊ से लेकर गढक़ालिका मंदिर तक केवल 10 फीट चौड़ी सडक़, उसमें भी अनेक गड्ढे
उज्जैन, अग्निपथ। सिंहस्थ-2016 के बाद से नगरनिगम ने शहर के देव स्थानों की सुध लेना बंद कर दिया है। वीर सावरकर मार्ग से लेकर गढक़ालिका पहुंच मार्ग पर सैकड़ों गड्ढों के कारण यात्रियों सहित ईरिक्शा पलट रहे हैं। लेकिन शिकायत करें तो किससे। मामला वहीं पर जाकर समाप्त हो जाता है और सडक़ी हालत जस की तस रहती है।
महाकाल लोक बन जाने के बाद बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री भगवान महाकाल सहित उज्जैन में स्थित देव मंदिरों के दर्शन के लिये पहुंच रहे हैं। लेकिन यहां की खराब सडक़ों के कारण उनके चोटिल होने की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
मैजिक हो या ईरिक्शा इन मार्गों के गड्ढे इतने बड़े हो गये हैं कि इनके उपर से यदि इन वाहनों को चलाया जाय तो पलटने का खतरा बना रहता है। निकटस्थ मार्ग होने के कारण यहां से भी बड़ी संख्या में ईरिक्शा और मैजिक वाहन निकलते हैं।
स्थानिय रहवासियों ने बताया कि सिंहस्थ के बाद इस सडक़ की सुध नहीं ली गई है, लिहाजा डामर रोड पर सीमेंट कांक्रीट के थेगड़े लगाकर बंद करने का प्रयास किया गया है। इसके बाद भी इसमें गड्ढे पड़ गये हैं। यह गड्ढे काफी बड़े होने के कारण किसी तरह से वाहनों को बचाकर निकालना पड़ रहा है।
ज्यादा लंबी नहीं सडक़
गढक़ालिका पहुंचने के दो मार्ग हैं, एक पिपलीनाका चौराहे से तो दूसरा वीर सावरकर चौराहे से। वीर सावरकर चौराहे से गढक़ालिका पहुंच मार्ग ज्यादा दूर तो नहीं है, लेकिन इस छोटे मार्ग को भी नगरनिगम द्वारा दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। केवल नवरात्रि या अन्य बड़े पर्वों पर सडक़ का पेंचवर्क कर मामले की इतिश्री कर ली जाती है।