यात्रा वृत्तांत 8: ‘मन’ का अर्थ है ‘दिल’ और ‘कामना’ यानि ‘इच्छा’ मतलब ‘मनकामना देवी’

अर्जुन सिंह चंदेल

पोखरा में पेराग्लाइडिंग करने और रोपवे से सारंगकोट न जा पाने का मलाल हमारे दिलों में था। अब हम नेपाल की राजधानी काठमांडू जा रहे थे जहाँ कि हिंदु धर्मावलंबियों के आराध्य भगवान शंकर के मंदिर ‘पशुपतिनाथ’ के दर्शन करना हर भारतीय का सपना होता है।

नेपाल में हमारे तीन दिन बीत चुके थे, आज चौथे दिन की शुरुआत थी। पोखरा से काठमांडू की दूरी 200 किलोमीटर है हमारा अनुमान था ज्यादा से ज्यादा पाँच घंटे का सफर पर यह उसी तरह गलत निकला जैसे लोकसभा चुनावों के एग्जिट पोल।

हमें नहीं पता था यात्रा का सबसे खराब अनुभव आज होने वाला था। जैसे ही पोखरा से 10-20 किलोमीटर आगे बढ़े फोरलेन निर्माणधीन सडक़ का कार्य देखने को मिला, सडक़ विस्तारीकरण कार्य के कारण पूरा मार्ग अस्त-व्यस्त हो रहा है। धूल के गुबार, प्रदूषण के कारण यात्रा कष्टप्रद हो चली।

कुशल चालक होने के बावजूद भी गति 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे नहीं बढ़ पा रही थी। जैसे-तैसे राम-राम करते लगभग आधी दूरी यानि 100 किलोमीटर चलने के बाद नेपाल पर्यटन विभाग द्वारा संधारित देवी शक्ति पीठ माँ मनोकामना या मनकामना देवी का मंदिर आ गया जहाँ भारी संख्या में पर्यटकों की भीड़ रहती है।

काठमांडू तक की आधाी दूरी करने में ही हमें शाम के 4.30 बज गये। समुद्रतल से 4272 फीट ऊँचाई पर माँ मनकामना की मूर्ति विराजित है मंदिर लगभग 700 साल पुराना है। गोरखा जिले में स्थित यह मंदिर एक पवित्र तीर्थ स्थल है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित होने के कारण मंदिर त्रिशुली नदी की घाटी और दूर-दूर तक फैले हिमालय को देखता है।

मंदिर का नाम दो शब्दों से आया है ‘मन’ जिसका अर्थ है ‘दिल’ और ‘कामना’ जिसका अर्थ है ‘इच्छा’। यह मंदिर देवी मनकामना को समर्पित है जिन्हें देवी भगवती का अवतार माना जाता है। इसलिये कई लोग मनकामना को ‘दिल की इच्छाओं की देवी’ भी कहते हैं। यह मंदिर सिर्फ एक इमारत या पूजा स्थल नहीं है, यह नेपाल की संस्कृति आध्यात्मिकता और इतिहास का जीवंत प्रतिनिधित्व है।

देवी मनकामना मंदिर की कहानी

किवंदती के अनुसार 17वीं शताब्दी में राजा राम शाह की पत्नी रानी लक्ष्मी देवी के पास दिव्य शक्तियां थी, जिन्हें उन्होंने राजा से छिपाकर रखा था। हालाँकि, राजा को अपनी पत्नी के रहस्य का पता तब चला जब उसने उसे अपने भक्त सबाई ठाकुर से बात करते हुए सुना।

सबाई ठाकुर नदी में अपना सामान खो जाने के कारण व्याकुल थे और रानी लक्ष्मी देवी ने उस सामान को वापस लाने के लिये अपना दिव्य रूप प्रकट किया। यह दिव्य घटना देखकर राजा राम शाह रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गये, जिसके कारण रानी की दुखद मृत्यु हो गयी। ऐसा माना जाता है इसके बाद, रानी पहाड़ी की चोटी के पास एक देवता के रूप में फिर से प्रकट हुई, जहाँ मंदिर है।

गजब की नक्काशी और जापानी वास्तुकला से प्रेरित होकर निर्मित किये गये मंदिर के ऊपर कांसा धातु का उपयोग किया गया है जो सोने का प्रतीत होता है। सन् 1998 से यहाँ केबल कार की सुविधा उपलब्ध करा दी गयी जिससे पहाड़ी पर जाना सुगम हो गया है। नेपाल की शायद यह सबसे लंबी केबल कार है जो 2800 मीटर लंबी है। केबल कार में यात्रा करते समय प्रकृति की खूबसूरती को अच्छे से निहारा जा सकता है।

केबल कार का टिकट भारतीय मुद्रा में 500/- रुपये प्रति व्यक्ति आने जाने का है। नीचे से ऊपर पहुँचने में 10 मिनट का समय लगता है। शाम को 6 बजे केबल कार बंद हो जाती है। सुबह 9 बजे प्रारंभ होने वाली केबल कार का दोपहर में दो घंटे भोजनवकाश भी रहता है। पहाड़ी पर पहुँचने के बाद 15 मिनट का पैदल मार्च तय करके मंदिर पहुँचा जा सकता है। मंदिर में ‘माँ’ की चैतन्य मूर्ति विराजित है। कहा जाता है माता से माँगी जाने वाली हर मुराद पूरी होती है।

मंदिर के नजदीक ही बकरों की बलि चढ़ाने की परंपरा आज भी बदस्त्तूर जारी है। जितना समय देवी माँ के दर्शनों में नहीं लगा उससे ज्यादा समय केबल कार (रोप वे) की लाईन में लगा। शाम को 6.30 बजे हम पहाड़ी से नीचे उतर आये। अभी भी काठमांडू 100 किलोमीटर दूर था। मुसीबतों भरी रही आगे की यात्रा।
(शेष अगले अंक में)

Next Post

कांग्रेस नेता ने किया वक्फ बोर्ड के साथ गबन

Fri Jun 7 , 2024
दुकानदारों से की जबरन वसूली, अब मिला 7 करोड़ रिकवरी का नोटिस उज्जैन, अग्निपथ। शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष रियाज खान को भोपाल वफ्फ बोर्ड ने सात करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस दिया है. गुरुवार को रियाज खान पर खाराकुआं थाना पुलिस ने वफ्फ बोर्ड की जमीन के दुकानदारों को धमकाकर अवैध […]