यात्रा वृत्तांत 14 : टे्रन के प्रतीक्षा सूची वाले टिकट ने ऐन वक्त पर दे दिया धोखा

अर्जुन सिंह चंदेल

23 मई की सुहानी सुबह हम सबने बनारस की मशहूर चाट की दुकान पर जाकर आनंद लिया। काशी एक्सप्रेस का प्रस्थान समय दोपहर 3 बजे का था तो चार्ट चार घंटे पहले तैयार होता है यानि 11 बजे, हम सबको इंतजार था कि सबको बर्थ एक साथ मिलेगी या अलग-अलग। यह भी सोचा यदि तीन बर्थ ही कंफर्म हुयी तो बैठे-बैठे ही सफर तय कर लेंगे।

चूँकि घर से निकले दस दिन हो गये थे तो सबको उज्जैन और घर की याद सता रही थी। बार-बार मोबाइल में चेक किया जा रहा था। तभी 11 बज गये हम सबका दुर्भाग्य रहा कि चार्ट तैयार होने के बाद हमारी एक भी सीट कंफर्म नहीं हुयी। प्रतीक्षा सूची में हम अब भी 1 से 6 नंबर बरकरार थे। सभी साथी निराश हो गये।

एक बड़ी और गंभीर समस्या हम सबके सामने आ गयी थी। सभी विकल्पों पर मंथन हुआ, जिसमें फ्लाईट से लेकर वीडियो कोच तक पर। फ्लाईट की टिकट उस समय प्रति व्यक्ति 5500/- बनारस से इंदौर बता रहा था। वीडियो कोच वाला 2100/- रुपये प्रति व्यक्ति स्लीपर कोच में पीछे की सीटें और वह भी ऊपर की। 60 की उम्र से कम वाला एक भी साथी नहीं था। फ्लाईट से चलने के निर्णय लेने में एक घंटा लग गया जब तक निर्णय हुआ तब तक टिकट 7800/- तक जा पहुँची।

टीम हताश हो गयी थी। अब यह निर्णय लेना था कि 23 मई बनारस में ही रूककर 24 मई की टिकट करवायी जाय पर बनारस से 24 मई को भी किसी टे्रन में जगह नहीं थी। तभी मेरे मित्र जो रिजर्ववेशन का कार्य करते हैं उज्जैन में उन्होंने बताया इलाहाबाद से प्रयागराज एक्सप्रेस में प्रीमियम कोटे में 24 मई की टिकट मिल सकती है जिसका किराया 3600/- रुपये प्रति व्यक्ति होगा।

मरता क्या ना करता, हम सब ने सहमति दी। मित्र ने बनारस से इलाहाबाद का भी आरक्षण करवा दिया। शाम को शायद 4 बजे हमारी टे्रन थी इलाहाबाद के लिये। होटल चेक आउट करके स्टेशन पहुँच गये दोपहर 2 बजे उच्च श्रेणी प्रतिक्षालय जो कि वातानुकूलित था खचाखच भरा था। शाम को टे्रन से बैठकर इलाहाबाद (प्रयागराज) पहुँच गये। ‘जाना था उज्जैन, पहुँच गये प्रयागराज’। रूकने के लिये होटल ऑनलाईन बुक करा लिया था जो गलत निर्णय साबित हुआ।

नदी की बदहाली

रात को 9 बजे प्रयागराज स्टेशन पहुँच गये वहाँ से रिक्शा लेकर होटल पहुँचे भोजन वगैरह करके सो गये। कुछ मित्रों ने प्रयागराज नहीं देखा था उनके लिये आकर्षण था। सुबह 7 बजे निकल पड़े भ्रमण पर सबसे पहले संगम गये वहाँ दो साथियों ने संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित किया, बाकी लोग नदी की बदहाली देखकर नहाने का साहस नहीं कर सके।

संगम स्नान के बाद घाट के नजदीक ही लेटे हनुमान जी की मूर्ति के दर्शनों के पश्चात चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा के दर्शन, आनंद भवन देखने के बाद होटल से सामान उठाकर स्टेशन पहुँच गये जहाँ से घर वापसी उज्जैन के लिये हमारी टे्रन थी। रास्ते में आनंद करते हुए यात्रा के संस्मरण सुनते सनाते 25 मई की सुबह 7 बजे हम सभी साथी सकुशल घर लौट आये। हाँ मित्रों यात्रा का प्रति व्यक्ति खर्च लगभग 26000/- रुपये रहा। इनसे अलावा कोल्ड ड्रिंक्स, साफ्ट ड्रिंक्स, हार्ड ड्रिंक्स का खर्च अलग रहा।
जय महाकाल

(समाप्त)

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