नगर निगम के अधिकारी नगर में स्वच्छता को लेकर प्रात: से ही निरीक्षण करने निकल जाते हैं ताकि शहर में गंदगी ना रहे। लेकिन उनके निरीक्षण के उपरांत ही कुछ सफाईकर्मी अपनी मनमर्जी से काम करते हैं। उसके उपरांत वे यहां पर रहवासियों की किसी भी बात को मानने को तैयार नहीं होते हैं।
अगर इस संबंध में शिकायत की बात की जाती है तो मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। यही आलम कचरा वाहन के कर्मचारियों का भी है जो कि नि:शक्त और बुजुर्गों की सहायता करना तो अपना अपमान समझते हैं। कचरा वाहन के साथ चलने वाले कर्मचारी इस तरह तैयार होकर आते हैं कि जैसे उन्हें इस कार्य से कुछ लेना देना ही नहीं है।
अगर यह सब देखना हो तो नगर निगम के अधिकारियों को इसके लिये सुबह 10 बजे से 11 बजे के बीच में किसी भी वार्ड में जाकर देख सकते हैं और अगर नहीं तो जिस भी वार्ड में प्रात: निरीक्षण किया हैं वहां पर पुन: जाकर देख सकते हैं कि किस तरह से वार्ड में सफाई का कार्य हो रहा है। वहीं निगम आयुक्त के साफ निर्देश हैं कि सफाई के उपरांत निकलने वाला कचरा ना जलाया जायेगा और ना ही नालियों में बहाया जायेगा। लेकिन सफाईकर्मी ऐसे आदेशों को भी घोल कर पी गये, जिसे वार्ड में देखा जा सकता है।