यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए बनाए गए प्लान भी हुए फेल
उज्जैन, अग्निपथ। हरिफाटक पुल के समीप इंदौर रोड पर बिगड़ी यातायात व्यवस्था की वजह से यहां पर हमेशा जाम लग रहता है और अब तो बस वालों ने भी अपनी मनमानी शुरू कर दी है। इंदौर रोड पर सवारी को बिठाने के लिए बसें सडक़ पर खड़ी हो जाती हंै, इससे यहां की यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है। हरि फाटक पुल पर भी यही स्थिति है। यहां भी कई वाहन सवारी बैठाने के लिए खड़े रहते हैं, जिससे कई बार हरि फाटक पुल पर जाम लग जाता है।
इसके अलावा हरिफाटक पुल के नीचे इंदौर रोड पर खड़ी बसों की वजह से यहां भी जाम की नौबत आ रही है। यहां पर बस वाले काफी देर तक खड़े रहते हैं और सवारी का इंतजार करते रहते हैं। ऐसे में कई बार रांग साइड खड़े इन वाहनों की वजह से कई वाहन चालक टकराते टकराते बचते हैं। इसके बेतरतीब लगने वाले जाम की ओर किसी का ध्यान नहीं है। जबकि कुछ दूरी पर यातायात पुलिस की चौकी है। लेकिन बस वालों को यहां से नहीं हटाया जाता है।
अभी तक जो भी योजना बनाई विफल
यह स्थिति पिछले कई महीने से बनी हुई है। इस कारण जाम लग रहा है। वहीं सडक़ पर खड़ी इन बसों की वजह से सडक़ पर वाहनों के निकलने के लिए जगह नहीं बचती है। ऐसे में वाहनों का जाम लगता है। महाकाल लोक बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है और महाकाल जाने वाले सभी मार्गों पर यातायात का अधिक दबाव रहता है।
इसको लेकर प्रशासन ने शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए कई प्लान बनाए। लेकिन अभी तक जो भी योजना बनाई गई है वह विफल साबित हुई है। अभी भी शहर वासियों को जाम से निजात नहीं मिली है और कई महाकाल जाने वाले मार्ग ऐसे हैं जहां पर रोज हर 10 मिनट में जाम लगता है। इसमें हरिफाटक, दौलतगंज, इंदौर गेट, तोपखाना, गधा पुलिया, गुदरी चौराहा, दानी गेट सहित अन्य क्षेत्र हैं। जहां पर हमेशा जाम की स्थिति रहती है।
10 जुलाई के बाद राहत मिले कहना मुश्किल
शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिये आरटीओ और यातायात विभाग ने ईरिक्शा पर लगाम लगाने की पहल शुरू की है। शहर में चल रहे 6 हजार ईरिक्शा को 12-12 घंटे की दो शिफ्ट में संचालित करने का नियम बना दिया गया है। 10 जुलाई के बाद इसका असर देखने को मिलेगा। लेकिन ईरिक्शा से लग रहे जाम से शहर की जनता को मुक्ति मिल जाये, यह कहना मुश्किल है। हालांकि प्रशासन ने अपनी ओर से ईरिक्शा पर पुरजोर लगाम लगाने की पहल की है।
यातायात विभाग चुस्त हो तो क्या कहने
पुलिस का यातायात विभाग केवल राजस्व वसूली के ही काम में व्यस्त रहता है। शहर में लग रहे जाम की ओर से वह निश्चिंत है। पुराने शहर में केवल एक क्रेन वाहन चलता है। जोकि मुख्य सडक़ों पर लग रहे जाम को हटवाता है। लेकिन यह भी केवल खानापूर्ति ही नजर आती है। सडक़ पर जो कार चालक अपने वाहन लगा देते हैं, उनके उपर बकायदा कार्रवाई की जाना चाहिये। लेकिन ऐसा किया नहीं जाता। केवल एनाउंस के माध्यम से ही वाहनों को हटवाने का कार्य किया जाता है।
शहर के मुख्य चौराहों पर से तो पुलिस जवान लगभग नदारद ही नजर आते हैं। ऐसे में वाहन चालक सिग्नल का पालन नहीं करते हैं। पूर्व में ऑनलाइन चालन काटने की भी घोषणा की गई थी, वह धरातल पर नहीं उतर पाई है।