डेढ़ किलोमीटर आगे मिली, चेहरे को मछलियों ने नोंचा
- एक लापता युवक की गोविंदगढ़ क्षेत्र के सिलपरा व टीकर में हो रही सर्चिंग
- जबलपुर की एनडीआरएफ और सीधी की एसडीआरएफ की संयुक्त टीम जुटी है तलाश में

शव की पहचान रमेश विश्वकर्मा (25) के रूप में परिजनों ने की है। मूलत: बिहार निवासी रमेश के पिता राजेंद्र सीधी स्थित पीडब्ल्यूडी में नौकरी करते हैं। सीधी में परिवार नूतन कॉलोनी में रहता है। रमेश की बहन की शादी यूपी के बलिया में हुई है। वह बहन के घर जाने के लिए बस में मंगलवार को सवार हुआ था। उसे सतना में ट्रेन पकड़नी थी। चार दिन से परिवार उसकी तलाश में आंसू बहा रहा था। मां अस्तुरना और भाई की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे।

अब हादसे से अधिक इंतजार की टीस भारी
हादसे में लाशों के निकलने के बाद परिवार वाले पहले ही इसकी आशंका में थे। पर शव नहीं मिलने से उनकी तकलीफ और बढ़ती जा रही थी। गुरुवार को रीवा में रमेश के परिजनों ने रोते हुए सीएम शिवराज सिंह से बेटे की तलाश कराने की गुहार लगाई थी। गुरुवार को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने पहली बार टनल में प्रवेश किया। पर वहां जल स्तर 10 फीट के लगभग था। टीम के सदस्य पानी के अंदर नहीं उतर पाए थे। परिवार के लोगों पर इंतजार का एक-एक क्षण भारी पड़ रहा था।
बाणसागर बांध से फुल प्रेशर से छोड़ा गया था पानी
सीधी जिला प्रशासन ने आज बाणसागर से नहर में पानी छोड़ने का निर्णय लिया। इसके बाद बाणसागर से नहर में फुल प्रेशर से पानी छोड़ा गया। तीन स्थानों टीकर, सिलपरा और टनल के पास रेस्कयू टीम तैनात रही। चार किमी लंबी टनल में फुल प्रेशर से पानी पहुंचा तो दो लाशें टीकर नहर में टनल से डेढ़ किलोमीटर दूर बह कर आया। रमेश विश्वकर्मा का शव बुरी तरह से फुल गया है। शरीर को मछलियों ने नोंच खाया है। शव को पीएम के लिए रामपुर नैकिन भेजा गया। एक अन्य की शिनाख्त नहीं हुई है।

इन परिवारों का इंतजार लंबा
कुकरीझर निवासी अरविंद विश्वकर्मा (20) के पिता विश्वनाथ ने बताया कि बेटा अपनी बुआ की बेटी बोदरहवा सिहावल निवासी यशोदा विश्वकर्मा (24) को एएनएम की परीक्षा दिलाने निकला था। हादसे में यशोदा की मौत हो गई। उसका शव मंगलवार को ही मिल गया था। लेकिन अरविंद की तलाश में परिजनों बेहाल हैं। परिवार के आंसू हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रही।

बैंक कर्मी योगेंद्र शर्मा अब भी लापता
पिपरोहर सीधी निवासी योगेंद्र उर्फ विकास शर्मा (23) है। वह एचडीएफसी बैंक में जॉब करता है और बैंक के ही काम से सतना निकला था। पिता सुरेश कुमार ने बताया कि मंगलवार सुबह नौ बजे हादसे की सूचना मिली थी। तब से परिवार योगेंद्र के मिलने की उम्मीद में सीधी से रीवा जिले की सीमा में नहर किनारे भटक रहा है। जैसे-जैसे समय गुजर रहा है। उनकी उम्मीद भी टूटती जा रही है।