परीक्षा का परिणाम 24 जुलाई को घोषित होगा
उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा 18 जुलाई को 30 विषयों के अंतर्गत 426 सीटों के लिए ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा सम्पन्न हो गई है। परीक्षा के लिए 1673 परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें 1454 परीक्षार्थी शामिल हुए। प्रवेश परीक्षा का परिणाम 24 जुलाई को घोषित किया जाएगा। परीक्षा को देखते हुए सुबह 6 बजे से विश्वविद्यालय के शिक्षक व अधिकारी प्रशासनिक भवन पहुंच गए थे।
विक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न 30 विषय में कुल 426 पीएचडी की सीटों के लिए 1673 आवेदन पहुंचे थे। परीक्षा के लिए इस बार ऑनलाइन व्यवस्था की गई थी, जिससे पिछली बार की तरह प्रवेश परीक्षा में कोई गड़बड़ी नही हो सके।
वहीं परीक्षा के लिए उज्जैन में इंदौर रोड़ स्थित प्रशांति कॉलेज और इंदौर के आईपीएस एकेडमी, इस्लामिया करीमिया और ओरलांडो कॉलेज को परीक्षा केंद्र बनाया गया था। गुरूवार को परीक्षा के दौरान उज्जैन-इंदौर के परीक्षा केंद्र पर 1454 परीक्षार्थी परीक्षा देने पहुंचे थे।
कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने बताया कि पीएचडी परीक्षा के लिए इस बार ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की गई है। परीक्षा में पूरी पारदर्शिता रखी गई है। इस दौरान कहीं से भी कोई गड़बड़ी की सूचना नही मिली है।
दावे-आपत्ति के बाद 24 जुलाई को परिणाम
पीएचडी प्रवेश परीक्षा का आयोजन होने के बाद अब विद्यार्थियों से प्रश्र पत्र में किसी प्रकार की शिकायत दावे-आपत्ति होने के कारण परीक्षा का परिणाम 24 जुलाई तक घोषित हो सकेगा। इस दौरान कोई प्रश्न आउट ऑफ कोर्स होने या पूछे गए प्रश्र का सही उत्तर प्रश्न पत्र में नही होने जैसी आपत्ति का निराकरण करने के बाद ही इस बार परिणाम घोषित किया जाएगा।
सुबह 6 बजे से अधिकारी, शिक्षक कंट्रोल रूम पहुंचे
पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित आईक्यूएसी सेंटर को कंट्रोल रूम बनाया गया था। यहां पर सुबह 6 बजे से ही कुलपति प्रो. पांडे, कुलसचिव डॉ. अनिल शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. मदन लाल गौखरू सहित अधिकारी व शिक्षक पहुंच गए थे। परीक्षा संचालन समिति में समन्वयक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा,डॉ. एसके मिश्रा, डॉ. अलका व्यास, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. धर्मेंद्र मेहता को रखा गया था।
परीक्षा में पर्यवेक्षक के लिए डॉ. बीके आंजना, डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. डीडी बेदिया, डॉ. राज बोरिया को परीक्षा केंद्र की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा परीक्षा केंद्रों पर दो अलग-अलग दल उडऩ दस्ते भी गठित किए थे, जिसमें विश्वविद्यालय के शिक्षक शामिल थे।