विधानसभा में वनमंत्री ने कहा था सरकार निकालेगी हल, अब तक कुछ नहीं हुआ
धार, अग्निपथ। सरकार किसानों को सभी सुविधाएं देने की बात करती है मगर जमीनी स्तर पर आज भी किसान परेशान हैं। क्षेत्र में सबसे ज्यादा नीलगाय (घोड़ारोज) ने किसानों को आतंकित कर रखा है। आए दिन फसलों को चौपट कर के चली जाती है। प्रदेश के वन मंत्री के विधानसभा में दिए एक सवाल के जवाब में नीलगाय पर नियंत्रण के वादे पर अब तक कुछ नहीं हुआ है।
दरअसल, धार जिले सहित प्रदेश भर में घोड़ारोज किसानों के लिए आंतक का पर्याय हो गई है। फसलों के दुश्मन इस वन्यप्राणी पर नियंत्रण के लिए सालों से किसान आंदोलनरत है। जिले में ये बड़ी समस्या बन गई है।
जिले के धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक कालूसिंह ठाकुर ने विधानसभा में जंगली सूअर और नीलगाय से किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाया। एक सवाल के दौरान ठाकुर ने कहा कि कई वर्षों से अत्यधिक संख्या में घोड़ारोज और जंगली सूअर किसानों की फसलों का प्रतिवर्ष भारी मात्रा में नुकसान कर रहे हंै।
सरकार द्वारा समस्या के निराकरण के लिए क्या प्रयास किए जा रहे है। किसानों और जनप्रतिनिधि द्वारा घोड़ारोज को बेहोश कर वन अभ्यारण्य में छोडने और नर घोड़ारोज की नसबंदी के लिए शासन को अवगत कराया गया था। इस पर विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की गई है। जिसके जवाब में वनमंत्री ने बताया था कि शासन नीलगाय को पकडऩे के लिए धार सहित प्रदेश के कुछ जिलों में पायलेट प्रोजक्ट शुरू कर रही है। इस पर अमल भी हुआ लेकिन कुछ समय बाद मामला ठंडे बस्ते चला गया।
हर रोज हो रहे हादसे
नीलगाय के कारण हर रोज जिले में 5 से 6 हादसे हो रहे है। वही खेतों से चरने के बाद रोड क्रॉसिंग करते समय दुर्घटना होती रहती है। बुधवार को नागदा-गुजरी मार्ग पर एक पुलिस आरक्षक भी इस नीलगाय के हादसे की चपेट में आने से बुरी तरह घायल हो वही ग्रामीणों ने हॉस्पिटल पहुँचाया।
किसान बताते हैं कि पिछले दिनों बाइक से खेत से घर लौटते है तब रास्ते में नीलगाय का झुंड आ गया है। दुर्घटना होते होते बच गए। इसी प्रकार नीलगाय पूर्व में गाँव में घरों के पतरों पर चढक़र नुकसान पहुँचा चुकी है व गांवों में भी कई बार आतंक मचा चुकी है व नीलगायों की वजह से आज सडक़ हादसे होना आम बात हो गई है।
एसडीएम देगे अनुमति
एसडीएम देंगे जंगली सूअरों को मारने की अनुमति- वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने विधानसभा में बताया कि जंगली सूअरों के शिकार की अनुमति जारी करने के लिए एसडीएम की प्राधिकृत अधिकारी घोषित किया गया है। वन्यप्राणी द्वारा किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने पर सहायता राशि का भुगतान यथा संशोधित राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड छह क्रमांक 4 के प्रावधानों के तहत किया जाता है। वन्यप्राणियोंद्वारा जनहानि-जनघायल- पशुहानि-पशु घायल करने पर शासन द्वार निर्धारित क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान प्रभावित लोगों को किया जाता है।
भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर हो रहे हैं किसान
नीलगायों का आतंक हर दिन बढ़ रहा है नीलगायों का आतंक दिनों-दिन बढ़ते जा रहा है। जिले के ज्यातर गांवों में दर्जनों नीलगायों के झूंड को फसल बर्बाद करते हुए देखा जा सकता है। कृषि के लिए घातक सबित हो रहे नीलगायों से मुक्ति के लिए न जिला प्रशासन कुछ पहल कर रहीं है, न वन विभाग हीं कुछ करने के मुड में है। ऐसी स्थिति में जिले के किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर है। किसान बताते है कि नीलगायों के खाने ज्यादा नुकसान फसल को बर्बाद करने से है। 24 घंटे खेत की रखवाली संभव नहीं है। सरकार और प्रशासन को किसान हित में ठोस कदम उठाना होगा।
अधिनियम का लगता है डर
नीलगाय जंगली जीव है, इसलिए इन्हें छूने एवं मारने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है, जिसके कारण नीलगाय को ग्रामीण मारने से बेहद डरते है। क्योकि वही इसको को मारने को लेकर अभी तक विभाग की तरफ से कोई आदेश लागू नहीं हुआ है वही आए दिन किसान नीलगाय से बहुत परेशान होते जा रहे हैं किसान फसल बर्बाद होने की स्थिति में मुआवजे का प्रवधान है।
किसान संबंधित अंचलाधिकारी के पास आवेदन देकर मुआवजे की मांग कर सकते है। मगर आज तक किसी किसान को नीलगाय ने फसल बर्बाद की उसका मुवावजा तक नही मिला वही किसानों को मुवावजा को लेकर आज तक किसानों को इसकी जानकारी तक नही है।
किसान बर्बाद हो रहे हैं, सरकार प्रयोग में ही लगी
जिले व प्रदेशभर में नीलगाय के आंतक को लेकर आंदोलन कर रहे किसान नेताओ अमूल पाटीदार ने कहा कि किसान बर्बाद हो रहे हैं और सरकार अभी तक प्रयोग में ही लगी हुई है। पूर्व में भी मंदसौर जिले से घोड़ारोज को गांधीसागर अभ्यारण में छोडने का प्रयोग कर चुके हैं। इसमें प्रति नीलगाय 36 हजार रुपए का खर्च बताया गया था।
सरकार किसानों की चिंता करे और प्रयोग की बजाय बिहार की तर्ज पर घोड़ारोज की समाप्ति का प्रयास करे। वहीं अभी कुछ महीने पहले जिले के पीथमपुर के नेक्सो से 45 घोडारोज पकड़े थे। इसी तरह का प्रयोग खेतों में भी होना चाहिए।
सरकार निकालेगी हल
नीलगाय को लेकर सरकार अच्छे कदम उठाएगी। इसको मारने की अनुमति है।
-कालूसिंह ठाकुर विधायक धरमपुरी।
घोड़ारोज को मार सकते हैं
एसडीएम से अनुमति लेकर इनको घोडारोज को मार सकते है। वही इसके लिए पहले से ही आदेश निकले हुए है।
-नागरसिंह चौहान वनमंत्री मध्यप्रदेश
आवेदन आएंगे तो देंगे अनुमति
खेतों में नीलगाय परेशान कर रही है। इसको लेकर किसान एसडीएम ऑफिस में आवेदन दें। कार्यालय द्वारा 5 घोडारोज मारने की अनुमति देगी। वह लाइसेंस निशानेबाज व्यक्ति ही इसे मार सकेगा।
– रोशनी पाटीदार एसडीएम धार