अवैध निर्माण के नाम पर उगाही मामले में दो निगम कर्मचारियों का तबादला

एक को ट्रेंचिंग ग्राउंड गोंदिया तो दूसरे को विद्युत शवदाह गृह भेजा

उज्जैन, अग्निपथ। भवनों के अवैध निर्माण का डर दिखाकर वसूली मामले में निगम आयुक्त ने दो कर्मचारियों को नौकरी से सस्पेंड करने की जगह उनका तबादला कर मामले की इतिश्री कर ली है। इन कर्मचारियों पर आरोप हैं कि इन्होंने कॉलोनियों में घूमकर अवैध निर्माण देखे और फिर नोटिस देकर दस्तावेज तलब किये। निर्माण में मामूली गड़बड़ी पर इनके द्वारा धमकी देकर रुपए की मांग की गई। मामला मुख्यमंत्री तक भी पहुंचा था, लेकिन इसमें कार्रवाई के नाम पर केवल इनका तबादला ही किया गया है।

नये शहर के निगम के जोन 4, 5 व 6 में इनके द्वारा कारनामा किया गया। यहां पर बड़ी संख्या में मकान बन रहे हैं या मकानों का विस्तार हो रहा है। इन्हीं भवनों पर निगम कर्मचारियों की नजर बनी हुई थी। अगर थोड़ा भी निर्माण मंजूरी के विपरीत बना है तो नोटिस देकर दस्तावेज तलब कर रहे थे। दस्तावेज नहीं देने पर मकान तोडऩे का नोटिस जारी कर धमकी दे रहे थे।

घबराए भवन स्वामी मकान बचाने के लिए रुपए देने के लिए मजबूर हो रहे थे। मकानों पर कार्रवाई नहीं करने के लिए 50 हजार से 10 लाख रुपए तक वसूल गए हैं। चर्चा है कि हाल ही में एक डॉक्टर के मकान तोडऩे में भी लगभग 10 लाख रुपए लिए जाने के बाद भी निर्माण कार्य तोड़ दिया गया। इस मामले की गूंज भोपाल तक होने से मामले ने तूल पकड़ा।

जिसके चलते पिछले गुरुवार को इस मामले में टाइम कीपर हैदर अली और नगरनिवेश दरोगा शुभम चौधरी को नोटिस जारी किये गये थे। इसके बाद 23 जुलाई मंगलवार को कार्रवाई के नाम पर केवल दोनों का तबादला कर दिया गया। इसमें टाईम कीपर हैदर अली को झोन क्र.- 6 से गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड और नगरनिवेश दरोगा शुभम चौधरी को झोन क्र.- 6 से विद्युत शवदाह गृह भेज दिया गया।

दोनों दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी

निगम गलियारों में इस बात की चर्चा थी कि दोनों ही कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी हैं और इन पर सस्पेंड करने की कार्रवाई होना चाहिये थी। लेकिन ऐसा नहीं करते हुए केवल दोनों का तबादला कर खानापूर्ति कर दी गई। मामले में तो यहां तक चर्चा थी कि निगम अधिकारियों ने दोनों को बचा लिया क्योंकि दोनों ही निगम के कमाऊ पूत हैं।

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