अभिभावक ने कहा एंबुलेंस चालक के साथ संचालक पर भी हो कार्रवाई
धार, अग्निपथ। जहां एक शासन ने जनता को सुविधा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर एंबुलेंस का संचालन किया मगर धार में सरकारी एंबुलेंस संचालकों द्वारा मनमानी कर समय पर मरीजों के पास नहीं पहुंचने के कारण इलाज के अभाव दो माह के बच्चे की जान चली गई। मृत बच्चे के अभिभावक का आरोप है कि एंबुलेंस में प्रशिक्षित स्टाफ न होने से उसे रास्ते में न तो कोई प्रारंभिक उपचार दिया न ही ऑक्सीजन लगाई गई।
मनावर के पेटलावद गांव की एक महिला की 15 जून को प्री मैच्योर डिलीवरी हुई थी। महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। एक बच्चे की मौत जन्म के तुरंत बाद हो गई थी। दूसरे बच्चे की हाल में तबीयत खराब हुई तो एम्बुलेंस को सूचना दी। जब वे बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ मुकुंद बर्मन ने कहा कि बच्चे की मौत हो चुकी है। बच्चे के पिता ने आरोप लगाया कि अगर एंबुलेंस में ऑक्सीजन और उपचार मिलता तो बच्चा बच सकता था।
पास के स्वास्थ्य केंद्र ले जाते तो बच सकती थी जान
अब एंबुलेंस का स्टाफ इस मामले में बचाव के लिए खुद की गलती से इनकार कर रहा है। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि जब बच्चे को धार लाया गया तो उसकी एक से डेढ़ घंटे पहले ही मौत हो चुकी थी, यदि नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता तो शायद बच्चे को इलाज मिल पाता।
सरकारी एंबुलेंस का भी चल रहा है बड़ा खेल
कहने को तो सरकार द्वारा जनता को सुविधा के लिए एंबुलेंस (108) की शुरुआत की मगर इसमें भी सरकार को चूना लगाया जा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक व्यक्ति ने बताया कि धार के एक व्यक्ति ने एंबुलेंस का ठेका ले रखा है। इसमें यह किसी परिचित व दोस्तों के मोबाइल से फोन लगाकर बेवजह किसी जगह एंबुलेंस बुला लेते हैं। खुद ही मरीज छोडऩे का फोन कर किलोमीटर बढ़ाते रहते हैं। अगर अभी तक जितने भी फोन मरीजों द्वारा एंबुलेंस बुलाने के लिए किए गए है उनकी जांच की जाए तो अधिकांश नंबर पेशेंट के ना होते हुए अन्य व्यक्तियों के पाए जाएंगे। कलेक्टर इसकी जांच कराए तो खुलासा हो सकता है।
कार्रवाई की जायेगी
सभी एंबुलेंस में ऑक्सीजन सहित आपात उपचार की व्यवस्था है। मामले की पूरी जानकारी लेकर यदि एंबुलेंस स्टाफ की गलती पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. नरसिंह गहलोत, मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी, धार