भवन निर्माताओं को शिकार बनाने में पार्षद पतियों के साथ पत्रकार भी शामिल

नगर निगम

उज्जैन, अग्निपथ। मुख्यमंत्री माननीय मोहन जी के विधानसभा क्षेत्र दक्षिण के ही भवन निर्माता सबसे ज्यादा गिरोह की ब्लैकमेलिंग के शिकार हो रहे हैं। हम अग्निपथ के सुधि पाठकों को पूर्व में ही अवगत करा चुके हैं कि गिरोह द्वारा दक्षिण विधानसभा की नगरीय सीमा में किस तरह भवन निर्माण करने वाले नागरिकों को शिकार बनाया जाकर अवैध वूसली की जाती है।

इस गिरोह में क्षेत्रीय पार्षद, झोन अध्यक्ष, कालोनी सेल, नगर निवेश विभाग प्रभारी, भवन अनुज्ञा शाखा के कर्मचारी-अधिकारी शामिल है। इस गैंग में अब पत्रकारों के नाम भी जुड़ गये हैं। सी.एम. हेल्प लाईन में की गयी शिकायतों में अनेक शिकायतें पत्रकारों द्वारा की गयी है।

चौंकाने वाली बात यह है कि पत्रकार भी दिन भर शिकार की तलाश में जहाँ भी भवन निर्माण होता हुआ दिखता है, वहाँ पहुँचकर भवन मालिक को चमकाते हुए निर्माण में हुयी त्रुटियां बताकर खबर छापने और शिकायत करने की धमकी देकर मोटी रकम खींच लेते हैं। पत्रकारों के इस गोरखधंधों में भवन अनुज्ञा शाखा के कुछ निलंबित कर्मचारी भी शामिल है।

भवन निर्माता द्वारा ब्लैकमेल का विरोध करने पर पत्रकार द्वारा सी.एम. हेल्प लाईन में कर्मचारियों की मदद से कार्यालयीन भाषा में शिकायत की जाती है। वह शिकायत झोन कार्यालय में पहुँच जाती है बस अब शिकार जाल में फंस चुका होता है। संबंधित झोन का कर्मचारी भवन निर्माता के पास पहुँचकर भवन निर्माण में अनियमिता का पाठ पढ़ा कर बताता है कि पत्रकार साहब की शिकायत है सेट कर लो वर्ना मामला ऊपर तक चला जायेगा।

बेबस भवन निर्माता मजबूर होकर शिकार हो जाता है। बीते दिनों पुलिस एवं जिला प्रशासन ने मुहीम चलाकर ब्लैकमेलिंग करने वाले पत्रकारों को पकडक़र जेल के सींखचों के पीछे भी पहुँचाया था वापस उसी मुहीम की जरूरत है।

पार्षद पतियों का आतंक

सबसे ज्यादा शिकार होने वाले भवन निर्माता इस समय दक्षिण विधानसभा में ही है। पार्षद तो ठीक पार्षद पतियों का आतंक इस कदर है कि ना तो वह अपनी पार्टी भाजपा से डर रहे हैं ना ही मुख्यमंत्री क्षेत्र होने से। सबसे ज्यादा शिकायतें नानाखेड़ा बस स्टैण्ड क्षेत्र से आ रही जो कि पूरी तरह से व्यवसायिक क्षेत्र है।

स्थानीय पार्षद पति के आतंक का आलम यह है कि उस पूरे वार्ड में नगर निगम का कोई कर्मचारी अधिकारी जाता ही नहीं, उस वार्ड के सारे फैसले पार्षद पति ही करते हैं किस भवन निर्माता को कितना वैध कितना अवैध निर्माण करना है वह स्वयं तय करते हैं।

चर्चा है कि कॉसमास माल जाने वाले मार्ग पर स्थित एक रेस्टोरेन्ट संचालक से लाखों रुपये वसूल कर बिना एम.ओ. एस. छोड़े एक मंजिल अवैध निर्माण करने की सुपारी भी पार्षद पति ने ले ली है। भवन अनुज्ञा शाखा के दरोगा और भवन अधिकारी की ताकत नहीं है कि वह वार्ड में जाकर नोटिस दें या अवैध निर्माण को रूकवा सकें।

पार्षद पति का दुस्साहस का आलम यह है कि भारतीय जनता पार्टी के ही झोन 2 के अध्यक्ष सुशील श्रीवास के मामा से भी निर्माणाधीन मकान को लेकर वसूली कर ली।

मुख्यमंत्री जी के भतीजे को भी नहीं छोड़ा

आपको एक और वार्ड की बात बताते हैं। मुख्यमंत्री माननीय मोहन यादव जी सगे काका के लडक़े द्वारा मालनवास क्षेत्र में कॉलोनी काटी जा रही है। संबंधित क्षेत्र के पार्षद पति महोदय द्वारा उनसे भी रुपयों की माँग की गयी। उनके द्वारा रकम ना दिये जाने पर निगम के कर्मचारियों पर दबाव बनाया गया उन्हें नोटिस देने के लिये, निगम कर्मचारियों द्वारा जब पार्षद पति को बताया गया कि वह मुख्यमंत्री के भाई हैं तब दुस्साहसी पार्षद पति ने कहा कि क्या हुआ उन्हें अवैध निर्माण का नोटिस दो ताकि मुख्यमंत्री जी को पता चल सके कि मैं इस क्षेत्र की भाजपा पार्षद का पति हूँ।

प्रभारी और पार्षद पति में रुपयों को लेकर विवाद

दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में ही एक वार्ड में भवन निर्माता से मेयर इन कौंसिल की माननीया सदस्या ने अच्छी खासी वसूली कर ली जब क्षेत्र के पार्षद पति को जानकारी लगी तो वह स्वयं ही पहुँच गये शिकार के पास, भवन निर्माता ने कहा कि वह दीदी की भेंटपूजा कर चुके हैं इस पर पार्षद पति ने कहा कि मैं दीदी को नहीं जानता मेरी भेंटपूजा अलग से देनी होगी नहीं तो कल जेसीबी चलेगी। निगम के अधिकारी-कर्मचारियों पर पार्षद पति तोडऩे का दबाव बना रहे हैं वहीं प्रभारी उन्हें वहां जाने से मना कर रही है।

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