उज्जैन, अग्निपथ। नगर सरकार के इतिहास में शायद यह पहला बोर्ड होगा जिसमें दक्षिण विधानसभा से इतने संस्कारवान पार्षद चुनकर जनता की सेवा में आये हैं। और हाँ उल्लेखनीय बात यह है कि दक्षिण विधानसभा के भारतीय जनता पार्टी के सारे पार्षद हमारे मुख्यमंत्री मोहन यादव की ही पसंद है। प्रत्याशी चयन के समय विधायक और मध्यप्रदेश शासन के काबीना मंत्री मोहन जी ने नवाचार का प्रयोग करते हुए पुराने भाजपा नेताओं को घर बिठाकर नये कार्यकर्ताओं को मौका दिया था।
घर बैठने वाले नेताओं में बुद्धिप्रकाश सोनी, संतोष यादव, राजश्री जोशी, रिंकू बेलानी, राधेश्याम वर्मा प्रमुख नाम है। मोहन जी का यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा उनके द्वारा चयनित सारे उम्मीदवार विजय श्री का वरण करके लौटे। दक्षिण के 22 पार्षदों में से अधिकांश 18-19 भारतीय जनता पार्टी के हैं। और मोहनजी के प्रत्याशी चयन और परिश्रम के कारण ही दक्षिण में भाजपा को भारी बढ़त मिली और नगर सरकार पर भाजपा काबिज हो पायी।
पर कहते हैं ना राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। पार्षद का चुनाव जीतने के बाद मोहन जी के पार्षद ही उनसे कन्नी काटने लगे। मोहन जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद दक्षिण विधानसभा में हुए उनके कार्यक्रमों में मुश्किल से 2 या 3 पार्षदों की ही उपस्थिति नजर आती है बाकी द्वारा अघोषित बहिष्कार करा जाता है।
चलिये छोडिय़े राजनीति की बातें हम मुख्य मुद्दे पर आते हैं। कमाऊपूत पार्षदों और पार्षद पतियों के क्रियाकलाप के बारे में चर्चा करते हैं। जब अपने राम ने अंदर तक जाँच पड़ताल की तो पता चला कि सिद्धांतों की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी और देश के पंत प्रधान नरेन्द्र मोदी के इस वाक्य कि ‘ना खाऊँगा ना खाने दूँगा’ के विपरीत आचरण करने वाले हमारे भोले-भाले पार्षदों को आखिर पाप का यह रास्ता दिखाया और बिगाड़ा किसने?
खोजबीन करने पर पला चला कि झोन क्रंमाक 6 में पूर्व में भवन अधिकारी हुआ करते थे हर्ष जैन (जो अब निलंबित है) उन्होंने पार्षदों को ‘खाओ और खाने दो’ का पाठ पढ़ाया। कच्ची मिट्टी से बेचारे हमारे पार्षद उनके शिष्य बन गये।
निगम के गलियारों में चर्चा है कि वार्ड 48 की भाजपा पार्षद के पति ने तो शांति पैलेस चौराहे से लेकर मोती नगर तक के भवन निर्माताओं को एक ही दिन में 50-60 नोटिस भिजवा दिये। मामला तात्कालीन दक्षिण विधायक और म.प्र. शासन के काबीना मंत्री मोहन यादव जी के संज्ञान में आना स्वाभाविक ही था क्योंकि भवन निर्माता उनके भी तो मतदाता थे।
पार्षद पति को बुलाकर उनकी लू उतारी गयी और ताकीद दी की गयी कि भविष्य में इस प्रकार की शिकायतें नहीं आनी चाहिये। पर कहते हैं ना कि दाढ़ में एक बार खून लग जाये तो फिर रहा नहीं जाता। पार्षद पति कुछ दिन तो शांत रहे परंतु थोड़े दिन बाद उन्होंने नया फरमान जारी कर दिया कि मेरे वार्ड में किसी भी भवन मालिक से लायी गयी अवैध वसूली में से 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी मेरी होगी शेष बची राशि में से निगम के कर्मचारी, अधिकारी झोनाध्यक्ष को निपटना है।
दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में झोन अध्यक्षों ने भी एक गैर कार्यालयीन आदेश निकालकर 50 हजार प्रतिमाह उनकी भेंटपूजा का आदेश भवन अनुज्ञा शाखा को दे डाला। त्राहिमाम-त्राहिमाम मच गया। दक्षिण विधानसभा के सभ्रांत और प्रतिष्ठित नागरिक शिकार होते चले गये। ऐसा नहीं है कि हमारे नगर सरकार के प्रशासनिक मुखिया आशीष पाठक और प्रथम नागरिक महापौर संवेदनशील नहीं है पर पार्षदों और पार्षद पतियों का शिकार व्यक्ति उन तक शिकायत तो करें।
अब दक्षिण विधानसभा में किसी के साथ ब्लैकमेलिंग हो तो वह आयुक्त के नंबर 99773-38856 और महापौर मुकेश टटवाल के चलायमान फोन नं. 94250-93952 और अग्निपथ के नंबर 93406-93002 पर गोपनीय सूचना दे सकता है साथ ही पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा के मोबइल नंबर 75876-23185 को भी बता सकता है।