मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन, 400 होमगार्ड सैनिक संभालेंगे महाकाल महालोक की व्यवस्थाएं
उज्जैन, अग्निपथ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि अब बाबा महाकाल की नगरी से धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का मुख्यालय संचालित होगा। उस गौरव में वृद्धि करने के लिए आज का दिन इतिहास का एक नया अध्याय लिखेगा। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन ने एक अद्भूत प्रकार का शहर के होने का गौरव प्राप्त किया है। कई कल्पों से उज्जयिनी की एक अलग पहचान पूरी दुनिया में रही है। काल के प्रभाव में समय बदलता है। लेकिन हर काल हर युग हर कल्प हर समय हर अवस्था में इसी नगरी का अस्तित्व मिलता है, यह हमारी प्यारी नगरी अवंतिका है जिसका हर युग में हर समय अपना अस्तित्व को बनाए रखा। इसकी प्रसिद्ध होती रही।
यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग तथा मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के संचालनालय के शुभारंभ अवसर पर कही। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन में निरीक्षक सहित सभी पदों के साथ दो नए थाने की तथा महाकाल महालोक की सुरक्षा व्यवस्था के लिए 400 होमगार्ड जवानों के नवीन पद स्वीकृत करने घोषणाएं की। यह नवीन थाने महाकाल लोक एवं इंदौर तपोभूमि रोड पर स्थापित किए जायेंगे। यह घोषणा इसी वर्ष से लागू होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस उज्जैन नगरी की बड़ी विशेषता है कि अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए हर काल में अलग अलग नाम से पहचानी जाती रही हैं, इसलिए उज्जैन के अनेकानेक नाम हैं जिसमें से एक नाम अवंतिका जिसका कभी अंत नहीं हुआ, एक नाम अमरावती जिसक अमरता से संबंद्ध है।
एक नाम पदमावती जो भगवान विष्णु की प्रिय नगरी है। एक कनकवती, एक कुसुमवती, कनकश्रंगा अलग अलग नाम से अलग- अलग समय में अलग-अलग विशेषताओं के आधार पर जानी जाती रही हैं। नगर में रहने वाले नागरिकों के भवन भी जब सोने से मढ़े हुए दिखाई देते थे तब इसको कनकश्रंगा कहा जाता था।
आखरी में अब उज्जयिनी के नाम से प्रसिद्ध हैं, उज्जयिनी अर्थात उत्कृष्ट। यहां जो जीवन के जिस क्षेत्र में जाना चाहेगा उस क्षेत्र में सफल होगा।
डॉ यादव ने कहा प्रधानमंत्री श्री मोदी के द्वारा महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद तो कि उज्जैन में और चार चांद लग गए हैं। बाबा महाकाल के महालोक के लोकापर्ण के बाद उज्जैन दुनिया के लिए एक अलग आकर्षण प्रदान करने वाला शहर बन गया हैं। हम सब जानते हैं कि इसी सिलसिले में कई सारे विकास के काम ,कई जनहित के कार्यक्रम चालू हुएं है। विकास के क्रम में हम सम्राट विक्रमादित्य को भी जोड़ कर देखें तो यहां रिसर्च सेंटर और कई कार्यक्रम उनके नाम से यहां से शुरू किए गए हैं।भारत केबड़े बड़े राज्यों में विक्रमादित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा हैं। जैसे भोपाल राजधानी बनीं, हर नगर को कोई न कोई मान मिला, उसमें से उज्जैन को विक्रम विश्वविद्यालय मिला। इंदौर को हाईकोर्ट मिली, ग्वालियर को राजस्व का मुख्य कार्यालय मिला। इसी प्रकार से जबलपुर में हाईकोर्ट की मुख्य ब्रांच मिली। लेकिन इन सब से उज्जैन कुछ पिछड़ा लग रहा था।
अब धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का मुख्यालय उज्जैन से संचालित होगा। जिससे इस कमी की भी पूर्ति हो जाएगी। बाबा महाकाल सहित सभी देव स्थानों के लिए धन राशि की मंजूरी इसी विभाग की जाती है। मंदिरों के रखरखाव और बेहतर प्रबंधन किया जाता है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि देव स्थान के लिए जाने वाली धार्मिक यात्राओं का इसी विभाग के माध्यम से सुचारू रूप से संचालन किया जाएगा। विभिन्न प्रकार के मंदिरों के निर्माण के लिए भी लगभग 26 करोड़ रूपये का बजट इसी विभाग की कमिश्नरी के माध्यम से स्वीकृत होगा। प्रयागराज, मथुरा, वृंदावन जैसे स्थानों पर हवाई यात्रा भी चालू की जा रही है। हवाई तीर्थ यात्रा की दृष्टि से भी यह संचालनालय महत्वपूर्ण निभाएगा।
देव स्थानों पर विकास के कार्य किए जाएंगे
मुख्यंमत्री डॉ. यादव ने कहा कि सलकनपुर, दतिया, औरछा सहित देव स्थानों पर विकास के और कार्य किए जाएंगें। महाकाल लोक 13 स्थानों पर बनाए जा रहे हैं। मंदिर से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं के लिए यह कार्यालय बेहतर प्रबंधन करेगा। संचालनालय खुलने के साथ हमने दो निर्णय और लिए हैं। एक निर्णय भगवान श्रीराम के चरण चिन्ह जहां पड़े हैं उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करेंगे। भगवान कृष्ण की जहां जहां लीलाएं हुई हैं उन्हें भी देव स्थान की तरह विकसित करेंगे। जिसमें धार्मिक न्यास एवं धर्मस्य विभाग का संचालनालय अपनी भूमिका निभाएगा।
सिंहस्थ के लिए हमने 500 करोड़ की राशि बजट में रखी हैं। सिंहस्थ केवल उज्जैन का ही नहीं उज्जैन इंदौर सहित सभी धार्मिक केद्रों को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी भूमिका अदा करेगा। मंदिरों के सभी पुजारियों के मानदेय की व्यवस्था भी इसी संचालनालय से होती रहेगी।
सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा कि उज्जैन में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के संचालनालय का लोकापर्ण होना बहुत बड़ा कार्य है। अब यहीं से पूरे प्रदेश के मंदिरों और धार्मिक न्यास सहित अन्य धार्मिक निर्माण कार्यों का संचालन होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप धार्मिक कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में अगले सिंहस्थ का अद्वितीय आयोजन होगा। उनके द्वारा दी जाने वाली सौगात के लिए हम उनका आभार मानते हैं।
धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के संचालनालय के संचालक संजय गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में संचालनालय का शुभारंभ हो गया है। अब यहीं से पूरे प्रदेश के धार्मिक न्यास व मंदिरों के निर्माण का संचालन होगा।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेश नाथ, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय, महापौर मुकेश टटवाल, उज्जैन नगर निगम की सभापति कलावती यादव, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व के संचालक संजय गुप्ता, पुलिस महानिरीक्षक संतोष कुमार सिंह भी शामिल रहे।
2 मीटिंग हॉल, 8 रूम और लॉबी
ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर कार्यालय बनाया गया है, जिसमें 2 मीटिंग हाल, 8 रूम और लॉबी भी है। इसमें संचालक के पद पर उज्जैन संभाग के संभाग आयुक्त संजय गुप्ता, संयुक्त संचालक एक, उप संचालक एक, दो सहायक संचालक, सहायक यंत्री एक, लेखा अधिकारी एक, अधीक्षक एक, उपयंत्री, सहायक ग्रेड 1 अधिकारी एक, सहायक ग्रेड 2 एक पद, सहायक ग्रेड 3 के दो पद, स्टेनो एक, टाइपिंग स्टेनो एक, ऑपरेटर एक और प्यून 6 का पद है। इस तरह कुल 22 अधिकारी-कर्मचारी तैनात हैं।
नए कार्यालय में प्रदेश के बड़े मंदिरों के फोटो लगेंगे
कार्यालय में प्रदेश के बड़े मंदिरों के फोटो लगाए जाएंगे। इसमें कई धार्मिक किताबें भी उपलब्ध होंगी। संचालक के पद पर संजय गुप्ता ने 18 जुलाई को पदभार ग्रहण कर लिया है। उन्होंने चिंतामण गणेश मंदिर, गढक़ालिका माता मंदिर, हरसिद्धि माता मंदिर और भतृर्हरि गुफा का दौरा कर सिंहस्थ 2028 के दृष्टिगत मंदिरों का थीम बेस्ड हेरिटेज डेवलपमेंट की कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए।
ये बड़े मंदिर समिति मंडल और संस्था कार्यालय के अधीन
- श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन
- सलकनपुर देवी मंदिर
- शारदा देवी मंदिर मैहर
- श्री गणपति मंदिर खजराना इंदौर
- भूतपूर्व भोपाल रियासत का मंदिर भोपाल
- लक्ष्मण बाग समिति रीवा
- मंडलेश्वर जिला खरगोन
- पशुपति नाथ मंदिर मंदसौर
- ग्वारी घाट जबलपुर
- बरमान नरसिंहपुर
- कुण्डलपुर दमोह
- जोगेश्वर नाथ दमोह